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इस्लामी शिक्षा क्या है जरा गौर से पढ़ें

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|| इस्लामी शिक्षा क्या है जरा गौर से पढ़ें ||
धरती पर मानव कहलाने वालों को परमात्मा ने अपनी सृष्टि की एक चमत्कार कृति बनाई है जिसे देख कर परमात्मा की रचना का एक महत्वपूर्ण विचार देखने सुनने को मिलता है |
यह बात अलग है की जिस परमात्मा ने दुनिया के कृति में मानव को श्रेष्ट प्राणी बताया और श्रेष्ट होने का अनेकों प्रमाण प्रस्तुत किया | पर यही मानव कोई परमात्मा को मानता है, और कोई उसी परमात्मा को मानने से इंकार भी करता है,और कोई कोई तो ऐसा भी है की खुद परमात्मा बनाने लग जाते हैं |
इस में जो सब से बड़ी बात है वह यह है की मानव एक उत्कृष्ट प्राणी इस लिए भी है, की परमात्मा ने मानव को अक्ल दिया उसी अक्ल के होने पर मानव को अफ्ज़लुल मख्लुकात कहा गया {उत्कृष्ट प्राणी } और वह इस लिए भी है मानव अपनी अक्ल को बढ़ा भी सकता है | अक्ल को मानव जितना पैनी बना सकता है उसके लिए परमात्मा ने मानव को सक्षम बनाया है, और बिना रोक,टोकके अपनी ज़िम्मेदारी से मानव अपनी अक्ल में इजाफा {बढ़ोतरी} कर सकता है जिसका आसान तरीका है इल्म, विद्या, लिखाई,पढ़ाई, अर्थात लिखना पढ़ना ही मानव को धरती से आसमान तक जाने का, पहुंचने का एक मात्र ही साधन है |
इस से मानव आसानी से समुद्र को पार करता है समुद्र में बांध लगाता है, एक जगह पर बैठ कर दुसरे देश को भी बर्बाद कर सकता है | मिनटों में पूरी दुनिया को भी सैर करने के लिए सब जगह लिखना पढ़ना ही मानवों का एक सहायक है, या फिर यह कहिये मानव को मानव बनाता है उसकी लिखाई,पढ़ाई | रुपया पैसा कमाने से लेकर जीवन जीने के लिए मानवों का लिखना पढ़ना ही एक मात्र साधन है जो मानव को मानव बनाती है |
अब जो कोई इसी लिखने पढ़ने से वन्चित रहे, विशेष कर आज के दिन में लोग उसे अच्छी निगाह से नही देखेंगे | और उसे जाहिल, मुर्ख,अनपढ़, और पागल तक कहने लगजाते है,पता लगा की यही लिखाई पढ़ाई ही है जो इन्सान को इन्सान बनने के लिए कारगर है | यह शिक्षा भी वही है जो सभी प्रकार के वैमनस्यता से निकाल कर मानव को समाज के मुख्य धारासे जोड़दे और मानव समाज से सभी प्रकार के भेद भाव को मिटा कर मानव समाज में एक सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये या तैयार करे, उसी का ही नाम शिक्षा है | एक और भी नाम दे सकते हैं की शिक्षा मानवों को अन्धकार से प्रकाश में लाती है |

अफ़सोस की बात यह है की इस्लामी शिक्षा, या इस्लामी मज़हबी शिक्षा इस से सहमत नहीं और इस्लामी शिक्षा की मान्यता है की इस्लाम से बाहर किसी के पास कुछ नही है जो कुछ भी है यही इस्लामी,मजहबी शिक्षा ही है |

जिसमें मानवता की बात नही सिर्फ और सिर्फ इस्लाम की बात है, मात्र अल्लाह, मुहम्मद, अरब और अरबी कुरान की बातें हैं उससे बाहर वालों के लिए कोई जगह ही नही है क्यों और कैसे मैं कुछ नमूना पेश कर रहा हूँ, जब की मैं 35 वर्षों से आप लोगों को यही बताता आ रहा हूँगौर से देखें पढ़ें और समझें | धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य /24 /जनवरी 0 17
नोट: -मैंने तयलीमुल इस्लाम के प्रथम भाग से 2 पेज डाला – यद्यपि पहले भी इस काम को कर चूका हूँ |

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