Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

अल्लाह तर्क की कसौटी में नहीं उतरते || इसे पूरा पढ़ने का कष्ट करें =

Share post:

अल्लाह तर्क की कसौटी में नहीं उतरते ||
इसे पूरा पढ़ने का कष्ट करें =
कैसा है कुरानी अल्लाह, जिस जीव जन्तु को बिना गलती के दरिया में डुबो दे
ऐसे अल्लाह के बन्दे इन्सान पर नहीं थूकेंगे तो थूकने वाला और कौन होगा ?

भले ही आज एक इन्सान दुसरे इंसान पर थूके, किन्तु आज पूरी दुनिया तो इस्लाम के मानने वालों पर ही थूक रही है |

दुनिया वालों जरा इसे ध्यान से पढ़ें और विचार करते भी चलें की धरती पर हम मानव कहलाने वाले हैं हमारा सारा काम तो विचार पूर्वक होना चाहिए | अगर हम विचार पूर्वक कार्य करते हैं और अपने दिमाग से विद्या बुद्धि से काम लेते हैं तो क्या हम अपनी अक्ल से और बुद्धि से इस कुरान को कलामुल्लाह कह सकते हैं ?

कारण जिसे हम ईश्वरीय ज्ञान कहेंगे तो पहले उसे ईश्वरीय ज्ञान है अथवा नहीं उसकी पड़ताल जरूरी नहीं है, ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या है जिस से हम जान सकें की यह ईशवाणी है ?
इसमें पहला शब्द तो यही होना होगा की ईश्वरीय वाणी किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं होनी चाहिए | दूसरी बात यह भी होनी चाहिए की ईश्वर अपना ज्ञान किसी मुल्क वालों को उनकी भाषा में नहीं देंते | कारण ईश्वर पर पक्षपात का दोष लगेगा | ईश्वरीय ज्ञान में प्राणी मात्र के हित का उपदेश होना चाहिए | कारण परमात्मा किसी भी प्राणी का अहित नहीं चाहते,परमात्मा का स्वाभाविक गुण है किसी का भी अहित नहीं करना |

यहाँ कुरान में अल्लाह किसी को नदी में डुबो रहे हैं वह भी किसी एक की छड़ी से दरिया में मारने का हुक्म देता है और उसके छड़ी मारने पर पानी फटकर पहाड़ की तरह दिवार बनजाता है | उसमें से एक दुसरे को देखने के लिए उस दिवार में सुराख़ भी बनजाता है | फिर उसमें से बारा रास्ता निकल आता है, कारण यह पानी पर जाने वाले बारा कौम के लोग थे |

आश्चर्य की बात यह है की उस कौम को गिनने वाला कौन था क्या अल्लाह ने खुद उसकी गिनती की थी ? उसकी कौम को गिनने का काम अल्लाह का ही था, जो अल्लाह ने बारा रास्ता उनलोगों के लिए बनादिया ?

फिर उसमें यह भी बताया गया की जिस फिराऊन को उस पानी में डुबोया उसके लावलश्कर तो बहुत थे सिर्फ काला रंगका घोडे की गिनती बताई गई वह भी हजारों की तादाद में | बाकि और भी कितने घोड़े थे और कितने हाथी उसे गिनकर नहीं बताया है | यह सबके गिनने वाले अल्लाह ही थे क्या ? उसी फिराऊन के पास जितना सोना चाँदी जमींन जायदाद सब को अल्लाह ने पत्थर बना दिया क्या यह गप्प जिस किताब में हो वह किताब ईश्वरीय ज्ञान क्यों और कैसे होना सम्भव है ?
इस कपोल कल्पित कुरान को ईश्वरीय ज्ञान बताना क्या मानवता पर कुठाराघात नहीं है ?अथवा इस प्रकार किस्सा जहाँ लिखा हो उसी किताब को अल्लाह का दिया ज्ञान बताना या कलामुल्लाह बताना मानवों के लिए उचित या सम्भव है ?
और एक के कहने पर अल्लाह यह सब तांडव मचा रहे हैं – क्या अल्लाह अपनी दिमागसे विचार नहीं करते या अपने मनसे न्याय नहीं करते किसी के कहने पर गजब ढाहने का काम अल्लाह का है |तो अमानवीय काम क्या और कैसा होगा ?अगर यही काम अल्लाह का है, तो ऐसे अल्लाह वालों का काम क्या होगा ?
धरती पर मानव कहलाने वाले आज मानव समाज से ही जानना चाहते है की क्या यही अल्लाह का दिया हुवा ज्ञान है ?
यहाँ भी कई सवाल खड़े हो गये की अगर यह मान लिया जाय की फिराऊन को अल्लाह ने पानी में डुबोया उसकी गलती यह थी के उसने अल्लाह के नबी की बात नहीं मानीं | अल्लाह की दीन को भी नहीं माना तो अल्लाह ने उसे दरियाए नील में डुबो दिया,|
अब सवाल पैदा होता है की उस फिराऊन के पास जितने पशु लड़ने वाले थे उन्हे किस गलती की सजा दी गई ?
दुनिया में मानव कहलाने वाले इसे भली प्रकार से जान रहे हैं की जब कुरान का अल्लाह यही है जो अकल से काम नहीं लेते, तो ऐसे अल्लाह के बन्दों के पास अकल कहाँ से होती ? अक्ल न होने का प्रमाण आज दुनिया के लोग देख रहे हैं की यही अल्लाह वालों की सेवा में जो डा0 नर्स पुलिस इन्हें बचाने में लगी है, यह अल्लाह के बन्दे उन्हीं पर थूक कर दुनिया वालों को भी बता रहे है की हम ऐसे अल्लाह के ही बंदे हैं |
महेन्द्रपाल आर्य =8/4/20=

Top