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इतिहास के झरोखे से

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|| इतिहास के झरोखेसे ||

इतिहास साक्षी है की, सृष्टि की रचना इसी आर्यावर्त देश से हुई –उसके बाद असंख मानव कहलाने वाले यत्र तत्र उत्तर उत्तर विकसित होते गये अपने अपने हिसाबी से, अपनी कला कृति को खोजते खोजते आगे बढ़ते प्रयास करते गये | इसी आर्यवर्त देश को सोने की चिड़िया कहा गया |  यही कारण है इसी देश पर सभी देश वासी नज़र गाड़े या नज़र लगा बैठे | इस देश के ऋषि मुनियों ने वेद ज्ञान के माध्यम से मानव समाज को उन्नति की  शिखर तक ले गये – इसदेश पर नज़र सबसे पहले मुसलमानों की लगी, इस्लाम जन्म काल से धरती पर अपनी मान्यता लेकर चली की हमारी मान्यता स्वीकार करो वरना मौत को गले लगाव | इसे चरितार्थ करती हुई इस्लाम अनेक बार पिटकर भी अपनी आस नहीं छोडी |

और एक दिन इस आर्यावर्त देश को अपना गुलाम बना लिया इस देश में उनका लक्ष्य था की इरान ईराक इन्डोनेशिया जैसे इस आर्यवर्त को भी इस्लामिक देश बनाना, यह प्रयास किन्तु इस्लाम का विफल रहा | इसका मूल कारण है यह देश ऋषि और मुनियों का है उनके तप और साधना का यह नतीजा है की इस्लामी तलवारें चलने के बाद भी इस देश को वह इस्लामिक देश नहीं बना पाए |

देश को गुलाम बना तो लिया और अपना शासन भी चलाया, सौ दो सौ वर्ष नहीं अपितु प्रायः आठ सौ वर्षों तक शासन किया |  इसके बाद भी इस देश को इस्लामिक देश नहीं बनापाया, इसका मूल कारण है इस देश के ऋषि और मुनियों के तप साधना ही है |

आश्चर्य की बात तो यह है की जिस देश में शासन इतने वर्षों तक मुसलमानों के हाथ में थी, इसके बाद भी आज इस देश में रह रहे मुसलमानों की दशा मोटर गेरेज या टायरपंचर  तक ही सिमीत क्यों है ? इसकी ज़वादेही कौन है किसके पास है इसका जवाब ? आज भारत में रहने वाले मुसलमान कोसते हैं भारत सरकार को,की हम मुसलमानों के लिए क्या किया ?  इसका जवाब है की मुसलमानों का शासन रहने पर भी जब आठ सौ वर्ष तक वह मुसलमान बादशाहों ने मुसलमानों का भला नही किया – तो इन सत्तर वर्षों में भारत में सरकार चलाने वाले क्या कर लेते ?

इसके लिए दोषी मुसलमान अपने आप ही है – कराण इनका लक्ष्य यही रहा तबसे अबतक की पढने लिखने से क्या होना है जो कुछ होना है अधिक संतानें उत्पन्न करने से होना है | एक बार फिरसे इस देश का शासन अपने हाथ में ही लेना होगा फिर उसके बाद देखें गे | किन्तु यह मुसलमानों का सपना दिनमें देखने वाली है कारण जब आठ सौसाल तक तुमने शासन चलाया फिर भी कुछ उन्नति मुसलमानों का नहीं कर करा पायें तो अब क्या करोगे ?

रही बात स्वपन देखने वाली तो स्वपन देखना तुम्हारा अधिकार है देखो खूब देखो और जमकर देखो स्वप्न देखने में तुन्हें कोई नहीं रोक सकता | पर स्वप्न तो स्वप्न ही है दिनमें देखो चाहे रात में | तुम इस्लाम वालों का काम ही है स्वप्न देखना इसी लिए तो आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में अस्थिरता फ़ैलाने में लगे हो |

क्या इस्लाम वाले यही सोच कर सम्पूर्ण भारत वर्ष में उधम मचाने में लगे हैं ? क्या इस से देश का भला होगा या मुस्लिम कौम का भला होना संभव है ? अरे भाई जब शासन चलाकर ही तुम अपनी भला नहीं कर सके तो अब शासन तो गैर मुस्लिमों के हाथ में है सोचकर तो देखो सत्यता क्या है कहाँ है | गलती किंनकी है और कहाँ है जब मुसलमानों का ही हित अहित सोचने के लिए भेजा नहीं है तो तुम इस्लाम वाले देश के लिए क्या सोचोगे भला ?                          महेन्द्रपाल आर्य = 14/12/19=

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