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कुरानी अल्लाह बदले की भावना भरता हैं |

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कुरानी अल्लाह बदले की भावना भरता हैं |
ये है सूरा 5 मायदा आयात 45 – अर्थ :- हमने यहूदिओं के ज़िम्मे तौरैत में यह बात मुक़र्रर कर दी थी की जान के बदले जान और आँख के बदले आँख और नाक के बदले नाक और कान के बदले कान और दांत के बदले दांत और ख़ास (विशेष) फिर जो शख्स उसको माफ़ कर दे तो उसके लिए कफ्फारा (पश्चात्ताप) है – और जो शख्स अल्लाह के नाजिल किये हुए के मुताबिक हुकुम न करे वही लोग ज़ालिम हैं |
नोट – अल्लाह की आश्चर्यजनक बातें – यहाँ अल्लाह ने स्पष्ट कहा यहूदियों के लिए तौरैत में यह बातें मुक़र्रर कर दी थी जान के बदले जान | आखिर ये उपदेश किनके है अल्लाह का ?
अब यहाँ अल्लाह मानव को उपदेश दे रहे हैं कोई तुम्हारा जान ले तो उनका बदला जान लेने से ही है अर्थात (अल्लाह ने तौरैत के मानने वालों को ये उपदेश दिया की अगर कोई तुम्हारा जान लेता है तो तुम भी उनकी जान लो |
 
क्या यह उपदेश कोई अछे इन्सान भी दे सकते हैं ?) अल्लाह की बात यहाँ तक नही थमी, आगे कहा आँख के बदले आँख नाक के बदले नाक कान के बदले कान दांत के बदले दांत आदि |
 
अगर अल्लाह स्वयं मनुष्य को यह उपदेश दे चाहे वह यहूदिओं को दे या मुसलामानों को, तो क्या उनके साहस को नही बढाया जा रहा है ?
 
मुझे लगा यही वह आयात है जिससे प्रभावित होकर यहूदिओं ने हज़रत मोहम्मद साहब के भी दांत तोड़वा बैठे थे एक लड़ाई में | लड़ने का काम किनका है जरूर अच्छे या नेक इंसानों का काम नही हो सकता ?
 
किन्तु अल्लाह खुद प्रेरित कर रहे हैं अपने रसूल,को लड़ने के लिए यहाँ तक बताया जा रहा कोई तुम्हारा जान ले तो बदले में तुम भी उनकी जान लो | कोई तुम्हारा कान काटे तो तुम भी उनका कान काटो और अल्लाह ने कान के बदले कान कहा, कोई तुम्हारा नाक काटे तो बदले में तुम भी उसका नाक काटो तो नाक के बदले में नाक कहा |
 
किसी ने तुम्हारा दांत तोडा तो तुम भी उनके दांत तोड़ो, इसी सिलसिले में हज़रत मोहम्मद साहब की दांत टूटी | आश्चर्य की बात यह है लोगों में इस प्रकार बदले की भावना भरने का काम अल्लाह का है ? अगर यह प्रतिशोध की भावना अल्लाह अपने रसूल में भरें तो वह नेक इन्सान कहलाने के अधिकारी भी नहीं हैं |
 
इस प्रकार मानव समाज में एक दूषित वातावरण बनाया अल्लाह ने अपनी कुरानी उपदेशों के माध्यम से | जब की अल्लाह का उपदेश होना था मानव मात्र में मैत्रीय भाव का उपदेश देना, जैसा वेद में है आत्मवत सर्व भूतेषु = समस्त आत्माओं को अपनी आत्मा के समान जानना |
 
किन्तु अल्लाह यहाँ लोगों के नाक, कान, काटने का हुक्म दे रहे हैं | मानव को अपनी आत्मा के समान जानने के बजाय जानके बदले में जान लेने का उपदेश दे कर भी खुद को खुदाई का दम भर रहे हैं |
 
मानव को साथ मिलकर रहने का उपदेश के बजाय मानवों को मानव से लड़ने का उपदेश दे रहे हैं | यही तो वह आयतें है जिससे लाखों मुसलमान प्रेरणा ले कर isi,जैसे हजारों संगठनों में अल्लाह के रास्ते में मरने के लिए अपने को उत्सर्ग कर रहे हैं |
और यह सभी उपदेश मुसलमान कहलाने वाले से ही ले रहे हैं इसी कुरान से ही ले रहे हैं आदि |
हम मानव कहलाने जरा इस कुरानी आयातों पर विचार करें की मानव समाज में झगडा अल्लाह ने किस प्रकार लगाया है ? महेन्द्रपाल आर्य – 7 /9 /20

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