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आखिर धर्म है क्या ?

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आखिर धर्म है क्या ?

आज धरती पर मानव समाज में धर्म के नाम से एक दुसरे से अलग हैं, और इसी भेद ने मानव समाज को धर्म के नाम से एक दुसरे से अलग भी किया है, यहाँ तक के इसी धर्म के नाम से एक दुसरे को कतल करने पर आमादा हो गये | जानने और समझने योग्य बात यह है की जो धर्म अआत्मा से जुडी होती है यानि धर्म आत्मा का विषय है, जिसमें दिखावटी बनावटी को स्थान नहीं है फिर वही धर्म मानव को मानव से लड़ने लडाने का काम करे या लड़ने को कहे या लड़ने का उपदेश दे क्या वह धर्म है या धर्म होना अथवा उसे धर्म कहना संभव होगा या उचित ?

आज इसी पर हम विचार करेंगे, की आखिर धर्म है क्या,इस संसार में धर्म के साथ जितना दुर्व्यवहार हुवा है उतना अन्य किसी के साथ नहीं हुवा | हर व्यक्ति एबं वर्ग ने, धर्म के विषय में अपनी अपनी मान्यताएं स्थापित करदी है किन्तु कोई भी इसका स्पस्ट व्याख्य नहीं दे सका | धर्म भी इतना ही व्यापक है जितनी यह सृष्टि | इस लिए इसे गिने चुने शब्दों की परिभाषा में बाँधना कठिन है | सृष्टि की उत्पत्ति एबं उसका संचालन धर्म से ही हो रहा है | जिस श्रष्ठा ने यह सृष्टि बनाई है धर्म की स्थापना भी उसी ने की है जिससे इस का संचालन हो रहा है | जब धर्म की स्थापना किसी व्यक्ति द्वारा निर्मित नहीं है, स्वयं ईश्वर ही धर्म का निर्माता हैं, जिसका कार्य ही योजना के अंतर्गत ही तैयार होती है, जिसके कार्य बिना किसी वाधा के सुसंचालित हो ता आ रहा है, जिसमे किसी का कोई हस्ताक्षेप नहीं होसकता और न तो कोई उसके सृष्टि कार्य में कोई हस्ताक्षेप कर सकता है और ना किसी का हस्ताक्षेप करना ही संभव है | सृष्टि संचालन के भी ऐसे ही ईश्वरीय नियम है जिसे हम धर्म कहते हैं, अथवा जिसे धर्म कहा जाता है | दुसरे शब्दों में धर्म वे ईश्वरीय नियम है जिनके आधार पर हम समस्त जड़,व चेतनात्मक जगत का सचालन हो रहा है |

जिसमें जड़ प्रकृति के अलग अलग धर्म अथवा नियम है, जिनसे इन समस्त आकाशीय पिण्ड एवं भौतिक पदार्थों की क्रिया प्रणाली का संचालन हो रहा है | जिसके बनाये धर्म में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता | सृष्टि की समस्त प्राकृतिक घटनाएँ किसी नियम के अनुसार ही हो रहा है चल रहा है,अभी भी विज्ञान जिसे खोज रही है |

जिस चेतन परमात्मा ने इस जगत में जीव जन्तु, पशु पक्षी,चर अचर,ब्रह्माण्ड को धर्मों के अनुसार ही स्वाभाविक जीवन यापन करने में कोई परिवर्तन होने नहीं देते इसी खूबी के कारण ही परमात्मा, सृष्टि कर्ता संचालन कर्ता, और स्थिति कर्ता कह लाते हैं |

सभी चेतन प्राणियों में मनुष्य को ही एक ऐसा सुविकसित प्राणी बनाया है जिसे स्वचेतन का ज्ञान दिया है जिस मानव के पास बिकसित मन, एबं बुद्धि, है | यही कारण है की यह मानव सभी प्राणियों में श्रेष्ट कहलाया है | इसलिए धर्म का ज्ञान व महत्व मनुष्यों के लिए ही है | मनुष्यों को परमात्मा ने धर्म के आधार पर अपना जीवन जीने का ही उपदेश दिया है, मनुष्य को सब कुछ देने के बाद भी मनुष्य परमात्मा के कार्य प्रणाली पर कोई हस्ताक्षेप नहीं कर सकता, और ना करने का अधिकार मनुष्य को दिया है |

जैसा परमात्मा का बनाया यह धरती, आकाश वायु,चाँद सितारा, सूरज, पहाड़, नदी नाला सागर, पर्वत, जितने भी परमात्मा के बनाये हैं जिसमें मनुष्यों का कोई हस्ताक्षेप होना संभव नहीं है, लाखों प्रयास करने पर भी मनुष्य परमात्मा नहीं बन सकता और ना परमात्मा के बनाये सृष्टि का कोई नकल बना सकता है,यही विशेषता है परमात्मा में |

किन्तु धर्म के नाम से मत मज़हब वालों ने अपने मनमानी चलाकर इस सृष्टि नियम विरुद्ध कार्य को किया जाना सत्य मान लिया है | जैसे कुरान में देखें, सूरा 18 =86

حَتَّىٰ إِذَا بَلَغَ مَغْرِبَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَغْرُبُ فِي عَيْنٍ حَمِئَةٍ وَوَجَدَ عِندَهَا قَوْمًا ۗ قُلْنَا يَا ذَا الْقَرْنَيْنِ إِمَّا أَن تُعَذِّبَ وَإِمَّا أَن تَتَّخِذَ فِيهِمْ حُسْنًا [١٨:٨٦]

यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जुलकरनैन (तुमको एख्तियार है) ख्वाह इनके कुफ्र की वजह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एख्तियार करो (कि खुद ईमान क़ुबूल करें) |

اقْتَرَبَتِ السَّاعَةُ وَانشَقَّ الْقَمَرُ [٥٤:١]

क़यामत क़रीब आ गयी और चाँद दो टुकड़े हो गया | सूरा 54 = आयात 1

 

अब मानव कहलाने वाले यह बताएं जब परमात्मा के बनाये सृष्टि नियम पर कोई हस्ताक्षेप नहीं कर सकता | फिर कुरान का यह कहना कहाँ तक सही है, की सूरज कीचड़ वाला तालाब में डूबता देखा जा रहा है | और चाँद दो टुकड़ा हो गया यह सत्य माना जा रहा है ? क्या इसे धर्म कहेंगे और इस ग्रन्थ को धार्मिक ग्रन्थ माना जायेगा कहा जायगा स्वीकार किया जायगा ?

फिर कल आगे लिखेंगे इसे =                               महेन्द्रपाल आर्य = 28 =6 =18

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