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एक दुष्ट व्यभिचारी को बचाना क्या इन्सान का काम है ?

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एक दुष्ट व्यभिचारी को बचाना क्या इन्सान का काम है?
आज अदालत ने यह सिद्ध कर दिखाया, की समर्थक तुम्हारा कितना ही क्यों ना हो, अदालत का काम है दोषी को सजा देना, और जुल्म सहने वालों को न्याय दिलाना |
अब सवाल उठता है की यह नकली राम रहीम अपने को गुरमीत सिंह कहने वाला हरियाणा सरकार के मन्त्रियों को अपना चेला बनाकर वह अदालत को डराने के लिए तथा अदालत को भय भीत करने के लिए पाँच राज्यों को प्रभावित किया है | यह हुवा मात्र हरियाणा सरकार की गलती से, कारण इनके मंत्री उनके चेले हैं जिस कारण उस दुराचारी ने सरकारी शय से अपने चेली चेलाओं को एकत्रित किया तीन दिन पहले से ही |
अगर सरकार ने धारा 144 लगाई तो फिर इतने लोगों का एकत्र होना कैसे सम्भव हुवा ? यह सरकार ही सवालों के घेरे में आगया | इसका कारण है सरकार के मन्त्रियों का साथ होना, और इनके चेले चेलियों को भी यह देख कर की यह आदमी दुराचारी है फिर भी उसके शिष्य बनने पर आमादा होना यह कौन सी अकलमंदी की बात है ?
लोगों में कहावत है पानी पियो छानकर गुरु बनाओ जान कर, क्या यह कहावत इन चेला चेलियों को याद नहीं आया बढ़े बूढ़ों की बातें ? इसमें पांच राज्य ठप स्कुल कालेज से ले कर सभी सरकारी दफरत होस्पिटल और रेल बसें तक बन्द करना पड़े यह कौनसी मानवता वाली बात है ? गुरु तो मानव का कल्याण करने वाला चाहने वाला होता है, पर यह गुरु कैसे जो पुरे मानव समाज को एस्त व्यस्त करदे ? फिर ऐसे व्यभिचारी गुरु के चेला चेलीसदाचारी हैं यह किस प्रकार सिद्ध हो सकता है ?
कुल मिलाकर यह गुरु घंटालों ने मानव समाज को तबाह किया है, गुरु तो वही होते हैं भटके लोगों को सन्मार्ग पर ले आयें अथवा गलत रास्ते से निकाल कर सही रास्ते पर चलने का उपदेश दे | उन्हें गलत रास्ते पर चलने वालों को धर्म से जोड़े उन्हें धर्मात्मा बनने का उपदेश करें आदि |
पर यहाँ तो गुरु ही भ्रष्टाचारी हैं, ऐसे पापी को गुरु कहना भी पाप ही है, जिस गुरु को जान कर बनाने की बात थी उसे बिना पहचाने अगर गुरु बनाये गये तो भुगतना तो पड़ेगा ही |
भक्त भी इनके अक्ल के अन्धे और गांठ के पुरे हैं इन्हें इतना भी ज्ञान नहीं की एक व्यभिचारी को सजा मिलनी ही चाहिए,तो जिसके साथ यह अन्याय हुवा है उसे भी न्याय मिले | पर यहाँ तो उन्ही व्यभिचारी गुरु के समर्थन में ही खड़े हो गये, मरने मिटने के लिए और सरकारी सम्पत्ति को नुक्सान पहुँचाने लगे | यह कैसी गुरु भक्ति है क्या गुरु अन्याय करे और उन्ही गुरुका समर्थन चेलों का हो तो देश की अदालत क्या करेगी ? क्या गुरु हैं तो उसे व्यभिचार करने की छुट दी जानी चाहिए ? मामला आज का नहीं 15 साल का पुराना मामला है फैसला तो कभी ना कभी होना ही था | उस व्यभिचारी पापी गुरु को पाप करते भी डर नहीं लगा, और आज अदालत पहुंचने में भी डर नहीं लगा | अपितु अपनी वैभव दिखाने के लिए दुनिया को बताने के लिए अपनी शोहरत दिखाने के लिए यह सारा ताम झाम किया गया |
मानव समाज में अगर एक दुसरे को कहदे की तू दूराचारी है, लज्जा से उसका सर नीचा हो जाता है | पर यह गुरु इनसान कहलाने वाले, और अपने चेलों को इनसान की डिग्री बाँटने वाले ही इंसानियत को तार तार कर डाले | अब इन इन्सान कहलाने वालों चेलों को देखें, अमानवीय कार्य करने में आमादा हो गये | कहीं पुलिसपर हमला, मिडिया वालों पर हमला, कहीं आगजनी तो कहीं साधारण लोगों पर हमला, क्या इन्सान बनाया गुरमित सिंह ने ? जो इंसानियत पर कुठाराघात करे, यह कैसी इन्सानिय है ? अरे इंसानियत तो वह है आत्मवत सर्वोभूतेषू = समस्त आत्मायों को अपनी आत्मा के समान जानना ही मानवता है |
जिसके पास सौदा कुछ भी नहीं है उसे सच्चा सौदा बताकर मानव समाज को गलत रास्ते में भटकाने वाला काम गुरु करे तो साधारण जन क्या करेंगे भला ?
हैरानी की बात यह है, गुरु के पास इतना धन कहाँ से आया इसे जानने की जिम्मेदारी किस पर है क्या सरकार अपनी आँखें बन्द करली है ? अथवा सरकार सोनिया राहुल और लालू की सम्पत्ति पर नज़र लगाई हुई है ? यह जवाब देहि किनकी है सरकार की नहीं, की इनके पास इतना धन कहाँ से आया उसकी जाँच की जाये, सरकार डॉ0 जाकिर नाईक पर प्रतिबन्ध लगा सकती है तो इन गुरुओं पर क्यों नहीं ? किन्तु सरकारी आमला तो उन्ही गुरुके चेले हैं जाँच कौन करे और करावे भला |
सब मिलकर मानवता की ही हत्या कर रहे हैं, सब मिलकर अब हम मानव कहलाने वालों को मानवता का प्रचार करना पड़ेगा जोर शोर के साथ जिस से मानवता की रक्षा हो सके और मानव समाज को इन गुरुडम वाद से छुटकारा दिला सकें, और एक नेक इन्सान बनने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा सके |
महेन्द्रपाल आर्य =25 /8 /17 =

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