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अल्लाह चाहे तो मोबाईल को रेल गाड़ी बनादे |

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अल्लाह चाहे तो मोबाईल को रेलगाड़ी बनादे |

यह मान्यता है ईमानदारों की,कारण इसी का ही नाम ईमान कहा गया, इस्लाम में |

अगर यही ईमान है तो अन्ध विश्वास किसे कहेंगे,और पाखंड भी किसे कहा जायगा ?

आप से किसने पूछा की वेद ईश्य्वारीय है या नहीं इसकी सनद दें आप ?परमात्मा का ज्ञान होने के जो प्रमाण है उसे आप जानते है ? मैंने कई बार कहा जो आप नहीं जानते है उसपर बोल कर क्या दर्शाना चाहते हैं आप ? मै आज कई साल से कह रहा हूँ की कोई तो आओ दुनियाके लोगों में हम सत्य क्या है और असत्य क्या है इसको खोल कर सामने रखें जिससे मानव मात्र का कल्याण हो लोग सत्य के नज़दीक आ सकें |

आज तक किसी इस्लाम के जान कारों ने सामने आनेकी उत्सुकता नहीं दिखाई ,और फालतू फंड में बकवास किसलिए करते हैं? अगर बात करनी हो तो हमें आमने सामने में बैठ कर बात करनी चाहिए ?

और आप की मंशा है तो आपका स्वागत है ,आप जब चाहें संपर्क कर सकते हैं और वक़्त निकाल कर हम सही क्या है और गलत क्या है ,लोगों के सामने इस चर्चा को रख सकते हैं

आप इस्लाम के दावेदार हैं और इस्लाम सत्य का ढिंढोरा पिटता है ,तो सत्य को लोगों के सामने लाने में कतराते किसलिए ? अगर आप वादाकारें तो यह इन्तेजाम से हम कर सकते हैं ,अगर आप चाहें तो मै आप को,बतारहा हूँ,, पहलवान धरमवीर जी 991180369 पर बात करें |

और हुम लोग मानव मात्र के भलाई के लिए इस काम को करें | डॉ,जाकिर नाईक को बकवास करते सुनता हूँ अंतिम ऋषि मुहम्मद है कहता है, जिस वेद में है बताता है |

जो वेद अवतार वाद को नहीं मानता वो किसलिए कहेगा भला वेद कुरान जैसा नहीं की जबजब ज़रूरत पडी तो कुछ न कुछ बता दिया ,इसको अगर इतनी जानकारी है तो आज तक सामने किसलिए नहीं आया ?

अगर वह सही कह रहा है तो क्या सत्य को बताने में संकोच कर ना चाहिए? सत्य को सबके सामने खुले आम कहना चाहिए ? फिर मै कहना चाहूँगा की वेदमें अगर मुहम्मद का नाम है ,तो बेद पहले है या कुरान ? अगर वेद में मुहम्मद का नाम है तो कुरान छोड़ वेद को मानलेना ही सत्य का ग्रहण करना होगा |

फिर देर किस बात कीअगर इसपर बात करनी हो तो आप अपने पुरे खानदान को लेकर आ सकते हैं आप का स्वागत है आयें सत्य को जाने औरों को भी जानकारे देना हमारा दायित्व है |  यही मानवता है सत्य को ग्रहण करना असत्य को त्याग देंने वाले का ही नाम मानव होता है | अगर मानवता की रक्षा चाहते हैं तो सामने आयें स्वागत है आप का     धन्यवाद के साथ |                                                 महेन्द्रपाल आर्य = 7 /12 /20

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