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उरी घटना पर कोई भी बोल नही रहे, मुस्लिम नेता हो धर्म गुरु, और ना सेकुलरवादी

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उरी घटना पर ना कोई राष्ट्रवादी कहने वाले मुस्लिम नेता का जुबान खुला,न बढ़ बोले किसी सेकुलर वादी नेता ही बोलपाये, सब की जुबान कटी केजरी जैसी ।
 
आश्चर्य कि बात है कि यह मुस्लिम नेता जो अपने को राष्ट्रवादी कहते बतलाते रहे उनलोगों ने अबतलक अपनी जुबान में ताला किस लिए डाले हुए हैं, जब कि पूरा देश शोक मना रहे | यह अमानवीय कृति इस्लाम के मानने वालों ने किया है या पाकिस्तान के पालतुओं ने किया है |
कहाँ गये मियां जावेद अख्तर, कहाँ गये वह भारत को अहहिष्णु देश कहकर भारत छोड़ने की बात कहने वाले ? कहाँ गये वह शिक्षाविद और अपने को लेखक और कलाकार बताकर भारत के सम्मान वापस करने वाले लोग ? सबकि आँखें बन्द और जुबान भी बन्द वह किस लिए भाई ?
 
बड़बोले लालूप्रसाद यादब ने भी केजरी जैसी अपनी जुबान का अपरेशोंन कराए क्या ? कहाँ गये वह नेतागण जो भारत विरोधी नारा लगाने वाले को लालसलाम कहने वाले ? कहाँ हैं वह मानतावादी कहलाने वाले असदुद्दीन ओवैसी, कहाँ है मौलाना वहीद्दुद्दीन कासमी ? कहाँ हैं अहमद बुखारी, कहाँ हैं मौलाना महमूद मदनी और कहाँ हैं उनके साथी मौलाना अग्निवेश ? जो कश्मीर में अलगाव वादी कहलाने वालों के साथ खड़े होते हैं |
 
आमिरखान की पत्नी भी शायद अपनी आँखों का अपरेशोंन कराकर घर बैठी हो | अब माननीय वकील प्रशान्त भूषण जो लोगों को बोलने का अधिकार को समर्थन करने वाले यह लोग कब बोलेंगे ? क्या इनलोगों में अब बोलने कि शक्ति समाप्त हो चुकी है ? भारत वासी जानने कोआतुर हैं जरा जुबान तो खोलें |
 
सलमान खुर्शीद मियां कहाँ छुपे हैं, दलबदलू मनीशंकर आइयर कहाँ घुसे हैं जो पाकिस्तानी पत्रकारों से कोंग्रेस को जित दिलवाने कि बात कर रहे थे ? रहते भारत में, नेता भारत के और जितवाने को कहरहे थे पाकिस्तानियों से |
जिस कांग्रेस को जीत दिलाने को कह रहे थे उसकी दशा क्या है देखें जो भारत के सब से पुराणी और बड़ी पार्टी थी |
 
आज उसकी दशा क्या है उसके उपाध्यक्ष घूमघूम कर नुक्कड़ सभा करने को मजबूर हो गया | भारत के लोग दोनों दशा में अपना आंसू बहा रहे हैं, एक तरफ शोक के आंसू | और दूसरी तरफ ख़ुशी कि भी, कि आज भारत के सबसे बड़ी और पुराणी अंग्रेजों कि बनाई गई राजनीती पार्टी कांग्रेस को भारत के लोगों ने पसन्द करना नही चाहा जो विरोधी पार्टी में भी बैठने लायक नही | महेन्द्रपालआर्य 20/9/16=

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