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अध्यात्मिकता कहाँ है वेद में, या फिर बाईबिल में

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विद्या के कारण तत्वदर्शी परमात्मा द्रष्टा भारत के ऋषि मुनियों का देंन है इसलिए दार्शनिक आज भी इस देशको अध्यात्मिकता में विश्व गुरु कहा।
 
एक तरफ तो अध्यात्मिकता की बात यह रही= और दूसरी तरफ देखें गॉड को किस प्रकार झूठा प्रमाणित किया शैतान ने | अर्थात गॉड यहोबा ने जिस फल के खाने से मर जावगे, बताया आदम पत्नी से जोअल्लाह ने कहा था |
 
उसी फल को शैतान ने खिलाया आदम, पति पत्नी को | और उस फल के खाने से वह दोनों मरे भी नही | और यहोबा को ही झूठा सिद्ध करदिया | कैसी वह बाईबिल की इस किस्से को पढ़ें जो मैं दे रहा हूँ | और इस पर विचार करें कीअध्यात्मिकता कहाँ है और किस के पास हैं | यह बाईबिल वाली किस्सा इस्लामिक किस्सा से मेल खाता हैं |
MBBS मुन्ना भाई डॉ०जाकिर नाईक की अज्ञानता है जो इस्लाम को हिंदुत्य के साथ जोड़ने की मन घडंत कहानी बनाई है | जिसका जवाब मैं दे चूका हूँ, यही हाल उन सूफी वाद वालों का है जिसे बचनेश्वर दीनदार बता रहे हैं | देखें बाईबिल को>
 
|| बाईबिल के उत्पत्ति विषय को और देखें ||
पाप का आरम्भ
1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाये थे उन सब में सर्प धूर्त था | और उसने स्त्री से कहा. “ क्या परमेश्वर ने सचमुच कहा है की तुम इस वाटिका के किसी भी वृक्ष में से न खाना ?” 2 स्त्री ने सर्प से कहा, “ वाटिका के वृक्षों के फल तो हम खा सकते है, परन्तु उस वृक्ष के फल में से जो वाटिका के बीचों-बीच है, 3 परमेश्वर ने कहा है कि न तो उसमें से खाना और न उसे छूना, नही तो मर जाओगे |” 4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, “ तुम निश्चय न मरोगे ! 5 परमेश्वर तो जानता है की जिस दिन तुम उसमें से खाओगे, तुम्हारी आँखें खुल जाएंगी और तुम भले और बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के समान हो जा ओगे | 6 जब स्त्री ने देखा की उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, आँखों के लिए लुभावन, तथा बुद्धिमान बनने के लिए चाहने योग्य है, तो उसने उसका फल तोड़कर खाया, और साथ ही साथ अपने पति को भी दिया और उसने भी खाया | 7 तब उन दोनों की आँखें खुल गई और उन्हें मालूम हुआ की हम तो नंगे है | और उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर अपने लिए लंगोट बना लिया |
8 फिर उन्हें दिन के ठन्डे समय वाटिका में यहोवा परमेश्वर के चलने का शब्द सुनाइ दिया, और यहोवा परमेश्वर की उपस्थिति से आदम तथा उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों में छिप गये | 9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पुछा “तू कहाँ है ?” 10 उसने कहा “वाटिका में तेरी वाणी को सुनकर मै डर गया, क्यूकि मै नंगा था | अत: मै छिप गया “| 11 उसने कहा “तुझे किसने बताया की तू नंगा है ? जिस वृक्ष में से खाने के लिए मैंने मना किया था क्या तूने उसमें से खाया है ?” 12 आदम ने कहा “जिस स्त्री को तूने मेरे साथ रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने खाया” | 13 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा “ तूने यह क्या किया” ? स्त्री ने कहा “ सर्प ने मुझे बहका दिया, और मैंने खाया”|
नोट- मानव कहलाने वालों ये है बाईबिल के ईश्वर, तथा उसका दिया ज्ञान बाईबिल | विचारशील मानव कहलाने वालों अब तक आप लोगों ने देख भी लिया होगा की इसमें बात ज्ञान की है अथवा अज्ञानताकी, आदम ने परमेश्वर की वाणी को सुनकर भयभीत हुआ या डर गया | मतलब यह निकला यहोवा रूपी परमेश्वर शरीर धारी है फिर उसे निराकार कहना सरासर झूठ तथा बाईबिल विरुद्ध है | ऊपर की घटना से यह ज्ञात हुआ, यहोवा रूपी परमेश्वर ने आदम तथा आदम पत्नी को, दोनों से कहा बगीचे के बीच लगे पेड के फल को खाने से तुम मर जाओगे | परन्तु सांप रूपी जन्तु ने यहोवा रूपी परमेश्वर को झूठा सिद्ध कर दिया, उसी फल को खाने का सुझाव देकर या खिलाकर या खाने को कहकर | बल्कि उस फल को खाने से आदम पति-पत्नी को यह ज्ञात हुआ कि हम दोनों नंगे है | मतलब यह निकला अब तक आदम पति-पत्नी को यह पता ही नही चल पाया था कि वह दोनों नंगे है | अब सवाल यह उठता है, क्या बाईबिल के यहोवा रूपी परमेश्वर को यह पता था की वह नंगे है, अगर पता था तो आदम को बताया क्यों नही, तो क्या यहोवा रूपी परमेश्वर ने आदम पति -पत्नी को अंधकार में रखा, अज्ञान में रखा ? फिर तो वह यहोवा रूपी परमेश्वर से सांप जैसे जीव ही उत्तम ठहरे और, उन दोनों को ज्ञान देकर दोनों पर बहुत बड़ा उपकार किया | फिर परमेश्वर को अच्छा माना जाय या सर्प को ? कारण आदम रूपी मानव को ज्ञान परमेश्वर से न मिलकर सर्प रूपी जन्तु से मिला | तो अच्छा कौन है या उपकारी कौन है,यहोवा रूपी परमेश्वर है या सर्प नामी जन्तु ? आश्चर्य की बात यह भी है सर्प से बात करवाना,जो एक जन्तु है, वह मानव रूपी प्राणी से बात करे है ना अचम्भे की बात ? यह है परमेश्वर का ज्ञान ?
दूसरी बात यह है बाईबिल का परमेश्वर सर्वव्यापक तथा सर्वज्ञ नही है | और सर्वशक्तिमान भी नही, कारण इन तीनों में ही सर्प रूपी जन्तु ने सिद्ध कर दिखाया | जैसा- न० 1 अगर परमेश्वर सर्वव्यापक होते तो जिस समय सांप आदम पत्नी को उस फल को खाने की प्रेरणा दे रहा था उस समय परमेश्वर का वहां न रहना न होना उसकी सर्वव्यापकता समाप्त हो गई | न० 2 सर्प ने आदम पत्नी तथा आदम को वह फल खाने को कहेगा, जिसे की उस परमेश्वर ने खाने को माना किया | क्या बाईबिल रूपी परमेश्वर को यह पहले से पता था ? अगर पता नही था तो उसकी सर्वज्ञता भी समाप्त हो गई | रही बात सर्वशक्तिमान की, वह भी यहोवा रूपी परमेश्वर में नही है जिसे की सर्प ने सिद्ध कर दिखाया | जैसा जिस काम को परमेश्वर ने आदम को मना किया, और उसी काम को सर्प ने आदम से कर दिखाया तो बाइबिल के यहोवा रूपी परमेश्वर सर्वशक्तिमान ठहरे या सर्प ?
यही मिलता-जुलता किस्सा इस्लाम वालों की धर्म पुस्तक कुरान में भी मौजूद है, जिसे सप्रमाण मैंने अपनी पुस्तक “बेचारे ने जवाब देकर फसाया इस्लाम को” में दिखाया है | मैंने इस्लाम जगत के आलीमों से तथा उलमायेदीन से प्रशन किया है, जिसका जवाब देने का प्रयास किया मुश्फिकसुल्तान नामी एक इस्लाम के मानने वाले ने | इन्ही के उत्तर का प्रति उत्तर में यह पुस्तक मैंने लिखी, सारा प्रमाण कुरान से ही दिया हुआ है | और जवाब देने में मुश्फिकसुल्तान ने यह स्वीकार किया है, की आदम क्षण भर के लिए अल्लाह के रास्ते से भटक चुके थे | किन्तु अल्लाह ने कहा कुरान में, जो मेरे सीधे रास्ते पर रहेगा उसे तू भटका नही सकता जो, अल्लाह ने शैतान से कहा था | अब वही शैतान आदम को अल्लाह के रास्ते से भटका दिया, तो अल्लाह , यहोवा रूपी परमेश्वर बाईबिल तथा कुरान इसाइयत और इस्लाम यह सब सवालों के घेरे में आ गये | जिस कारण मुझे पुस्तक लिखनी पड़ी “बेचारे ने जावाब देकर फसाया इस्लाम को” जो सरल हिंदी में है, सप्रमाण | आप सभी मित्रमंडलियों को चाहिए उस पुस्तक को मंगवा कर पढ़ना, जिससे की आप लोगों को भी सच्चाई का पता लगे | तथा इन किस्सानूमा परमेश्वर के दिए ज्ञान को भी समझने का प्रयास करें की सही अर्थों में परमेश्वर का ज्ञान होना संभव है अथवा नही |
धन्यवाद के साथ ( प० महेन्द्र पाल आर्य, वैदिक प्रवक्ता 14/10/16=

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