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|| अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं करमं शुभाशुभं || इसे ही लोग कहते हैं जैसा करनी वैसा भरनी

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|| अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं करमं शुभाशुभं ||
इसे ही लोग कहते हैं जैसा करनी वैसा भरनी
यह वाक्य शाश्वत है सार्व कालिक है, सार्व भौमिक है, ऋषि वाक्य है, हमारा शास्त्र है वैदिक मान्यता है, इसे झुठलाना अस्वीकार करना किसी भी मानव कहलाने वालों के लिए संभव नहीं है | कारण यह शब्द बने है मनुष्यों के लिए ही, मानव से इत्र प्राणियों का कोई कर्म नहीं है वह मात्र भोगता है,और मनुष्यों में कर्म और भोग दोनों ही हैं | यह परम्परा सृष्टि के आदि से है और अंत तक रहेगा इससे किसी भी मनुष्य को छुटकारा मिलना संभव नहीं और ना कोई छुटकारा दिला सकता है | इसे ही लोग कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी |

मैं आज तहे दिलसे CBI ज़ज साहब को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्हों ने एक पापी को उचित सजा सुनाया है | और उन याचिका कर्ताओं को न्याय दिलाया है, जिसने धर्म के नाम से महज दुकानदारी चला रखाथा, और दुनिया के लोगों को अपने चंगुलमें फंसा कर अपनी चमक -दमक से तथा डरा धमका कर भय दिखा कर, जो अपने को परमात्मा सिद्ध करने में लगा हुवा था | माननीय जज साहब ने उन्हें उनकी ठिकाने पर पहुंचा दिया |
ना जाने कितने पढ़ेलिखों को राजनेताओं से लेकर ना मालूम कितने वकील डॉ० और इंजीनियरों को अपने जाल में फंसाया था |

इस गुरुडमवाद पर मैं बहुत पहले से लिखता आया हूँ, बोला भी हूँ पिछले फरवरी 10 -11 -12 -017 को सिरसा आर्य समाज में भी बोलकर आया हूँ | इनके पालतुओं ने वहां भी मेरा विरोध करने को आ गये थे यही गुण्डे जो अभी हुडदंग मचा रहे हैं |
हमारे समाज के लोग कितने भोले हैं, और पढ़े लिखे होकर भी अपनी लिखाई पढ़ाई पर पानी फेर देते हैं | ऐसे लिखने पढ़ने से क्या फायदा हुवा जो इन धूर्त, और मुर्ख के चंगुल में फंस जाय | लिखने पढ़ने से दिमाग खुलता है, सत्य और असत्य का ज्ञान होता है, सहीऔर गलत को जानने की पहचान होती है | अब लिखने पढ़ने के बाद भी यह ना हो तो उस लिखने पढ़ने से क्या फायदा हुवा ? जो एक मुर्ख के सामने लिखाई पढाई ही फेल हो जाय तो |
इनके नाम में ही खोखला पन की झलक देखा जा रहा है, जो अपना नाम, राम रहीम ही रखा हो | जो लोग अपने को पढ़े लिखे बताते हैं उन्हें तो कमसे कम यह विचार करना ही चाहिए की राम और रहीम का एक होना संभव है क्या ?

कारण राम अपने माता पिता के घर ज्येष्ठ पुत्र के रूप में जन्म लेने वाले हैं, जिनके और भी भाई हैं, जिनके दो पुत्र भी हैं | अब इसी राम को रहीम के साथ जोड़ना क्यों और कैसा सम्भव होगा ? कारण रहीम अजन्मा है राम ने जन्म लिया, और रहीम का जन्म ही नहीं हुवा, फिर दोनों को एक मानना अथवा कहना यह मानव समाज की सबसे बड़ी भूल है | मानव कहला कर जो यह विचार ही न कर सके की राम के पिता राजा दशरथ थे जिनकी तीन पत्नियाँ थीं राम को छोड़ पुत्र और भी थे | जो राम नेपाल के राजा जनक जी की लड़की सीता जी से शादी करते हैं, संतान को भी जन्म देते हैं, फिर विमाता के कहने पर जो अपने भाई और पत्नी सीता के साथ 14 वर्ष के लिए जंगल जाते हैं | और राक्षसों से लड़ाई करते हैं, और लंकापति रावण को वध करते हैं आदि, जो इतिहास साक्षी है | अब ऐसे राम को रहीम के साथ मिलाये और कहे राम रहीम दोनों एक है, तो ऐसे मानसिकता वालों को लिखने पढने से क्या फायदा हुवा ?

कारण रहीम अजन्मा है ना कभी जन्म लिया ना उनके माँता पिता, और ना उनके पत्नी बच्चे और ना सास ससुर है | इसके बाद भी अगर कोई राम और रहीम दोनों को एक कहे माने बताये ऐसे मानसिकता वालों को पागल ही कहना चाहिए | अब यह हिन्दू समाज के लोग उसे ही भगवान मान कर उसके सामने नत मस्तक हो, ऐसे आदमी प्रान्त के मुख्य मंत्री, शिक्षा मंत्री और हमारे लोक सभा के सांसद हों ? तो हम लोग किस देश में बस रहे हैं यह चिंता का विषय है |
मैंने हिन्दू इस लिए लिखा की इस्लाम के अनुसार रहीम को सृष्टि के रचयिता कहा, और माना जाता है, अब राम में यह गुण कहाँ हैं ? और धरती पर कोई भी इस्लाम के मानने वाले इसे मानने को तैयार ही नहीं, और ना तो इस्लाम में इसकी इजाजत है | सिर्फ हिन्दू कहलाने वाले ही इसी बात को कहते हैं मानते हैं |

तो ऐसे एक मिथ्या चारी पापी दुष्ट के पाप का घड़ा भर गया था जो आज, उसी घड़े को फोड़ते हुए सीबीआई जज ने यह बता दिया की पाप करोगे तुम, तो भुगतना भी तुहें पड़ेगा |
तुम्हारे किये कर्मों का सजा तुम्हें मिलकर ही रहेगा इस से ना कोई छुटा है और ना कोई छुट सकता है | चाहे तुम कितना ही रसुकदार क्यों ना हो अपने अंधे भक्तों से मुर्ख भक्तों से जितना ही उपद्रोव क्यों ना करो, और तुम्हारा अँधा भक्त प्रान्त के मुख्य मंत्री और कोई भी मंत्री हो सकता है | पर मैं मुर्ख नहीं हूँ मैं पढ़ा लिखा एक जज हूँ मैं अपनी विद्या का दुरूपयोग नहीं कर सकता ? मैं तुम्हें उसी जगह पहुंचाकर रहूँगा, जहाँ के लायक तुम हो |

मेरे विचार से हमारे देश के प्रधानमंत्री हों, और किसी भी प्रान्त के मुख्य मंत्री हों अथवा कोई और ही क्यों ना हों | माननीय जज साहब से इन्हें शिक्षा लेनी चाहिए की दोषी को दोषी कहो दोषी को बचाना महापाप है | पापी को दंड मिलना ही चाहिए पक्षपात ना करो साक्षी महाराज साक्षी ही देना हो तो पापी के पक्ष में साक्षी ना दें यही मानवता है | कारण हमारे भारत में MLA = MP = PM =CM अंगूठा टेक हो सकता है, किन्तु कोई एक जज अंगूठा टेक अपढ़ नहीं हो सकता | पढ़ने लिखने के बाद ही कोई जज बन सकता है, जो न्याय और अन्याय पर निर्णय ले सकता है यह काम जजों का है किसी MLA – MP – CM –और PM का नहीं |
धन्यवाद के साथ -महेन्द्रपाल आर्य =28 /8 /17 =

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