Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

इस्लाम मुसलमानों को कट्टर बनाता है ||

Share post:

इस्लाम मुसलमानों को कट्टर बनाता है ||

इस्लाम एक विचारधारा का नाम है, जिसको मजहबे इस्लाम कहा जाता है |

जिस मजहब का जन्म अरबदेश में हुवा जिसका केंद्र बिंदु मक्का,और मदीना है,इस्लाम की मान्यता है की इसी मक्का और मदीना का सीधा संपर्क अल्लाह से है |

और अल्लाह की कलाम भी उसी अरबी जुबान में ही है | इस्लाम के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद {स} का जन्म इसी अरब देश में हुवा, इसलिए इस्लाम का सीधा संपर्क और सम्वन्ध अरब से है,अरबी जुबान से है | इसी मजहबे इस्लाम को जो मानता है उसीका ही नाम मुसलमान है |

 

इस इस्लाम के जो नियम कानून है,अथवा जो पद्धति है उसी पर अमल करने वाले का नाम मुस्लमान है | चाहे दुनिया वालों की मान्यता कुछ भी हो उसको मानने का नाम या मानने वाले का नाम मुस्लमान नहीं है, सिर्फ और सिर्फ इस्लाम ने जो तरीका बताया है उसपर चलना अमल करने वाले का नाम ही मुसलमान है | उसी अमल का भाग है इस्लाम के प्रवर्तक पर कुछ कहने वाले का गला काट देना, जो सम्पूर्ण दुनिया में सब मुल्क वाले देख रहे हैं |

अब जानना होगा की उसमे क्या है, जिसको मानने से तब कोई मुस्लमान हो सकता है ?

 

1 = तो पहला नियम या मान्यता है –कलमा पढना –वह क्या है ? वह यह है –ला इलाहा इल्लाल्लाहू मुहम्मदुर रसूलल्लाह | अबश्य ध्यान रहे की यह अरबी में ही पढ़ना होगा,किसी और जुबान में नहीं | इस अरबी शब्द का अर्थ क्या है ? जवाब =इसका अर्थ है –नही है कोई उपासना के योग्य एक अल्लाह को छोड़ कर | और हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लालाल्लाहु आलाईहे वसल्लम,अल्लाह के रसूल {भेजे हुए } हैं | हज़रत मुहम्मद के साथ आगे जो लगा है यह उनके नाम का विशेषण है उसे भी बोलना पड़ेगा |

 

नो0 2 =दूसरा कलमा जो शहादत –अशहदोअल्ला इलाहा इललाल्लाहू,वह्दहू ला शारिकालहू वाअशहदुअन्ना मुहम्मदन अबदुहु वारसुलुहू | यह भी अरबी जुबान में ही बोलना होगा | क्या कहा गया –इसका अर्थ = गवाही देताहूँ मै नहीं है कोई उपासना के लायक एक अल्लाह को छोड़ कर | और गवाही देताहूँ मै हज़रत मुहम्मद मुस्तफा {स आ व स } अल्लाह के रसूल है | मुख्य रूपसे इन दो कलमा को पढ़ना ही है | इसके अतिरिक्त 4 और हैं, फिर इमाने मुफस्सल,और ईमान मुजम्मिल जो कि ईमान का दायरा है उसे भी जुबान से इकरार करना और दिलसे मानने का नाम ईमानवाला {ईमानदार } कहला सकता है |

अब यह जो कोई ईमानदार होगा उसी का ही नाम मुस्लमान होगा, इससे बाहर न कोई इमानदार हो सकता या कहला सकता है,और न कोई मुस्लमान | इसके अतिरिक्त इसलाम सबको काफ़िर बेईमान,बेदीन मानता है कहता है |

 

अब मै भारत के गैर मुसलिमों से पूछता हूँ,क्या आप लोग अपने को बेईमान, बनना सुनना पसंद करेंगे ? बिलकुल नहीं, किन्तु इस्लाम तो आप को यही मानता है | अब आप लोगों को ही निर्णय लेना होगा की उन मुसलमानों के लिए आप लोगों के दिल में क्या जगह है ? कि जिन्होंने आप लोगों को बेईमान कहा, काफ़िर कहा ?

जो आप को गाली दे आप उनसे नफरत करेंगे या गले लगायेंगे ? इस्लाम भारत को, माँ कहने से मना किया है, गाय को माँ कहने से मना किया, गंगा को माँ कहने से मना किया, भारत की बंदना करने या {बंदेमातरम} कहने से मना किया |

अब मुस्लमान तो वही है जो इन इस्लामी बुनियाद को माने ? तो मुसलमानों से सवाल यही सब करना चाहिए की भाई जब तुम्हारी मान्यता यही है, जो हमें गाली दो और हमसे आशाभी रखो की हम तुम्हे सहायता करें ? इतना होने पर भी हिन्दू इतने दयालु हैं, उदारवादी है इन सभी बातों को जान कर भी टाल देता है चलो परमात्मा इंसाफ करेगा |

 

यही मानकर यह हिन्दू रमजान महीने में उन मुसलमानों को रोज़ा खोलने की अफ्तार पार्टी देता है | उसी मक्का और मदीना का परिक्रमा करने के लिए यह सरकार हिन्दुसे टेक्स लेकर उन्हें घुमाती है | किन्तु इस्लामने अमुसलमानों के दिए अफ्तार से रोज़ा नष्ट हो जायेगा मानता है, काफिरों से किसी प्रकार का कोई सहयोग लेने को रोकता है | यह इस्लाम के खिलाफ काम कर भी अपने को मुसलमान कहलाकर हिन्दू को ही मुर्ख बना रहे है | जो पहले से ही मुर्ख है उसे और मुर्ख बनानेवालों का नाम ही मुसलमान है |

 

इसलाम की मान्यता क्या है किसको मानने से धारण करने से कोई मुस्लमान कहलाता है उसे भली प्रकार जाने बिना इस्लाम पर या मुस्लिम पर कुछ भी कहना बहुत बड़ी भूल है | मैंने जो कुछ भी लिखा सारा प्रमाण इस्लामिक ग्रन्थों से ज़रूरत पड़ने पर दिखा भी दूंगा,नमूना के तौर पर ईमान क्या है, और उससे बाहर सब कुफ़्र है का प्रमाण देताहूँ |

 

हिन्दू को यह पता होना चाहिए की हिन्दू के दिए गये दान मस्जिद के अन्दर नही लगसकता,वह दान पेशाबखाना, अथवा पखाना में लगाया जायेगा | और कोई मुस्लमान शराबी हो, कलाकार हो, मूर्ति कार हो, गायक हो या कलाकार इसे इस्लाम में भी मना है | किन्तु प्रायः कलाकार इस काम को करने वाला मुसलमान ही कहलाता है जो इस्लाम में वर्जित है |

यह लोग जितना भी इस्लाम विरोधी कार्य क्यों न करें फिर भी वह मुसलमान है इन मुस्लिमों का दिया दान रुपया मस्जिद में भी लगाया जा सकता है | किन्तु एक धार्मिक हिन्दू का पैसा नही लग सकता,इसी का ही नाम इस्लाम है |  और यह हिन्दू जितना भी धर्म पर आचरण क्यों न कर इस्लाम उसे धार्मिक नहीं मानता है | यह है इस्लाम और इस्लामिक शिक्षा हिन्दुओं अब भी राम के वंशज न बनकर कुम्भ करण के ही बने रहोगे और इनके हाथों से अपनी गला कटवाते रहोगे ?

महेन्द्रपाल आर्य 4 /11 /20

 

Top