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कुरानी आयत उतरने का कारण देखें ||

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कुरानी आयत उतरने का कारण देखें ||
यह प्रमाण इबने कसीर पेज 488 पारा 10 सूरा 9 आयात 70 का सन्दर्भ =

बद कारों की माजी {बिताहुवासमय} से ज्ञान प्राप्त करो = इन बद किरदार मुनाफिकों को वयाज {वक्तव्य} सुनाया जा रहा है –के अपने से पहले जैसों के हालात पर उपदेश को नज़र डालो – देखो देखो की नबियों की तकज़ीब {झुठलाना} क्या फल लाई –कौमे नुह्का गर्क होना और सिवाये मुसलमानों के किसीका न बचना याद करो –

यादियों का हुद को मानने की वज़ह से हवा के झोंकों से तबाह होना याद करो-समुदियों का हजरत सालेह यलैहिस्सलाम के झुठलाने और अल्लाह की निशानी ऊंटनी के काट डालने से एक प्राण निकलने वाली आवाज़ से सब का तबाह और बर्बाद होना याद करो, इब्राहीम का दुश्मनों के हाथों से बचजाना और इनके दुश्मनों का गारत होना –

नमरूद बिन किन्यान बिन कोष जैसे बादशाह का उनके लश्करों सहित तबाह होना न भूलो – वह सब लयनत मारे बे निशान कर दिए गये – कौमे शुयेब उन बदकिर्दारियों के कुफ्र के बदले जलजला और सायबान वाले दिन की यजाब से जमीन सब तबाह कर दी गई –जो मदीन की रहने वाली थी –

कौमेलुत की बस्तियां उलटी पड़ी है मदीन और समुद वगैरा अल्लाह ने उन्हें भी अल्लाह ने अपने नबी लुत के न मानने से और अपनी बद फेयली न छोड़ने की वज़ह से एक एक को जमींन में मिला दिया गया –
इनके पास हमारे रसूल हमारी किताब और खुले मुयजेजे और साफ़ दलील लेकर पहुंचे लेकिन उन्हों ने एक न मानी | और बिल आखिर अपने जुल्म से आपने आप बर्बाद हो गये –

अल्लाहताला ने तो हक बता दिया था किताब उतारी रसूल भेजा हुज्जत ख़तम करदी लेकिन यह रसूलों के मुकाबले पर आमादा हो गये – किताबुल्लाह की तायलिम से भागे हम की मुखालिफत की पस लयनते रब उतरी और उन्हें ख़ाक सियाह कर गयी |

नोट :- मैंने ऊपर लिखा की कुरानी आयत को अल्लाह ताला उतारते हैं जब अल्लाह के सामने कोई कारण आ पड़ती है | इस आयत को अल्लाह ने तब उतारी जिस समयके लोग अल्लाह की किताब और अल्लाह के रसूल को मानने से इनकार किया – तो अल्लाह ने पहले क्या क्या किया किन किन पैगम्बरों के जमाने में किया – उसे ही दर्शाया इस आयत में |

जैसा नुह का काल में जो नुह के जमानेवाले नुह की बात नहीं मानी तो अल्लाह ने उनलोगों को पानी में डुबोकर मारा | दुनिया वालों को गंभीरता से देखना और विचार करना होगा की अल्लाह का क्या काम है देखें लोगों को डुबोकर मारना यह अल्लाह का काम है जो कुरान ही गवाह है –और अल्लाह ने उन्हीं बातों को याद दिलाया है | विभिन्न नबियों के काल में क्या क्या किया है आल्लाह ने इस आयत में उसे याद दिलाया |

अर्थात नबियों की बात जब जब लोगों ने नहीं मानी तब तब अल्लाहं ने उन लोगों पर जुल्म ढाया – यह है अल्लाह और अल्लाह का कार्य –यह तो अब मानव कहलाने वालों को ही विचार करना होगा की आखिर जिसे दुनिया का पालनहार बताया गया या बताया जाता है क्या यह सभी काम उनका होना संभव है ? दूसरी बात यहाँ यह भी होगी की अल्लाह अपना पैगाम देकर पैगम्बर भेजते है दुनिया में –

विचारणीय बात यह है की अल्लाह उस जगह पर नहीं होते हैं जहाँ अपना पैगम्बर भेजते हैं ? अगर अल्लाह वहाँ होते तो अपना पैगाम तो अपने आप ही दे सकते थे – पता लगा की जहाँ जो नहीं होगा वहां अपना पैगाम किसी के द्वारा ही भेजा जाएगा | ठीक इसी प्रकार किताब भी भेजा वह भी एक दो बार नहीं चारबार और सब में उपदेश अलग अलग | सवाल यह होता है की क्या अल्लाह ज्ञानवाण नहीं है ? अगर ज्ञानवाण होते तो बदलने का सवाल ही नहीं उठता |

और तौरैत किताब के लिए बताया गया की आसमान से लिख कर भेजा अल्लाह ने, यह भी संभव नहीं कागज कब बनी यह भी जानकारी अल्लाह को नहीं है | कागज का अविष्कारक कौन है अल्लाह को भी पता नहीं, अगर अल्लाह ने तौरैत लिखकर भेजी तो किसपर लिखा अल्लाहं ने – किसी और से लिखवाई या खुद लिखे अगर खुद लिखे तो किस चोज से लिखी गई कलम और काली रौशनाई कहाँ से मिली थी अल्लाह को ? अल्लाह और अल्लाह के बन्दे सब निरुत्तर हैं इन सभी सवालों के सामने, तो यह है कुरान जो कलामुल्लाह है | महेन्द्रपाल आर्य =27 /12 /19 =

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