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कुरानी खुदा कलाम {बात } करता है |

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|| कुरानी खुदा बात {कलाम } करते हैं ||

हम मानव कहलाने वालों को यह विचार करना होगा की जिन्हें दुनिया वाले ईशवानी मानते हैं कहते हैं, उसे तर्क के र्ताजु पर तौलना नहीं चाहिए ? की आखिर उन्हें ईश्वर कैसे कहा जा सकता है जो किसी से बात करें | इसलाम जगत जिसे सृष्टि कर्ता संसार का पालनहार.मानते हैं | निराकार मानते हैं, लामुजस्सिम, लाशरीक, कादिरे मुतलक { सर्वशक्तिमान } मानते हैं, जिसका 99 नाम बताये जाते हैं, क्या उसी खुदा का किसी पैगम्बर से बात करना यह गले के निचे उतरने वाली बातें हैं ? देखें कुरान में अल्लाह ने खुद क्या फ़रमाया |

تِلْكَ الرُّسُلُ فَضَّلْنَا بَعْضَهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ ۘ مِّنْهُم مَّن كَلَّمَ اللَّهُ ۖ وَرَفَعَ بَعْضَهُمْ دَرَجَاتٍ ۚ وَآتَيْنَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ الْبَيِّنَاتِ وَأَيَّدْنَاهُ بِرُوحِ الْقُدُسِ ۗ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ مَا اقْتَتَلَ الَّذِينَ مِن بَعْدِهِم مِّن بَعْدِ مَا جَاءَتْهُمُ الْبَيِّنَاتُ وَلَٰكِنِ اخْتَلَفُوا فَمِنْهُم مَّنْ آمَنَ وَمِنْهُم مَّن كَفَرَ ۚ وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ مَا اقْتَتَلُوا وَلَٰكِنَّ اللَّهَ يَفْعَلُ مَا يُرِيدُ [٢:٢٥٣]

यह सब रसूल (जो हमने भेजे) उनमें से बाज़ को बाज़ पर फज़ीलत दी उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जिनसे ख़ुद ख़ुदा ने बात की उनमें से बाज़ के (और तरह पर) दर्जे बुलन्द किये और मरियम के बेटे ईसा को (कैसे कैसे रौशन मौजिज़े अता किये) और रूहुलकुदस (जिबरईल) के ज़रिये से उनकी मदद की और अगर ख़ुदा चाहता तो लोग इन (पैग़म्बरों) के बाद हुये वह अपने पास रौशन मौजिज़े आ चुकने पर आपस में न लड़ मरते मगर उनमें फूट पड़ गई पस उनमें से बाज़ तो ईमान लाये और बाज़ काफ़िर हो गये और अगर ख़ुदा चाहता तो यह लोग आपस में लड़ते मगर ख़ुदा वही करता है जो चाहता है | सूराबकर {2} आयत {235 }  यह अनुवाद है मौलाना फारुख खान का |

یہ رسول (جو ہماری طرف سے انسانوں کی ہدایت پر مامور ہوئے) ہم نے ان کو ایک دوسرے سے بڑھ چڑھ کر مرتبے عطا کیے ان میں کوئی ایسا تھا جس سے خدا خود ہم کلام ہوا، کسی کو اس نے دوسری حیثیتوں سے بلند درجے دیے، اور آخر میں عیسیٰ ابن مریمؑ کو روشن نشانیاں عطا کیں اور روح پاک سے اس کی مدد کی اگر اللہ چاہتا، تو ممکن نہ تھا کہ اِن رسولوں کے بعد جو لوگ روشن نشانیاں دیکھ چکے تھے، وہ آپس میں لڑتے مگر (اللہ کی مشیت یہ نہ تھی کہ وہ لوگوں کو جبراً اختلاف سے روکے، اس وجہ سے) انہوں نے باہم اختلاف کیا، پھر کوئی ایمان لایا اور کسی نے کفر کی راہ اختیار کی ہاں، اللہ چاہتا، تو وہ ہرگز نہ لڑتے، مگر اللہ جو چاہتا ہے کرتا ہے

नोट :-यह उर्दू अनुवाद है मौलाना अबुल अयला मौदिदी साहब का है |

मौलाना रफीउद्दीन अहमद साहब ने भी यही अनुवाद किया है | इसमें विचारणीय बात यह भी है की अगर गौर से अथवा ध्यान से पढेंगे तो यह भी पता लगेगा की कहने वाला अल्लाह भी नहीं है | ان میں کوئی ایسا تھا جس سے خدا خود ہم کلام ہوا، |

यहाँ यह बताया गया की इनमें से कोई ऐसा था जिससे खुदा खुद हमकलाम हुवा | अगर खुदा खुद हमकलाम हुवा ? यह वाक्य कोई दूसरा बोल रहा है |  अगर खुदा खुत कहते तो यही होता की इनमें से कोई ऐसा भी था जिनसे मैंने बात की |  كَلَّمَ اللَّهُ

हम कलाम होना यानि बातें करना, यहाँ शब्द आया खुदा खुद हम कलाम हुए, मतलब यह निकला की वहां कोई सुनने वाला था जिसने यह बात कही | यही कहागया खुदा खुद हमकलाम हुए | यह मार्मिक और विचारणीय है की आखिर यह किताब कलामुल्लाह कैसे हो सकती है ? अथवा इसे कलामुल्लाह का सिद्ध होना कैसे संभव हो सकता है ?

प्रमाण के लिए मैंने एक आयात ही बताया है और भी अनेक आयतें है जो तर्क के कसौटी पर ईश्ववानी { ईश्वरीय } ज्ञान का होना संभव ही नहीं है |

महेन्द्रपाल आर्य =2 /6 /18

 

 

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