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इसलाम टिकी है अन्ध बिश्वास पर |

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इसलाम टिकी है अन्ध बिश्वास पर ||

Mahendra Pal Arya मियां शमशाद जी आप ने लेख को पूरा पढ़े बिना ही अपना दखलंदाजी शुरू कर दिया लेख में उल्लेख है की मनुष्य अपना ज्ञान को बढ़ा सकता है अन्य जीव नहीं | लेकिन आप तो अपना ज्ञान लगा ही नहीं सकते मियां जी |

आप को मना कर दिया है यह कह कर =कुल्लो मा जाया बिहिर रसूलो मिन इन दिल्लाह { अर्थ अल्लाह की तरफ से रसूल ने जो बताया उसे ही मानना है } अब अल्लाह की ओर से रसूल ने बताया क्या वह मानने लायक है या नहीं वह देखो >

सब पैगम्बरों की गिनती अल्लाह तायला ने किसी को नहीं बताई इस लिए यूँ अकीदा रखे के अल्लाह तायला के भेजे हुए जितने पैगम्बर हैं हम उन सबपर ईमान ले आये हैं जो हमको मालूम है उनपर भी और जो नहीं मालूम है उनपर भी | मियां शमशाद इसे कहते है अंध विश्वास जिस पर इस्लाम टिकी है ?

मियां जी और सुनो अल्लाह तयला ने कुछ मख्लुकात पैदा कर के उनको हमारी नज़रों से छुपा दिया है -उनको फ़रिश्ता कहते हैं बहुत से काम उनके हवाले हैं- वह कभी अल्लाह के हुक्म के खिलाफ कोई काम नहीं करते जिस काम में लगा दिया है उस में लगे हैं इनमें चार फ़रिश्ते बहुत मशहूर हैं |

 

1 =हज़रत जिब्राइल अलाई हिस्स्लाम 2 = हजरत मिकाईल अलाई हिस्सलाम = 3 =हज़रत इस्राफील अलाई हिस्सलाम =4 = हज़रत इजराइल अलाई हिस्सलाम | अल्लाह तायला ने कुछ मखलूक आग से बनाई है वह भी हम को दिखाई नहीं देती |

 

उनको जिन कहते हैं, इनमें नेक व बद सब तरह के होते हैं उनके औलाद भी होते हैं इन सब में ज्यादा मशहूर शरीर { बत्तमीज } इब्लीस यानि शैतान हैं | शमशाद मियां अब आप यहाँ पर कितने सवालों में घिरे हैं देखें मैं एक एक कर बता रहा हूँ |

 

दुनिया वालोंको बखूबी मालूम है की नूर का अर्थ है रौशनी { प्रकाश } कुरानी अल्लाह के लिए हज़रत मुहम्मद साहब ने फ़रमाया की अल्लाह ने कुछ मख्लुकात {प्राणी } को नूर से बनाया | अर्थात प्रकाश से बनाया | आज के इस विज्ञान के युगमें किन्हें यह स्वीकार होगा की प्रकाश या नूर से किसी प्राणी का जन्म होता है ?

 

दूसरी बात है अल्लाह ने आग से भी प्राणी को जन्म दिया यह कहा है नबी ने | भाई दुनिया वाले तो जानते हैं आग से धुवाँ कोयला राख यही बनती है जो दुनिया के लोग जानते हैं पर शमशाद मियां जो इस्लाम के मानने वाले हैं उनकी मान्यता है की अल्लाह ने आग से इबलीस नामी फ़रिश्ता फिर उसे शैतान कहा गया जिसे अल्लाह ने आग से बनाई |

इस्लाम के मानने वालों को इसे मानना ही पड़ेगा और वह भी बिना ना नुकुर किये { बिना सवाल उठाये } मानव जो अकल्मन्द है उनके लिए इसे सत्य मानना क्यों और कैसे सम्भव हो रहा है ?

आप लोगों को मैं यह भी बता दूँ की मेरे लेख में मैंने किसी मुस्लिम अथवा इस्लाम का या अन्य किसी का भी नाम नहीं लिया | फिर तर्क के कसौटी पर मैंने मानव को रखा और मानव अकलमंद होने का परिचय बताया है | और यह भी लिखा की मनुष्य को प्रत्येक कार्य अक्ल से करना चाहिए वरना वह मनुष्य कहलाने के अधिकारी नहीं बन सकते |

 

किन्तु इस्लाम की बुनियाद ही अंध विश्वास है, यह शमशाद मियां आज अपने आप ही इस्लाम को फंसाया इस अंध विश्वास में और इस्लाम ही अन्ध विश्वास पर टिकी है जिसका मैं कुछ प्रमाण प्रस्तुत किया हूँ |

 

यही कारण बना की आज के पढ़ेने लिखने वाले की जिन लोगों ने आधुनिक पढ़ाई की है वह लोग इस्लाम को अलविदा  और बाय बाय = टाटा कह रहे हैं अरब देश में भी और पाकिस्तान में भी हम आये दिन देखते रहते हैं |  इसमें बहुत भाई हैं जू मुझसे जुड़े हैं, पिछले दिन पाकिस्तानी मुल्हिद हरिस सुलतान से मेरा चर्चा जरुर आप लोगों ने देखा और सुना होगा जी 2 घंटे की थी |

महेन्द्रपाल आर्य = 12 /10 /20 =

 

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