Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

|| कितने मूर्ख है यह लोग ||

Share post:

|| कितने मूर्ख है यह लोग ||
जो लोग अपने को अकलमन्द होशियार और सबसे ज्यादा बुद्धिमान मानते है, पर वे अकलमन्द बुद्धिमान नहीं हैं प्रमाण के साथ |
 
जब की यह सच नहीं है, जैसे कल से कई लोगों ने मुझे धन्यवाद तो ज्यादा लोगों के मिले और विरोध में भी लिखा है लोगों ने |आज एक प्रोफेसर जयपाल जी ने मुझे लिखा है पण्डित जी बड़े लोग माफ़ कर देते हैं ?
 
मैं पूछना चाहता हूँ इन तथाकथित आर्य समाजियों से, की मेरे पास किसने गलती की हैं जिसे मैं माफ़ करूं ?
 
न मालूम लोगों ने अपने दिमाग को कहाँ घांस चरने को भेजा है ? बात है किसी ने जनसभा में इतिहास के पन्नों से एक व्यक्ति के जीवन की घटना बताई उन की कितनी शादी थी किस आयुमें किस आयु की महिला से शादी की थी ?
 
इन्हीं लोगों से पूछता हूँ की ऐसे एक जिम्मेदार व्यक्ति के बारे में जानकारी दुनिया के लोगों को दी जारही है | तो सही सही जानकारी देना चाहिए या गलत ?
 
इन अकलमंद कहलाने वाले मूर्ख सब कोई तो नहीं है | की गलत को न पकड़ सके ? क्या पब्लिक मीटिंग में जनता जनार्दानों के बीच गलत जानकारी देना चाहिए या सही ? अगर सही जानकारी नहीं है तो बोलना जरूरी है क्या ? अब इसे कोई सुधार कर प्रमाण के साथ बोले तो यह अकलके अंधे और गांठके पुरे उसपर दोष लगा रहे हैं |
इस लिए उस गलती को नज़र अंदाज़ करने की बात करने लगे की वह हिन्दू है | और जो सत्य बोल रहा है वह तो मुस्लिम समाज से आया है |
 
सुनों अकलके दुश्मनों तुम्हारे यही दुर्व्यवहार से 1903 में बने एक हाई स्कुल के हेड मास्टर जो आर्य समाजी बने थे, उन्हें तुम लोगोने वापस भेज दिया था मुसलमानों में | या तुम्हारे इस दुर्व्यवहार से उन्हें जाना पड़ा था आर्य समाज छोड़कर |
 
एक घटना मैं बता रहा हूँ, उस काल में जितने भी आये थे उनमें से अनेकों ने आर्य समाज छोड़ दिया मेरे पास सारा प्रमाण है |
 
यह तो सब पुरानी बात रही, मेरे जीवन से जुडी अनेक घटनाएँ हैं, की जिस समाज को छोड़कर मैं आया हूँ उन्हों ने मुझे इतना परेशन नहीं किया जितना की इन तथा कथित आर्य समाजियों ने किया है |
 
सिर्फ एक घटना लिख रहा हूँ आज, आर्य समाज यमुना विहार में –
आर्य समाज के दिवार पर लिखा प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है |
 
मैंने उसे मिटा दिया की यह वेद विरुद्ध वाक्य है | इस पर मेरी बिजली काट दी गई पानी बंद कर दिया गया | उसी समाज में आशाराम का फोटो लगाकर कीर्तन किया | जिसका फोटो लेकर मैं दिल्ली सभा को भेजा, सूर्यदेव जी सभाप्रधान का पत्र मिला मुझे की यह पत्र मिलने के 15 दिनमें आर्य समाज खाली करदें |
 
जिस समाज का पुरोहित से दरवानी सफाई कार्य सब मैं करता रहा बिना बेतन लिए | क्या क्या लिखूं मरने से पहले |
 
जो काम आर्य समाज में रहकर मैंने किया है सभी प्कााण है इन 37 वर्मों का सत्यार्थ प्रकाश केस को दिल्ली हाई कोर्ट से जीत दिलवाने में मेरे वकील विमल वधावन को छोड़ कोई आर्य समाजी का नाम नहीं बता सकता है |
एक प्रमाण यह भी लिखा मेरे पास अनेक प्रमाण है, इस केस में 2 मिनट का समय भी नहीं दिया – और परोपकारी कत्रिका में अपना नाम सम्पादकीय लेख में लिख कर प्रचार करने में भी नहीं शर्माए |
मेरे साथ परेशानी यह है की जिसे मैं जनता हूँ उसे अगर कोई गलत बोलेगा तो मैं बदनाम होता हूँ या नहीं ?
इतिहास लिख कर जाऊँगा क्या खोया क्या पाया | आज यहीं तक = महेन्द्रपाल आर्य =15 b/4 20

Top