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अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए |

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मानव उत्थान के लिए पहला काम अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि जरूरी है कारण अविद्या के नाश किये बिना विद्या की वृद्धि नहीं हो सकती,जानलें।
यह वाक्य ऋषि दयानंद सरस्वती जी के हैं , जो आर्य समाज के आठवाँ नियम में ऋषि ने दिया है | यह किस लिये और कहाँ तक सही है इसपर थोडा चिंतन करें |
ऋषि की मान्यता है की मानव उत्थान तभी संभव है जब, मानव सभी प्रकार के अविद्या से अपने को दूर करे, अविद्या से मुह मोड़े अविद्या को जानें, अविद्या से दूर हटे | तभी विद्या की वृद्धि हो सकती है, विद्या से मानव अपना उन्नति को प्राप्त करता सकता है, अविद्या से नही |
 
यही कारण है की ऋषि ने अविद्या का नाश पहले बताया और विद्या की वृद्धि बाद में बताया | हम इसे लोकाचार से भी ले सकते हैं देख सकते हैं, जैसे इस का प्रमाण हमारे सामने अनेकों है | खेती करने वाले फसल बोने से पहले जमीन को तैयार करता है उसमें उगे घास, तथा फसल को नुकसान पहुँचाने वाली सभी सामानों को वह खेत से बाहर करता है पहले | फिर उसके बाद आनाज बोता है खेत में |
 
हम इसे घर पर भी देख ते हैं रोज, जब कोई सब्जी ख़राब हो जाती है उसे काट कर पहले फेकते हैं, उसके बाद बचे अच्छी सामानों को प्रयोग में लेते हैं आदि |
 
यहाँ भी वही बात है अविद्या के रहते विद्या की वृद्धि नही हो सकती, उस अविद्या को समूल नष्ट करना होगा पहले, उसके बाद ही विद्या को आगे बढ़ा सकते हैं |
 
जितनी भी सामाजिक कुरीतियाँ है कु प्रथा, अन्ध विश्वास है पहले उसे ही मिटाना पड़ेगा | प्रायः चेनलों में बहस हो रहा है इस्लाम में तीन तलाक उचित है या अनुचित इसे ले कर सभी लोग कोई पक्ष में कोई विपक्ष में अपना अपना मत सुनाते नज़र आरहे हैं | सही क्या है और गलत क्या है, इस पर निर्णय किसी के भी नहीं, लोग सत्य को बोलना नही चाहते |
 
एक महिला जिस के पति ने उसे तलाक दिया हो, और फिर गलती माने, और पत्नी उसके पास रहना चाहती हो | इसपर कुरान का कहना और मुसलामानों का मानना, इस्लाम का फरमाना यह है की उस महिला को इद्दत में रखो 3 महिना -10 दिन, उस से कोई सम्पर्क ना रखो |
 
फिर उसकी शादी किसी दुसरे मर्द से करा दो, वह महिला उस मर्द के साथ मियां बीबी का फ़र्ज़ निभाए | अर्थात यहाँ सम्भोग करे उस नये पति के साथ, अब वह नये पति उस पत्नी को तलाक दे दे | फिर उस औरत को पहली वाली पति के साथ निकाह कर सकती है |
 
अब प्रशन है एक औरत {पत्नी} को अपने से हटा कर दुसरे पुरुष के विस्तर का साथी बनाने से अल्लाह मियाँ को क्या लाभ ? इस्लाम का क्या भला हो रहा है ? किसी महिला को हम सम्मान नही दे सकते तो किसी को दुसरे मर्द के साथ बिस्तर के साथी किस लिए बनायेंगे ? देखें इसी घटना को सूरा बकर =आयत 30 से 35 तक |
यही सब अविद्या है इन अविद्या को जबतक दुनिया से नाश नही करेंगे तो विद्या की वृद्धि नही हो सकती | आज अगर जरूरत है तो इसी अविद्या को मिटा ने की जरूरत है | तभी हम विद्या की वृद्धि कर सकते हैं | महेन्द्रपाल आर्य =
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