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आखिर इस देश का नाम सोने की चिड़िया क्यों पड़ा ?

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आखिर कुछ तो कारण होगा जो इस देश को सोने की चिड़िया कहा गया है इसका मूल कारण है सृष्टिकर्ता ने सृष्टि की रचना इसी देश से आरम्भ किया,किसी अन्य देश से नहीं ।
परमात्मा ने मानव मात्र को अपना ज्ञान,आदेशात्मक और निषेधात्मक दो प्रकार का ज्ञान दिया, यह करना है और यह नहीं करना है बतया । इसी ज्ञान को मानव मात्र तक पहुंचने के लिये चारों ऋषिओं का आगमन इसे देश में ही हुवा ।
इसके अतिरिक्त सभी शास्त्रों का उपदेश 6 ऋषिओं ने षट दर्शन को बताने वाले ऋषिओं का आगमन इसी देश में हुवा । अपने साधना के वल पर अनेकों ऋषि और ऋषिकाएं इसे देश में आये ।
जब विदेशिओं का आक्रमण हुवा जैसा सिकन्दर सलूकस मिटाने को आये खुद ही मिट गए पर इस देश को मिटाने ना पाये । एक बहुत बड़ा इतिहास है इस देश का ।
हमारी ऋषि परम्परा और हम ऋषियों के वँशज कहलाते रहे,वेदज्ञान जो परमात्मा का दिया हुवा है वह मानव मात्र को मानव बनने का उपदेश है। जिसमें ना हिन्दू मुस्लिम सिख और ईसाई जैन बुद्धिष्टों की चर्चा है,समग्र मानव मात्र के लिए उपदेश है।
किसी व्यक्ति विशेष का नाम किसी का भी वंशावली नहीं है सिर्फ और सिर्फ मानव और मानवता का उपदेश है आदि सृष्टि से यह चलती चली आ रही है परमात्मा का ज्ञान पूर्ण होने हेतु जिसे बदलने का प्रश्न ही नही । जो किसी भी मजहबी किताबों में यह नहीं मिलेंगे, सभी मज़हवी किताबों को बदल बदल कर दिया गया कभी कुछ और कभी कुछ।
यही कारण बना इस देश को मात्र सोने की चिड़िया ही नही और अनेक नामों से पुकारा गया है । हमें आज अपने पूर्वजों की इतिहास को जानने की जरूरत है। महेन्द्रपाल आर्य 28 जनवरी 017

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