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अग्निवेश आर्यवेश इन दोनों को अलग न समझना

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अग्निवेश अर्यावेश इन दोनों को अलग न समझना ||

अग्निवेश समर्थकों को मेरी खुली चुनौती है, मेरे साथ डिबेट करें यह लोग अग्निवेश या इनके समर्थक आर्यसमाज या ऋषि दयानन्द के विचारों से सहमत हैं अथवा नही एक एक प्रमाण मेरे पास मौजूद है |

उन सभी पुराणी बातों को छोड़ मैं आ रहा हूँ सार्वदेशिक सभा में इन लोगों का कब्ज़ा, उस समय इनके साथ मात्र यह एडवोकेट जगवीर जो अब अर्यावेश बना है यह तो प्रथम से ही अग्निवेश के साथ है | भले ही इन्हें एडवोकेट जगवीर के नाम से लोग जानते हों, पर इन्हों ने कभी वकालती नहीं की | इन लोगोंके पास धन कहाँ से आता है इन सब का खर्चा खाना पीना और सभी आफिस मेन्टेन किस प्रकार चलता है ? यह खोजका विषय है, की कहाँ कहाँ से पैसा आता है इनके पास |

मैं एकबात की जानकारी आप लोगों को दे रहा हूँ अग्निवेश आर्य समाजी है अथवा नहीं, और ऋषि दयानंद से यह सहमत हैं या नहीं इस लेख से प्रमाण हो जाये गा |

पिछले दिन जब इन्हों ने सार्वदेशिक सभा पर कब्जा किया इनके साथ और भी इनके कई चेले मौजूद थे | इनमें एक श्यामलाल भी था उसने स्वामी अग्निवेश के विचार को किस प्रकार  लिखा है देखें |

स्वामी अग्निवेश जी ने अपने वेवसाइट में वेवाक विचार दिए हैं, व सठीक हैं सारगर्वित विद्वतापूर्ण और ललित प्रांजल प्रवाहमाण भाषा में लिखित है | तथा नये तथ्यों और जानकारियों को उद्घाटित करने वाले है, कोई भी व्यक्ति इनसे प्रभावित हो सकता है |

आर्यसमाज की मान्यताओं और सिधान्तों से नित्यांत अपरिचित व्यक्ति भी उन्हें पढ़ कर ज्ञान गंभीर चिंतन करने तथा उन्हें अपनाने को आकर्षित होगा | और आगे लिखा है महर्षि दयानन्द ने हमे सत्य के ग्रहण करने और असत्य को त्यागने में सर्वदा उद्यत रहने का आदेश दिया है, सत्यार्थ प्रकाश की भूमिका और अनुभुमिका में भी अपने विचारों से, सहमत व असहमत होने का अधिकार उन्होंने पाठकों को दिया है | अतः स्वामी अग्निवेश को भी किसी अन्य व्यक्ति की तरह स्वतंत्र चिंतन विचार अभिव्यक्ति रखने का अधिकार मिलना ही चाहिए | यह विचार श्यामलाल ने स्वामी अग्निवेश जी के सहशिक्षा पर दिए गये विचारों को लिखा था |

लम्बा लेख है यह लेख आर्य सन्देश दिल्ली सभा की पत्रिका में छपी थी, इस पत्रिका पर भी अग्निवेश का कब्ज़ा हो गया था उनदिनों | फिर क़ानूनी कार्यवाही से यह पत्रिका इनके हाथ से छूटी है | सार्वदेशिक पत्रिका का नाम बदल कर इन्हें वैदिक सार्वदेशिक रखना भी इसी लिए पड़ा था |  कारण सार्वदेशिक पत्रिका की रेजिस्टेशन – सार्वदेशिक में पुराने अधिकारीयों के थे | उन्हों ने केस करदिया उसे बदल कर इन को वैदिक सार्वदेशिक रखना पड़ा है |

उनदिनों इनके जो जो लेख निकलता था उनसब का उत्तर मैं देता था ऋषि सिद्धांत रक्षक पत्रिका में | जिसका मैं सम्पादक था, इस अग्निवेश पर मेरा पचासों से उपर लेख है, जो यह लिखते थे अपनी पत्रिका में जिन सब का जवाब मेरे द्वारा सम्पादकीय में निकलता था | जिसका कुछ लेख मैं अपनी पुस्तक मस्जिद से यज्ञ शाला की ओर में दिया है | आर्य विद्वानों ने अग्निवेश पर इतना नहीं लिखा जितना की मैं लिखा हूँ |

ऋषि दयानंद सह शिक्षा के विरोधी थे और उन्हों ने लिखा की जहाँ लड़कों का गुरुकुल हो, उस से आठ किलोमीटर दुरी में लड़कियों का गुरुकुल होना चाहिए | अब अग्निवेश सह शिक्षा के पक्षमें अपना विचार दिया था जिसका समर्थन इनके चेला श्यामलाल ने इस लेखनी में कित्ता है | प्रमाण के लिए मेरे पास बहुत कुछ है यह लोग मेरे सामने बैठ कर डिबेट करें तो मैं एक एक कर सारा प्रमाण दूंगा, यह मैं वचन दे रहा हूँ आर्य जनों को |

महेन्द्रपाल आर्य, 24 /4 /20

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