Your cart
Smart Watch Series 5
Running Sneakers, Collection
Wireless Bluetooth Headset
उत्कृष्ट प्राणी अगर मनुष्य है फिर मुसलमान कहाँ से आया ?
Mahender Pal Arya
उत्कृष्ट प्राणी जब मनुष्य है, फिर मुस्लमान कहाँ से आया ?
सृष्टि कर्ता ने मानव को अपनी रचना का सर्वउत्कृष्ट प्राणी बताया, उसका मुख्य कारण है की, धरती पर जितने भी प्राणी है वह भी इसी धरती पर ही है, किन्तु इस सृष्टि रचने वाले को अन्य कोई प्राणी नहीं जान सकता, उसे जानने के लिए प्रयास भी नहीं कर सकता, सिवाए मनुष्य के | यही कारण है सिर्फ और सिर्फ मनुष्य को सभी प्राणियों में सबसे उत्कृष्ट प्राणी कहा गया बताया गया |
अब दुर्भाग्य यह है की यह मनुष्य उत्कृष्ट हो कर भी अपना परिचय उन उतकृष्ट प्राणियों में अपने को शुमार नहीं कर पाया, अथवा नहीं करा पा रहे हैं, यही अचाम्भे की बात है |
चलें आज इसका कारण खोजते हैं, की आखिर हमारा जो नाम उत्कृष्ट पड़ा तो हमारा गुण भी तो उत्कृष्ट होना चाहिए ? यथा नाम तथा गुण बताते हैं लोग,आखिर सत्यता क्या है की यह मानव अपना गुण को कैसा छोड़ दिया ? यह अपने आप में ही बहुत बड़ा प्रश्न है |
इसका मूल कारण है की जिस परमात्मा ने मानव को उत्कृष्ट बनाया उसे ज्ञान दिया विवेक दिया सुन्दर शारीर दिया सब कुछ मनुष्य के पास उन्हीं परमात्मा का ही दिया हुवा है, किन्तु यह मानव दुनिया में आकर अथवा इस धरती पर आकर उन्हीं परमात्मा को भूल गया,याफिर उसे ही अस्वीकार किया, मानने से इनकार किया किसी ने, और किसीने कहा मरने से पहले देख लेंगे कर लेंगे आदि | अर्थात जिस मानव कहलाने वाले को परमात्मा से जुड़ना था वह मानव उसी से ही अपना दुरी बना लिया | मनुष्य के लिए, चार चीजें हैं, जिसे धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष बताया है, मनुष्य से अलग जितने भी प्राणी हैं उन प्राणियों में मात्र दो बातें है, अर्थ, और काम |
मानव से अलग जितने भी प्राणी हैं धरती पर, किसी के लिए धर्म नहीं है और ना वह मोक्ष को जान सकता है, और ना ही समझ सकता हैं | कारण उनके लिए यह है ही नहीं, यह नियम धर्म और मोक्ष सिर्फ मानवों का प्रयास ही है | अर्थात धर्म पर आचरण मानव ही करता है, या कर सकता है, अन्य प्राणियों को धर्म के बारे में पता भी नहीं है और उनके लिए यह है भी नहीं | यही कारण बना हमारे शास्त्रकारों ने बताया { धर्मेण हींन:पशुर्भी समान:} यानि धर्म पर आचरण ना करने वाला मानव पशु के समान हैं | जैसा माता,पिता,भाई,बहन,अपना,पराया,का ज्ञान सिर्फ मानव को है | एक बात ज़रूर ध्यान रखने वाली है की यह सिर्फ मानव के लिए है बताया गया, हिन्दू, मुस्लिम, सिख जैनी,बौधिष्टों के लिए नहीं | अफ्ज़लुल मख्लुकात मानव का ही नाम पड़ा, तो इस्लाम और मुस्लमान ही श्रेष्ट कहाँ और किस जगह कहा या बताया गया ?
अब यह उपदेश जब मानव मात्र के लिए लागु हो रहा है मानव कहलाने वाले ही इस पर आचरण करते हैं कोई भी मानव कहलाने वाला इसे अस्वीकार नहीं करता सभी दुनिया वाले इसे मानते हैं और अमल भी करते हैं, अब यह हिन्दू मुस्लिम वाली बात आई कहाँ से ? इन सवालों को जब हम तलाशने लगते हैं, तो हमें पता चलता है दुनिया में फैली मत, पन्थों, या फिर मजहबी पुस्तकों से | प्रमाण >देखें कुरान से |
إِنَّ الدِّينَ عِندَ اللَّهِ الْإِسْلَامُ ۗ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ إِلَّا مِن بَعْدِ مَا جَاءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِآيَاتِ اللَّهِ فَإِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ [٣:١٩]
और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है |
وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ [٣:٨٥]
और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा |
الَّذِينَ يُقِيمُونَ الصَّلَاةَ وَيُؤْتُونَ الزَّكَاةَ وَهُم بِالْآخِرَةِ هُمْ يُوقِنُونَ [٢٧:٣]
जो नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और ज़कात दिया करते हैं और यही लोग आख़िरत (क़यामत) का भी यक़ीन रखते हैं | सूरा 27=3= में अल्लाह ने क्या कहा देखें |
إِنَّ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِالْآخِرَةِ زَيَّنَّا لَهُمْ أَعْمَالَهُمْ فَهُمْ يَعْمَهُونَ [٢٧:٤]
इसमें शक नहीं कि जो लोग आखिरत पर ईमान नहीं रखते (गोया) हमने ख़ुद (उनकी कारस्तानियों को उनकी नज़र में) अच्छा कर दिखाया है | फिर क्या कहा देखें अगले आयात में | आयत 4 =
यहाँ विचारणीय बात हैं की यह हिन्दू मुस्लिम का झगड़ा कौन कराया है ? जिस प्रकार कुरान में कहा गया ठीक इसी प्रकार बाइबिल का भी कहना यही है | ईसा मसीह को ईश्वर का एकलौता बेटा मानों तुम्हारा जीवन सुधर जायगा, सभी पापों से मुक्ति पा जावगे आदि आदि |
अब मानव सुविधा वादी है मुफ्त खोर हैं फ़ोकट बाज़ हैं इन्हें तो माल मिलना चाहिए अब कहीं से भी मिले चाहे विरोधियों से लेना पड़े जिन्दा से मिले या फिर मुर्दों से भी मिले, यानि जिन्दों से नहीं मिला तो मुर्दों से भी लेने को आतुर हैं यह मानव कहलाने वाले |
यह मजारों में चादर चढ़ाना, साईं बाबा के मन्दिर में सोना चढ़ाना यह क्या है ? इसे ही मुफ्त खोरी कहते हैं | लोग यही मान बैठे की मजारों में हो अथवा मंदिरों में अगर पचास हज़ार का सामान चढ़ाएंगे तो पांच लाख मिलेगा | यही तो मानवीय बृत्ति है जो मुफ्त खोरी में विश्वास रखते हैं | कहीं कहीं तो हमारे देश में कई प्रान्तीय सरकार भी लोटरी खिलवाकर गरीबों को और गरीब बनाने में लगी है | हर रिक्शा चलाने वाले सब्जी बेचने वालों को सरकार कह रही है की 10 रुपया लगाव तुम्हें 10 हज़ार मिलेंगे | जब की इसे जुवा कहा जाता है, और इसी जुवा में ही घर के कुलबधू द्रौपदी तक को बाजी में हारे जुवाडी महात्मा कहलाये, यह क्या हो रहा है और कौन करा रहा है ?
आज हमें इन सभी आलस्य और प्रमाद से बाहर निकलना होगा मत,पन्थों की दुकानदारी को ध्यान में रखना होगा उनके चंगुल से निकलना होगा, हिन्दू मुसलमान, और ईसाइयों से हटकर मानव होने का परिचय देना होगा फिर मानव जीवन को सफल बना सकते हैं |
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = 14 /7 /17 =