Your cart

Smart Watch Series 5
$364.99x

Running Sneakers, Collection
$145.00x

Wireless Bluetooth Headset
$258.00x
Total:$776.99
Checkout
इशावारिय ज्ञान की कसौटी क्या है ?

Mahender Pal Arya
23 Jul 20
274
|| ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या है ||
डॉ जाकिर नाईक के पुस्तक का जवाब |
डॉ ज़किर नाईक की एक पुस्तक है क्या कुरान ईश्वरीय ग्रन्थ है ?
इस नाम से इस में जो बातें उन्हों ने लिखी है,वह तर्क की कसौटी पर खरा उतरती है या नहीं, जिस को दुनिया वालों के सामने मै रख रहा हूँ, इसे ध्यान से पढ़ते जाएँ और ईश्वरीय ग्रन्थ कुरान है, या वेद उसका निर्णयलें |
पहले यह जानना ज़रूरी है की ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या है ? ईश्वर.ज्ञान किसको देता है, क्या ईश्वर अपना ज्ञान किसी मुल्क वालों की भाषा में देता है ?
ईश्वरीय ज्ञान कभी बदल बदल कर आता है ? ईश्वरीय ज्ञान सार्वकालिक होता है अथवा कुछ कालके लिए होता है |
पहले मै जाकिर नाईक साहब को बताना चाहूँगा की ईश्वरीय ज्ञान की परख या कसौटी क्या है उसे जाने और समझें | पहले हम इसकी पड़ताल करते हैं, की परमात्मा का ज्ञान क्या,क्यों, कैस, और किस लिये ?
जाकिर नाईक मानते हैं और सम्पूर्ण इस्लाम भी मानता है, की कुरान से पहले अल्लाह तयाला ने किताब या ज्ञान के रूप में तीन किताबें दी है | और अंतिम किताब के रूप में अल्लाह ने कुरान को हज़रत मुहम्मद मुस्तफा {स} को दिया, जो इनकी मान्यता है इसी पर ही विचार करलेते हैं पहले, फिर नाईक जी के तर्कों को देखेंगे |
अब यहां कई सवाल खड़े हो गये, जैसा ऊपर बताया गया की यह चारो किताब अल्लाह का दिया हुआ ज्ञान है |
पहला प्रश्न होगा की अल्लाह का ज्ञान पूर्ण है अथवा अपूर्ण ? अगर अल्लाह का ज्ञान पूर्ण है तो उसे दोबारा ज्ञान देनेकी आवश्यकता नहीं है |
क्योकि पहले वाली ज्ञान में अगर कुछ कमी रही, तो दूसरी बार उसे पूरा किया जाता है | कहीं पहले ज्ञान में कमी थी, तो वह अल्लाह ज्ञानी नहीं है, और कहीं यह ज्ञान अल्लाह का है ?
कैसे सिद्ध हो सकेगा की यह अल्लाह का ही ज्ञान है, कारण ज्ञान का बदलना किसलिए होगा जब वह पूर्ण है ? ज्ञान के बदलने से पहले वाले कहेंगे यही असली ज्ञान है, और बाद वाले कहेंगे नही उसे हटा कर असली ज्ञान अल्लाह ने यह दिया है, जैसा कुरान |
अब इसे लेकर मानव समाज में विभेद सृष्टि हो गया, जैसा ईसाई, और मुसलमानों में,अथवा तौरात,जबुर, इन्जील, और कुरान में | यहाँ हर एक ने दावाकिया की यही कलामुल्लाह है, इसे लेकर आज मानव समाज में मतभेद, या फिर झगड़ा जैसा आज दुनिया में देख रहे हैं |
तो फिर अल्लाह में और परमात्मा में भी अंतर हो गया क्योकि परमात्मा का ज्ञान पूर्ण है, आदि सृष्टि से है, मानव मात्र के लिए है,मानव मात्र की भाषा में है | विज्ञान विरुद्ध बातें परमात्मा के ज्ञान में होना संभव नहीं, और परमात्मा के ज्ञान में सृष्टि नियम विरुद्ध बातों की गुंजाइश नहीं | और न ही परमात्मा के ज्ञान में किस्सा कहानी, और न ही परमात्मा के ज्ञान में व्यक्ति विशेष के नामों की चर्चा, और न ही किसी की वंशाबली |
ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी ईश्वरीय ज्ञान की किताब उतारने की आवश्यकता बता सके | ईश्वरीय ज्ञान में किसी परिवार के घरेलू झगड़े,जो मनुष्य से सम्बन्ध रखता हो वह न हो, ईश्वरीय ज्ञान सत्यता के विरुद्ध न हो |
ईश्वरीय ज्ञान को मनुष्य अपने ईश्वर के गुणों को जानकर उसकी उपासना कर सके | ईश्वरीय ज्ञान में ईश्वर की निन्दा न हो, क्यों की उसकी उपासना करना संभव न होगा |
ईश्वरीय ज्ञान जिस पुस्तक से ईश्वर पर अज्ञानता का दोष लगे वह ईश्वरीय ज्ञान नहीं हो सकता |
ईश्वरीय नियम से बनाई हुई वस्तुओं का मानव नक़ल नहीं कर सकता |
ईश्वरीय ज्ञान की किताब का नक़ल क्यों और कैसे हो गई ? मनुष्य के द्वारा किसीभी बीज का बनना या बना ना संभव नही हो सकता, फिर उस ईश्वर के दिए ज्ञान का नक़ल मानव कैसे करसकता है भला ?
यह सब ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी है, क्या कुरान हो या बाईबिल आदि जितने भी मजहबी किताबें है, वह इन कसौटी पर खरा उतरने वाला नहीं है,इस से यह सिद्ध हुवा कि यह सभी पुस्तकें मानव कृत ही हैं |
जो कसौटी ऊपर दी गई इन्ही कसौटी को, कुरान,पूराण,बाईबिल,तौरात,जबूर.इंजील,गुरुग्रंथ, त्रिपिटक,जिन्दाबिस्ता,बिज्जक,यह जितने भी है सभी मानव के बनाये होने से किस्सा कहानी.व्यक्ति विशेष का नाम उनकी पारिवारिक जीवन की घटना उनकी शादी उस ईश्वर के मार्फ़त होना या कराना |
किनसे शादी करे यह भी ईश्वर को उसपर मोहर लगाना,किसी कुंवारी से संतान पैदा करना,समलैंगिकता की बातों की चर्चा होना, किसी के कहने पर सभी प्राणियों को हलाक कर देना,इस प्रकार की जितने भी बातें है वह ईश्वरीय ग्रंथों में होना संभव नहीं ईश्वर पर दोष लगेगा |
मै इस्लाम की चर्चा करुंगा और माननीय डॉ जाकिर नाईक साहब को बताना चाहूँगा की इस्लामिक मान्यता अनुसार जब अल्लाह ने कुरान से पहले अपना ज्ञान दिया था तो पहली किताब में कौन सी बातें रह गयी थीं जो दूसरी में पूरी की ?
फिर दूसरी में अल्लाह सारा ज्ञान नहीं दे पाए फिर तीसरा ज्ञान देना पड़ा ? फिर अल्लाने देखा की अरे दुनिया बनाने से पहले जो नूर बनाया था मुहम्मद का उसकी चर्चा तो अभी तक दुनिया वालों को बताया ही नहीं |
तो फिर अल्लाह ने पहले की तीनो किताबों को मनसुख कर दिया,और चौथी किताब कुरान को अंतिम ज्ञान के रुपमे दिया अल्लाह तायला ने, हज़रत मुहम्मद [स] पर नाजिल किया |
यही मान्यता आप की है और कुरान में भी अल्लाह ने यही बयान किया देखें,अल्लाह ने क्या कहा
| सूरा बकर का आयत ,106 مَا نَنسَخْ مِنْ آيَةٍ أَوْ نُنسِهَا نَأْتِ بِخَيْرٍ مِّنْهَا أَوْ مِثْلِهَا ۗ أَلَمْ تَعْلَمْ أَنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
अर्थ :- हम किसी आयात को चाहते मौकूफ कर देते या उसको बदल देते ,या भुला देते हैं या कोई और लाते हैं उससे बेहतर या बराबर क्या तुझे मालूम नहीं अल्लाह हर चीज पर कादिर है |
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है की अल्लाह अपना सर्वशक्तिमान का परिचय देते हुए कहा हम जब चाहें जैसा चाहें एक बात को हटा सकते हैं,और उसकी जगह हम दूसरी बात सुना सकते हैं हम जो चाहें सो कर सकते हैं, हम सर्वशक्ति मान जो ठहरे |
डॉ जाकिर नाईक साहब आप को यह पता होना चाहिए की आप अपने घरमे भी अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते – आप को सभी घर वालों को लेकर ही चलना पड़ेगा, दूसरी बात है की आप अगर बार बार बात बदल बदल कर बोलेंगे लोग आप को अच्छी निगाहों से नहीं देखेंगे और कहेंगे अरे यह तो बोहुत बेकार आदमी है कभी कुछ और कभी कुछ कहते रहते हैं |
यह बात हुजुर के सामने ही उठी थी, की आप अल्लाह के नाम से कभी कुछ और कभी कुछ बोलते रहते हैं | जो बात बदलते नहीं दुनिया के लोग ही उसकी तारीफ {प्रशंसा }करते है और कहते है यह शख्स वादे के पक्के है, जो कह्देते हैं वही करते हैं कभी भी अपनी बात को इन्हों ने बदला ही नहीं |
और अगर लोग बात बदलते रहें तो दुनिया में वह जलील भी होते हैं औरों के सामने लोग उसे बुरा भला भी कहते हैं, जो मानव जीवन को दोषारोपण करते है यह बातें |
तो क्या अल्लाह पर यह बात बदलने का दोष नहीं लगा,और मै ऊपर प्रमाण दे चूका हूँ की परमात्मा पर दोष लगने से वह परमात्मा कहलाने के हक़ दार नहीं होंगे, यह दोष अल्लाह पर लगा |
एक बात और ध्यान देने योग्य है,की आपकी मान्यता है की अल्लाह ने पहले वाली किताब को हटा कर या मनसुख कर दूसरा ज्ञान दिया, तो फ़ौरन यह सवाल आयेगा की कितने दिनों के बाद दिया ?
अब दूसरा ज्ञान देने में जो समय या वक्त लगे उतने दिनों के लिए मानव समाज उसके ज्ञान से वंचित रहा,यह दोष अल्लाह पर ही लगा |
इन्सान कर्म तो करेगा उसी अल्लाह के दिए ज्ञान के अनुसार | और अल्लाह ही ज्ञानदेने में वक्त लगा दिया, उतने दिनों.तक.मानव. उसके ज्ञान के बिना काम क्या और कैसा कर पायेगा भला ?
यह बात कहना की अल्लाह ने ज्ञान को बदल दिया यह शब्द ही न समझी का है, पढ़े लिखों का नहीं यह तो कोई पागल ही कह्सकता है इस बात को |
शयद आप ने वहां तक दिमाग नहीं दौड़ाई होगी, जिसका मूल कारण ही अल्लाह है, की जिन्हों ने आप को मना किया की इससे बाहर न जाना ईमान से हाथ धोना पड़ेगा |
दूसरी बात यह होगी की जब उसके दिए ज्ञान से ही, मानव को चलना है तो पहले वाले कहेंगे की हमारे पास जो है वह असली ज्ञान है,दुसरे –फिर तीसरे वाले कहेंगे की असली ज्ञान तो अल्लाह का दिया हमारे पास है |
मानव समाज में झगडा का कारण उसकाल से लेकर आज तक मौजूद है | इसी बात को लेकर इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब अपने जीवन काल में अनेक लड़ाईयाँ लड़ी और अपने दांत भी तुड़वा डाले, और इनके सहायता के लिए अल्लाह ने फ़रिश्ता भेजा | क्या इसे ईश्वरीय ज्ञान कहा जा सकता है ?
यह लेख 2016 को लिखा था, आज आप लोगों को यद् दिला रहा हूँ | महेन्द्रपाल आर्य =23/7/20