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इनका नाम अग्निपेंच ह्पना चाहिए

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|| इनका नाम अग्नि पेंच होना चाहिए ||

यह लेख नवेम्बर 213 का है, आसाम के गौहाटी में अग्निवेश ने क्या बोला था उसे देखें |

| पाठकों से मेरी विनती है की सम्पूर्ण लेख को ध्यान से पढ़ें, अति कृपा होगी |

मेरे पास एक मेल आया पत्रिका में छपे वक्तब्य को सःचित्र भेजा, पत्रिका है दैनिक

पूर्बोदय | 10 -11 -2013 का है यह पत्रिका गुवाहाटी आसाम से निकलती है | प्रथम

लाइन है “ गुवाहाटी 9 नवंबर, राजनीति और संप्रदायिकता के बीच घोलमेल को

खतरनाक बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा की राजनीतिक

मुनाफे के लिए संप्रदायिकता का खेल खेला जा रहा है, और खास कर, RSS पूरे देश को

संप्रदायिकता रंग में रंगने की कोशिश कर रही है | उन्होंने गुजरात दंगे का तानाबाना

RSS पर बुनने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा की यह हिन्दूत्ववादी संगठन पुरे

देश में गुजरात माडल लागू कर, गुजरात के हीरो को देश का हीरो बनाना चाहती है |

डान बास्को विश्विद्यालय के एक कार्य क्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं को

संबोधित करते हुए अग्निवेश ने कहा की नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्य मंत्री बनने से

पहले ही आरएसएस ने गुजरात दंगे का तानाबाना बुन लिया था और मोदी को प्रधानमंत्री

बनाने के पीछे आरएसएस का उद्देश्य प्रधानमंत्री से कही आगे है | गुजरात दंगों के

बारेमे पूछने पर कहा उन्होंने व्यक्तिगत रूपसे मोदी से मिलकर गलती स्वीकार कर देश

से मांफी मांगने के लिए कहा था, जिसपर मोदी ने कहा वह दोषी नहीं हैं, और उन्होंने

कुछ भी नहीं किया है |

अब मै अपने देशवासिओं को यह बताना चाहूँगा, यह वक्तव्य इन्होंने कहाँ दिया ? डान

बास्को विश्वविद्यालय में | जो यह आसाम प्रान्त में है, मेरा सवाल होगा इस अग्नि पेंच

से की आप आसाम में गुजरात दंगो की बात करने लगे, उसके बाद वाला दंगा आसाम

का ही था वह आप को याद किसलिए नहीं आया ? क्या वह दंगा भी RSS वालों ने ही

कराई ? क्या हमारे देश वासी नहीं जानते की आप ईसाई, मुस्लमान, नक्शालिवों, और

कांग्रेस, के एजेंट हैं ? क्या आप भूल गये की उड़िसा में उस पादरी प्रकरण में आपने

क्या क्या लिखा था ? आसाम जाकर आप को गुजरात का दंगा याद आगया, अभी की

ताजा दंगा U.P के मुज़फ्फर नगर याद नहीं आया, क्या यह दंगा भी आरएसएस ने कराई

? अरे साहब झूठ बोलने के लिए भी अकल होना चाहिए जो आप के पास नहीं है | मैंने

अपने अनेक लेखों में यह प्रमाणित कर चूका हूँ की आप अवैदिक हैं सन्यासी के नाम

कलंक है |

गुजरात दंगों से पहले यह तानाबाना अगर आरएसएस ने बुना था जो आप कहरहे हैं,

मतलब भी साफ है की आप को यह जानकारी थी ? अगर यह बात सही है तो आप ने

देश के साथ विश्वासघात किया, कारण अगर आपको जानकारी थी और आप ने यह

जानकारी भारत सरकार को नहीं दी | अगर आप जानकारी देते तो उस दंगे से गुजरात

को बचाया जा सकता था | आप ने जो कहा वह सही है या मै जो कह रहा हूँ वह सही

है ? और अगर दंगों से पहले आप को यह जानकारी थी की आरएसएस वाले ही दंगा

की तानाबाना बुना है, मतलब यह साफ है की आप सन्यासी नहीं जासूस हैं ? अगर यह

बात नहीं तो आप योगी तो नहीं हैं की योग साधना के बल से आप जान गये हों | और

अगर यह सही हैं की आप योगी हैं, तो भारत पर इतने दिनोंसे पाकिस्तानी आतंकवादी

हमला पर हमला करते आ रहे हैं, उसकी जानकारी आप को किसलिए नहीं हुई ? अग्नि

पेंच जी आप अपनी ही पेंच में खुद फसें हैं, यह तो पूरी दुनिया ने देखलिया आपकी

अन्ना हजारे जी के साथ की मक्कारी को | आपने जो मक्कारी किया उसे आप झूठाला

सकते हैं, क्या यहकोई योगी का काम है ? इस काम से आप अपने आप ही लज्जित

होकर बिगबोस में चले गये थे, यही योगी का काम है ?

आपके मुताबिक आरएसएस वाले गुजरात दंगों का तानाबाना बुन लिया था, पर आप ने

अन्ना आन्दोलन में कपिल सिब्बल से बात कर भी झूट बोले पत्रकारों से, यह तानाबाना

किसका बुना हुवा था ? क्या लाल वस्त्र पहन कर दुनिया के सामने झूठ बोलते आपको

शर्म नही आई ? क्या आप वह दिन भूल गये की जब स्वामी आनंन्द बोध जी के लाल

सन्यास वस्त्र उतरवाने के लिए महर्षि दयानन्द भवन 3/5 असफाली रोड में आप लोग

यतिमंडल धरणा में बैठे थे, स्वामी सर्वानन्द जी से कहरहे थे की आपने इन्हें लाल वस्त्र

सन्यास का कपड़ा दिया है वह उतरवा दें | क्या आप भूल रहे उस को, जब की स्वामी

आननन्द बोध, आप जैसे झूठ बोलने वाले दुनिया के सामने सिद्ध नहीं हुए थे | की खुद

झूठे होकर दूसरों पर आरोप लगाना यह आपकी बृत्ति प्रथम से रही है, मै याद दिलारहा

हूँ आपको, की झूठ बोलना शुरुसे आदत रही आप की |

शायद आप को यह मालूम नहीं की भारत में चरित्र निर्माण का कार्य अगर किसी संगठन

ने किया है, तो सबसे पहला नाम आर्यसमाज का है | और दूसरा नाम आरएसएस का है

राष्ट्रविरोधी आर्य वा हिन्दू नहीं हो सकता | किन्तु सन्यासी तो आप हिन्दुओं के ही हैं,

आर्यों के आप हो ही नहीं सकते, कारण आप का सारा काम वैदिक मान्यता के विरुद्ध

है, आप जानते ही नहीं वैदिक मान्यता को, ऋषि दयानन्द के भी मान्यताओं के विरुद्ध

है आप, जो मैंने लेखों के माध्यम से दुनिया वालों को प्रमाण दे चूका हूँ | अगर दयानन्द

से सहमत होते तो उनके विरुद्ध काम ही नहीं करते, अफ्तारपार्टी देना दयानन्द का काम

है? पर एक बात आपने सही कही की गुजरात का हीरो को प्रधानमंत्री बनाकर देश का हीरो

बनाना चाहते, मतलब आप भी श्री मोदी जी को हीरो ही मानते हैं | तो जब आप हीरो

मानते हैं फिर उन्ही हीरो का विरोध करना ही दोगलेपण को दर्शाता है | अगर आप होरो

नहीं मानते तो हीरो कहनेकी ज़रूरत ही क्या थी ?

देश वासी आप से पूछना चाहती है, की क्या देश की वह हीरो हो सकते हैं जो इस देश

में कितने प्रान्त है उसे ही नहीं जानता हो ? क्या हमारे देश के हीरो उनको होना चाहिए

जो आज़ादी के लड़ाई में सबसे पहले शहीद होने वाले का नाम न जाने ? सबसे कम

आयु वाले शहीद का नाम न जाने, एक माँ ने अपने तीनों बेटेको फांसी खाते देखी उस

परिवार का नाम न जाने, स्वतंत्रता के अधिनायक का नाम न जाने ? क्या हमारे देश

का हीरो ऐसे को बनायें जो देशवासिओं को आज तक पता नहीं की माँ बेटे का असली

नाम क्या है ? हमारे धर्म प्रधान देश का हीरो वही हो जो धर्म को ही नहीं जानता हो ?

आप दयानन्द के आर्य समाज में अवैध कब्ज़ा किये बैठे हैं क्या यही मान्यता दयानन्द

की है ? क्या आप ने नहीं जाना की जब 1872 में दयानन्द ने अंग्रेज वायेसराय को

कहा था विदेशी राजा से अच्छा होता है अपने देश का राजा ? आप संप्रोदयिकता का

झगडा आरएसएस वालों के मार्फ़त हो रहा है कह रहे हैं, तो आसाम के दंगों में क्या

आरएसएस के लोग थे ? यही गलत बयानी के कारण भारत के कई जगहों में मंचपर

ही अपमानित होना पड़ा पगड़ी छिना गया | आप चाहते हैं आरएसएस वाले दंगे करवाते

है गेरुवा आतंकवादी कहते हैं | तो जो आतंकवादी अभी पकडे गये अब्दुलकरीम, यासीन

जैसों को आप ने किसलिए नहीं बताया की इस्लाम में आतंकवाद नहीं है और तुमलोग

इस्लामी शकल सूरत में यह आतंकवाद किसलिए फैला रहे हो ? या तो आप के किसी

मुस्लिम दोस्त या संगठनों ने उनलोगों को कहा हो तो बताएं ? आप को पता नहीं

जबतक धरती पर यह संप्रोदाय है – उस वक्त तक यह संप्रदायिकता को मिटाना संभव

ही नहीं | रही बात भगवा आतंकवाद की, तो यह शब्द अपने आप मे गलत है कारण

हमारे देश के झंडे में भी यही गेरुवा रंग है, क्या उस झंडे को आप बदल सकते हैं,

यहशब्द अपने आपमें ही गलत है |

;महेन्द्रपाल आर्य – वैदिक प्रवक्ता —–

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