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अश अल्लाह वाले अगर मानवता का पाठ पढ़ते |

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|| काश अल्लाह वाले मानवता का पाठ पढ़ते ||

परमात्मा की असीम अनुकम्पा है की हम सब अपने कर्मानुसार, मानव योनी में आ सके यह परमात्मा की असिमानुकम्पा है | कारण हम सब का कर्म ही था की मानव योनी को प्राप्त किया |

मानव योनी में तीन प्रकार हैं, मानवों में, जो स्त्री लिंग, पुल्लिंग, और नपुंसकलिंग | यह भी उसी कर्म का ही फेर है | विशेष कर हम आये दिन देखते हैं, सड़क पर ताली बजाकर ही भीख मांग कर अपना गुजारा करते हैं आदि, आदि |

हम जो मानव कहलाते हैं तो मात्र यह कहलाने की बात नही अपितु, उसपर आचरण करना ही परम दायित्व, और कर्तव्य है | अगर हम मानवता पर अमल नहीं करते,तो मानव कहलाने का अधिकारी हम नही बन सकते |

अगर हम इस मानवता को अमल पे नही लाते, तो मानव जन्म बृथा है, उसका उदहारण, है की जैसा पेड़ है मेवे का किन्तु उसमे मेवा न फले | या फिर जैसा चमड़े के बने हाथी, और लकड़ी की बनी हिरण, इनसे कोई लाभ नही लिया जाता, ठीक यही प्रमाण है, उन मानवों का जिसमे मानता न हो |

अब हमें यह जानना जरुरी है की आखिर वह मानवता क्या है, जो हम सब मानवों के लिए,करने योग्य है ? उसी मानवता को ऋषि दयानन्द जी ने अपने सत्यार्थ प्रकाश के अन्त में दर्शाए हैं | स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश: में संकेत किया है ,देखें क्या लिखा है, मनुष्य को सब.से यथायोग्य स्वात्मवत् सुख, दुःख, हानि, लाभ, में वर्तना श्रेष्ठ, इसके विपरीत समझना बुरा है |

अर्थात अन्यों के सुख, दुःख हानि, लाभ, को जो अपना लाभ, हानि समझे, यह है मानवता, अब जो लोग मानव कहला कर, उनमे यह गुण न हो, तो वह भी वैसे है, जैसा, चमड़े का बना हाथी, लकड़ी के बने हिरण जैसा, पेड़ मेवे का हैं किन्तु उसमे फल न लगने जैसा | काश अगर यही मानवता, प्रत्येक मानव मात्र के अन्दर हो गया होता, यह धरती स्वर्ग बनगया होता |

माननीय प्रधान मंत्री जी ने इसी मानवता को जाना, समझा, और अमल भी किया, की जिनके सामने मात्र मानवता ही मानवता है | जिन्होंने न किसी को अपना समझा न किसी को पराया | किसी प्रकार का भेद भाव आने ही नही दिया और न उनके मन में किसी प्रकार का कोई भेद भाव है |

मानवता का असली पाठ है जिन्हों ने उसी पाठ को मात्र पढ़ा ही नही किन्तु मानव समाज में चरितार्थ कर दिखया | जिस उमर अब्दुल्ला पिता पुत्र ने, मोदी जी के प्रधान मन्त्री बनने का विरोध किया था, यहाँ तक कहा था, की अगर यह प्रधान मन्त्री बनें इनको समुन्दर में डुबो दूंगा, भारत छोड़ दूंगा आदि |

इसे कहते हैं परमात्मा की मार, जो श्रीनगर में पड़ी, जो उमर अब्दुल्ला, खुद डूबने की कगार पे पहुंच गये, इनके अब्बूजान का नाम एक बार भी सुनने में नही आया, की वह है कहाँ ? भारत में हैं अथवा किसी और मुल्क में, जो ठिकाना बनाये हुए है वहां पहुंचे ?

उन्ही बाप बेटा का खेवैया माननीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ही ठहरे, इसे कहते हैं लोग, दूसरों के लिए कुंवा खोदते हैं, किन्तु गिरते खुद हैं |

यह मार है परमात्मा का, जिसे आदि दैविक दुःख कहा है ऋषि कपिल जी ने | और दुःख का मतलब ही होता है किये कर्मों का फल मिलना, परमात्मा कश्मीर में रुद्र कहला कर दिखा रहे हैं की अगर मानवता का उलंघन किया तो मै ऐसा ही रुलाऊंगा, मै ही रुद्र हूँ |

कहाँ गये वह नेता कश्मीर के जो भारत के खिलाफ हमेशा बोला करते हैं ? कहाँ गये वह लोग जो आये दिन,भारत व भारतियों को काफ़िर, काफ़िर का बच्चा कह कर पुकारते हैं, जिस नफरत का पाठ इन लोगों ने अल्लाह से सिखा है जिसे चरितार्थ करने में यह लोग लगे रहे |

यहाँ तक की जिस अल्लाह ने इन काफिरों को मारने के लिए उन मुसलमानों को ही कहा, की इन काफिरों को तुम्हारे हाथ अल्लाह सजा देना चाहते है, तुम 20 मुस्लमान, 200 काफिरों पर भारी पड़ोगे | देखें कुरान |

قَاتِلُوْهُمْ يُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ بِاَيْدِيْكُمْ وَيُخْزِهِمْ وَيَنْصُرْكُمْ عَلَيْهِمْ وَيَشْفِ صُدُوْرَ قَوْمٍ مُّؤْمِنِيْنَ 14۝ۙ ان سے تم جنگ کرو اللہ تعالیٰ انہں تمہارے ہاتھوں عذاب دے گا، انہںع ذللل اور رسوا کرے گا، تمہںْ ان پر مدد دے گا اور مسلمانوں کے کلجےَ ٹھنڈے کرے گا۔

अर्थ :- उनसे तुम जंग करो अल्लाह तायला उन्हें तुम्हारे हाथों अजाब देगा. उन्हें जलील और रुसवा करेगा, तुम्हे उनपर मदद देगा और मुसलमानों के कलेजे ठन्डे करेगा | तौबा-14

इस्लाम वालों देखो तुम्हारा अल्लाह का कहना झूठ है, अगर काफिरों को सजा देकर मुसलमानों का कलेजा ठण्डा करता है अल्लाह कुरानानुसार, तो श्रीनगर में मुसलमानों के कलेजे को जाकर टटोलो की उनके पास कलेजा है ? क्या वह बराबर के लिए अल्लाह ने ठण्डा कर दिया ?

يٰٓاَيُّھَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلَي الْقِتَالِ ۭاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صٰبِرُوْنَ يَغْلِبُوْا مِائَـتَيْنِ ۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفًا مِّنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ 65؀ اے نبی! ایمان والوں کو جہاد کا شوق دلاؤ (١) اگر تم مںم بسِ بھی صبر والے ہونگے، تو وہ سو پر غالب رہں گے۔ اور اگر تم ایک سو ہونگے تو ایک ہزار کافروں پر غالب رہں گے (٢) اس واسطے ک

अर्थ:-ऐ नबी, ईमान वालों को जिहाद का शौक दिलावो अगर तुममे 20 भी सबर वाले होंगे.तोवह 200 पर हावी रहेंगे,और अगर तुम 100, होंगे, तो 1000 काफिरों पर ग़ालिब रहेंगे | अनफल 65,

अब अल्लाह वालों को विचार करना है की अल्लाह की यह बात झूठी साबित हो रही है या नही श्रीनगर में ? की वहां हमारी सेना के जवान उन्हें कई दिनोसे अपने प्राणों कि परवाह किये बिना ही उन्हें बचा ने में लगे हैं, जब की यह अल्लाह वाले उन्ही पर पत्थर वारसा रहे हैं | जहाँ मानवता को तार तार किया जा रहा है | माननीय प्रधान मन्त्री जी का उपदेश है अपने सेना को. की हमें मानवता कि रक्षा करनी है, हमें जो उपदेश परमात्मा से मिला है वह हिन्दू मुस्लिम का नही मिला, वह सिर्फ और सिर्फ मानवता का मिला है | और हमें उसी मानवता की रक्षा करनी है, हमारे परमात्मा ने हमें यह भेद भाव नही सिखाया, परन्तु आत्मवत् सर्वभूतेषु का पाठ हमें बताया गया |

प्रत्येक जीवों में दया करने कि बात हमारे परमात्मा ने हमे सिखाया है, भले ही यह हमें समुंदर में डुबोना चाहा होगा, किन्तु इस वक्त,मात्र उमर अब्दुल्लाह पिता, पुत्र को नही किन्तु सभी कश्मीर वासियों को हमें डूबने से बचाना है | हमने बचपन से यही पाठ याद किया है, इसी को चरितार्थ करना ही मानवता की रक्षा है | आप लोगों का सहयोग हमें चाहिए, और मेरे जन्म दिन पर भी फुजूल खर्ची न कर उसी धन को उन कश्मीरियों पर खर्च करना |

मानव कहलाने वालों, मैं भी यही बताना चाहा, यही मानवता का पाठ अल्लाह वालों को भी सीखना था माननीय भारत के प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी से | यही मानवता का वोध, अगर हर अल्लाह वालों को होगया होता, फिर यह अमानवीय व्यवहार उन्हें करना नही पड़ता |

की जो हमारे ही रक्षा के लिए अपना प्राणों की बाजी लगाकर हमे बचाने के लिए आयें हैं, हम उन पर पत्थर बरसाए ? यह कौनसी और कहाँ की मानवता है ? पर भाईयों यह गलती उन अल्लाह वालों की नही है, यह तो पाठ पढ़ाया अल्लाह का ही है |

किन्तु भले ही यह पाठ अल्लाह ने ही पढ़ाया होगा पर यह पाठ सही है अथवा गलत यह विचार तो उन अल्लाह वालों को कर ही लेना चाहिए, की अल्लाह का यह पढ़ाया पाठ सही है या गलत ?

इसे परखें चाहिए की हमें तो अल्लाह ने हुक्म दिया उन काफिरों को मारने के लिए, जो 200 पर हम 20 भारी पड़ेंगे बताया है | पर यहाँ तो उल्टा ही हो रहा है की जिन्हें हमें अल्लाह ने मारने को कहा वही हमें मरते हुए को बचा रहे हैं | अब भी तो अल्लाह का पढ़ाया हुवा यह पाठ को छोड़ कर  माननीय प्रधान मंत्री जी के पढ़ाये पाठ को पढ़लेना चाहिए |

इस से अल्लाह की बातें गलत प्रमाणित हो गया, की यह दैवीय आपदा अल्लाह कि नही, कारण अगर अल्लाह का ही होता तो मुसलमानों पर नही होना था |

महेन्द्रपाल आर्य = 1 /10 /20 =

 

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