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अल्लाह को दयालु कहना बहुत बड़ी भूल हैं ||

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अल्लाह को दयालु कहना बहुत बड़ी भूल है ||
यह है नुह का किस्सा पहले भी लिखा है,कई किस्से हैं |
यह प्रमाण इबने कसीर हिन्दी भाष्य जिल्द 6 पेज 205,206,पारा 27,सूरा 54,कमर,आयात 9,10,11,12,13,14,15,16,17,का सन्दर्भ = इन आयातों में हजरत नुह पैगम्बर की चर्चा की जबकि इससे पहले भी कई बार की गई है | इन आयातों के सन्दर्भ में बताया गया है की अल्लाह अपने नबी को यह बता रहे हैं की आपसे पहले हजरत नुह की उम्मतों ने भी हजरत नुह को झुठलाया था, यहाँ तक की उन्हें मजनूं कहा डाटा दपटा और धमकाया भी |
और कहा ऐ नुह अगर तुम अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आयें तो तुम्हें पत्थरों से मार कर, मार दिया जायेगा | हमारे पैगम्बर हजरत नुह ने हमें पुकारा ऐ मेरे परवर दिगार मैं इन लोगों के सामने कुछ भी नहीं हूँ बेहद कमजोर और मजबूर हूँ किस तरह अपनी हस्ती को और अपने दीन बचा सकता हूँ ? तुही मुझे मदद फरमा तुही मुझमें ताकत दे |
उनकी यह दुआ कुबूल हुई और काफिरों पर मशहूर तूफ़ान आया, मुशलाधार बारिश आसमान से और उबलते हुए पानी के चश्में जमीन से खोल दिए गये | यहाँ तक की आसमान से और जमीन से पानी निकलना बंद न हुआ, लिखा की अल्लाह ने हुकुम दिया की पानी बंद न हो उबलता पानी और यह फैसला होकर रहा |
यही घटना कुरान में कई बार बोला गया है, जो बातें समझने वाली है वे यह है की एक पैगम्बर अल्लाह का उसे अल्लाह ने किसी अपनी बात को देकर भेजा, की जाव इसे फैलाव मानवों में | तो मानवों को उनकी बातें पसंद नहीं आई और लोगों ने उनकी बातों से नाराज़ होकर उन्हें मारने तक की धमकियाँ दे डाली | अब यह पैगम्बर अल्लाह से दुआ मांग रहे हैं मेरी बात को यह लोग नहीं मानते इन्हें ख़तम करदें | एक तरफ तो अल्लाह ने खुद कहा की मैं हिदायत देता हूँ, अगर अल्लाह की यह बात सच है तो अल्लाह अपने पैगम्बर से यह कह सकते थे की कोई बात नहीं इन सब के दिल को मैं तुम्हारी तरफ फेर देता हूँ यह सबके सब तुम्हारे अनुयाई बन जायेंगे |
पर अल्लाह ने ऐसा न कह कर अपने पैगम्बर की दुआ कुबूल कर ली और आसमान से जमीन के नीचे से गर्म पानी पूरी जमींन में भर दिया और जितने भी नुह के विरोधी थे वह मर गएँ | और नुह को नाव बनाकर उस ने बचा लिया हर एक का दो दो जोड़ी लेजा सब की फ़ना कर देता हूँ यह कहना था अल्लाह का | पर यह समझ में नहीं आती की नुह में दुनिया है अथवा दुनिया में नुह है ? क्या अल्लाह की दुनिया सिर्फ इसी नुह को लेकर है ? फिर नुह नाव चलाना कब सिखा या अल्लाह ने कब सिखाया ? क्या जिसने नाव चलाना ही न सिखा हो उसके लिए नाव चलाना संभव होगा क्या नाव डूबेगा नहीं ? अल्लाह की इस कलाम ने संदेह के घेरे में डाल दिया मानवों को, की इसे सच प्रमाणित करने में लोगों के पसीने छुट रहे हैं, इसे ही अल्लाह की कलाम मान रहे हैं लोग |
 
यह है कुरानी किस्सा अल्लाह का जिसे दयालु बताया जाता है किन्तु अल्लाह हैं इसका उलटा दयालु नहीं किन्तु निष्ठुर ही है | जो अज्ञानी पशुओं को भी हलाक करदे बिना दोष के उसे भी मार दे वह अल्लाह दयालु कैसे हो सकते हैं ?
महेंद्र पाल आर्य =8 /5/22

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