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|| आज भारत में मनाया गया सरस्वती पूजा व् बसंत पंचमी ||

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आज भारत में मनाया गया सरस्वती पूजा व वसन्त पंचमी ||
हिंदी भाषियों में मनाया जाता है वसंतपंचमी, और बंगाल आसाम आदि प्रान्तों में इसे सरस्वती के मूर्ति को पूजते हैं |
वसन्तपन्चमी का ही दिन था हम सनातन वैदिक धर्मियों के लिए इसे ऐतिहासिक दिन अथवा एक दुखद, या शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है | पंजाब के शियाल कोट में जन्मे एक धार्मिक परिवार का बालक जिनका नाम वीर हकीकत राय था, जिन्हों नें इस वसन्तपंचमी के दिन को ऐतिहासिक बनागये थे हम लोगों के के लिए |
बात मुग़ल काल की है जिन दिनों में सम्पूर्ण भारत भर एक वाराणसी को छोड़ कहीं पर भी हिन्दू धर्म की कोई शिक्षा की स्थान नहीं थी, सब जगह इस्लामिक शिक्षा के लिए जगह जगह मदरसे खुले हुए थे, जिस मदरसे में हिन्दू घराने के भी बच्चे पढ़ते थे | कारण उन्हें पढने के लिए दूसरी कोई स्थान नही थी, तो उसी मदरसे में पढना हिन्दुओं की मज़बूरी थी | एक दिन की बात है वीर हकीकत राय मदरसे पढ़ने नही गये, यानि मदरसा नागा कियाथा | दुसरे दिन जब वीर हकीकत पढ़ने मदरसे पहुंचे तो उनके सहपाठी जो मुस्लिम घराने के थे, उन्हों ने हकीकत को ना आने का कारण पूछा |
वीर हकीकत राय ने सहज भाव से ना आने का कारण बताया कल मैंने माँ भवानी का वर्त रखा था, इसी लिए कल पढ़ने नही आया | इतना सुनते ही उन मुसलमान बच्चोने माँ भवानी को पचासों गाली दे डाली | वीर हकीकत ने काफी देर तक गाली सुनने के बाद वही शब्द फातिमा जो {हज़रत,मु० साहब की } लड़की थी उनके लिए कह दिया |
मुस्लमान बच्चों ने बहुत मारा उन्हें, और पढ़ाने वाले मौलवी साहब से इसकी शिकायत करदी और कहा की हकीकत ने हज़रत फातिमा को गाली दिया है,उन्हों ने पहले गाली दिया था यह नही कहा | इधर वीर हकीकत राय मौलाना साहब के बड़े होनहांर पढ़ने वाले बच्चे थे,
मौलाना साहब ने खूब समझाया वीर हकीकत राय को, की तुम कहना मैंने कोई गाली नहीं दी,पर हकीकत राय ने झूठ बोलने से मना किया | बात काजी साहब तक पहुंची फिर क्या था काजी साहब ने उन्हें सजाये मौत दिया | वीर हकीकत बचपन में ही मौत को स्वीकार किया किन्तु झूठ नही बोला | आज का दिन हम वैदिक धर्मियों के लिए वह दिन है की हमारी संस्कृत हैं हम धर्म के लिए भी अपना गला कटवाते आये हैं, धर्म की रक्षा के लिए अपनी प्राणों की बाजी लगा देते हैं | हमारा इतिहास गवाह है हमारे अनेकों महापुरषों ने इसी प्रकार मुसलमानों के हाथ अपनी गर्दन कटवाए हैं | वैदिक धर्मियों ने अपने खून से ही इतिहास लिखा है, इस्लाम तो जन्म काल से गैर मुस्लिमों को क़त्ल किया है इस्लाम स्वीकार ना करने पर | यह कहानी लम्बी है मैंने मात्र थोड़ी सी जानकारी आप लोगों को देने का प्रयास किया है | आज हमलोगों को वीर हकीकत राय को श्रद्धांजलि देना चाहिए और उन्हें अपना आदर्श मान कर धर्म की रक्षा के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली -1 फरवरी =017 =

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