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अल्लाह के हुकुम से माँ बेटे को जंगल में छोड़ा |

Mahender Pal Arya
13 Aug 22
220
अल्लाह के हुक्म से माँ बेटे को जंगल में छोड़ा ||
हजरत मुहम्मद साहब ने यह दुआ पढ़ी जिसपर अल्लाह ने मुहर लगा दी। तो इस तवाफ में कुछ शर्ते हैं, और कुछ मसनुन भी हैं। हजरे असवद और रुक्न यमानी के इलावा खाना-ए-काबा के दो कोने हैं। रुक्न इराकी और रुक्न शामी, इनको बोसा देना सही नहीं और न इसका इस्तेलाम सही है। हजरत अब्दुल्ला बिन उमर फरमाते हैं, कि मैंने हजूरे अकरम को देखा कि आप सिर्फ हजरे असवद और रुक्न यमानी का इस्तेलाम फरमाते थे।
यही सब बातों को अपने अमल में लाने हेतु हज के लिए जाया जाता है। यानि मैं पहले भी बताया हूँ कि पैगम्बरे इस्लाम ने जो किया उसी को करना। हजरत आयेशा से रवायत है कि नबी करीम स० ने फरमाया, खाना-ए-काबा का तवाफ, सफा मरवा के दरमियान सयी और रमीजुमर को। अल्लाह तायला के जिक्र को कायम करने के लिए मुकर्रर किया है।
हजरत अबुहुरैयरा से रवायत है कि मैंने नबी करीम स० को यह फरमाते सुना कि जिस शख्स ने काबा का सात बार चक्कर लगायाऔर उसने इस दुआ को छोड़ कोई और बातें नहीं की, उसके 10 गुनाह {पाप} माफ कर दिए जायेंगे और 10 नेकी {पूण्य}उनके नामाये आमाल खाते में लिख दी जायेगी।
अब दुनिया वालों! विचार करें कि हज किस प्रकार गुनाहों से छुटकारा दिलाने का रास्ता है। जाकिर नाईक भी अपनी सभा में माइक से कहते हैं कि इस्लाम कुबूल करो अल्लाह सब गुनाह माफ करदेंगे। पर अकल रखने वाले तो यह जानते ही हैं कि गुनाहों से माफी कौन चाहेगा, जो पापी होगा? यही पापी लोग ही पापसे मुक्ति का साधन तलाशते हैं, जिसमें खुद फंसते हैं, औरों को भी फंसाना चाहते हैं।
किन्तु धर्म का उपदेश है कि आप पाप करोगे तो उसका दण्ड आप को ही मिलेगा, उससे मुक्ति मिलना नहीं, उसके भोग से ही वह खतम होगा, कोई छुटकारा नहीं दिला सकता। परमात्मा उसको सजा देकर जीवात्मा पर दया करते हैं, कि यह जीव दोबारा उस पाप को न करे। अगर वह माफ करदे तो दोबारा उसको पाप करने का अवसर मिलेगा। यह न्याय अगर नहीं तो परमात्मा पर दोष लगेगा। यह जो अल्लाह पर लग रहा है, कि हज करोतो पापसे माफी मिलेगी। तो यहाँ अनेक सारी दुआयें हैं जो गुनाहों से माफी मिलने की हैंऔर विशेषकर यह हज के दौरान ही पढ़ी जाती हैं।
अब चलें जल्दी-जल्दी में सयी करने को (यह वह चीज है जो सफा, मरवा के बीच दौड़ना)। इस प्रकरण को मैं अपनी पुस्तक, जो मुश्फिक सुल्तान के जवाब में लिखा है ‘बेचारे ने जवाब दे कर फंसाया इस्लाम को’ में पूरा किस्सा लिखा हूँ। उसमें देख लें प्रमाण के लिए। हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रवायत है कि, हजरत इब्राहीम अपनी अहलिया हजरत हाजरॉ और उनके बेटे इस्माईल जब यह दूध पीता बच्चा था, इसी जगह छोड़े जहाँ अब काबा है।
यहाँ एक बड़े दरख्त के नीचे। कुछ खजूर और पानी रख कर इब्राहीम चल दिए। हाजरा भी पीछे आने लगी, और बोली कि ऐ इब्राहीम आप मुझे अकेले में इस सुनसान जगह पर छोड़ कर किसलिए जा रहे है ? कुछ जवाब ही नहीं दिया। तो हाजरा ने कहा अल्लाह ने यह हुकुम दिया है? जवाब मिला हाँ ।
= प्रश्न कि अल्लाह को इससे क्या फायदा? अल्लाह का यह हुक्म किसलिए किसी माँ बेटे को जंगल में छोड़ना यह कौन सी मानवता है? डॉ० जाकिर नाईक कहता है कि इस्लाम ने औरतों को सम्मान दिलाया, क्या यही सम्मान है महिलाओं का? कि एक दूध पीते बच्चे को उसके माँ को देकर किसी जंगल में छोड़े? यह अल्लाह का हुक्म, ऊपर पैगम्बरे इस्लाम का काम देखें।
अब इब्राहीम जब उनकी आँखों से दूर हो गये, तो अल्लाह से दुआ मांग रहे हैं जो आयात है।
رَبَّنَا وَٱجْعَلْنَا مُسْلِمَيْنِ لَكَ وَمِن ذُرِّيَّتِنَآ أُمَّةًۭ مُّسْلِمَةًۭ لَّكَ وَأَرِنَا مَنَاسِكَنَا وَتُبْ عَلَيْنَآ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلتَّوَّابُ ٱلرَّحِيمُ
اے پروردگار، ہم کو اپنا فرمانبردار بنائے رکھیو۔ اور ہماری اولاد میں سے بھی ایک گروہ کو اپنا مطیع بنائے رہیو، اور (پروردگار) ہمیں طریق عبادت بتا اور ہمارے حال پر (رحم کے ساتھ) توجہ فرما۔ بے شک تو توجہ فرمانے والا مہربان ہے
हे हमारे पालनहार! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना तथा हमारी संतान से एक ऐसा समुदाय बना दे, जो तेरा आज्ञाकारी हो और हमें हमारे (हज्ज की) विधियाँ बता दे तथा हमें क्षमा कर। वास्तव में, तू अति क्षमी, दयावान् है। 2/128
(और) ऐ हमारे पालने वाले तू हमें अपना फरमाबरदार बन्दा बना हमारी औलाद से एक गिरोह (पैदा कर) जो तेरा फरमाबरदार हो, और हमको हमारे हज की जगहें दिखा दे और हमारी तौबा कुबूल कर, बेशक तू ही बड़ा तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है।
महेन्द्र पाल आर्य 13/8/22