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कुरान का उपदेश मानव मात्र के लिए नहीं सिर्फ अरब वालों के लिए |

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|| कुरान हरमुल्क वालों का नहीं सिर्फ मक्का वालों का ||

दुनिया बनाने वाले परमात्मा ने अपनी रचना में मानव को उत्कृष्ट प्राणी बताया, अफज़लुल मखलुकत कहा है |

मानव उत्कृष्ट कैसा बनेगा, या बन सकता है सृष्टि रचना में अपना सारा उपदेश सभी मनुष्य मात्र को दिया,ना की किसी मुल्क वालों के लिए,किसी देश वासियों के लिए, और ना ही किसी मुल्क वालों की जुबान में परमात्मा ने अपना ज्ञान दिया, कारण अगर ऐसा होता तो परमात्मा पर पक्षपात का दोष लगता | देखें वेद :-

यथेमां वाचं कल्याणीमावदानि जनेभ्य: | ब्रह्मराजन्याभ्यं शूद्राय चार्याय च स्वाय् चारणाय || {यजु :अ० २६,२ }

परमेश्वर का उपदेश की जैसा मैं सब मनुष्यों के लिए इस कल्याण अर्थात संसार और मुक्ति के सुख देने हारे चारों वेदों की वाणी का उपदेश करता हूँ वैसे तुम भी किया करो |

ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्य शुद्र स्त्रीयादी औरअतिशुद्रादी के लिए भी वेदों का प्रकाश किया है, अर्थात सब मनुष्यों को वेद पढना और पढ़ाना चाहिए |

विचार करने योग्य बात है की वेद का ज्ञान या परमात्मा का दिया यह वेदज्ञान मानव मात्र के कल्याण के लिए है | ना किसी मुल्क वालों के लिए और ना किसी मुल्क वालों की भाषा में कारण परमात्मा पर पक्षपात का दोष लगेगा |

कुरानी अल्लाह का उपदेश सिर्फ अरब वालों के लिए है, डराने और धमकाने के लिए हैं अरब के आस पास वालों के लिए हैं समग्रः मानव मात्र के लिए नहीं है= नीचे देखें प्रमाण कुरान का |

وَكَذَٰلِكَ أَوْحَيْنَا إِلَيْكَ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَىٰ وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنذِرَ يَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَيْبَ فِيهِ ۚ فَرِيقٌ فِي الْجَنَّةِ وَفَرِيقٌ فِي السَّعِيرِ [٤٢:٧]

और हमने तुम्हारे पास अरबी क़ुरान यूँ भेजा ताकि तुम मक्का वालों को और जो लोग इसके इर्द गिर्द रहते हैं उनको डराओ और (उनको) क़यामत के दिन से भी डराओ जिस (के आने) में कुछ भी शक़ नहीं (उस दिन) एक फरीक़ (मानने वाला) जन्नत में होगा और फरीक़ (सानी) दोज़ख़ में |

सूरा 42 =शोयरा =आयत 7

إِنَّا جَعَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ [٤٣:٣]

हमने इस किताब को अरबी ज़बान कुरान ज़रूर बनाया है ताकि तुम समझो | सूरा43 जुख्रफ,आयत 3

كِتَابٌ فُصِّلَتْ آيَاتُهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لِّقَوْمٍ يَعْلَمُونَ [٤١:٣]

जिसकी आयतें समझदार लोगें के वास्ते तफ़सील से बयान कर दी गयीं हैं | सूरा 41 फुस्सिलत 3

قُرْآنًا عَرَبِيًّا غَيْرَ ذِي عِوَجٍ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ [٣٩:٢٨]

(हम ने तो साफ और सलीस) एक अरबी कुरान (नाज़िल किया) जिसमें ज़रा भी कजी (पेचीदगी)नहीं | सूरा 39 जुमर –आयत 28

وَكَذَٰلِكَ أَنزَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا وَصَرَّفْنَا فِيهِ مِنَ الْوَعِيدِ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ أَوْ يُحْدِثُ لَهُمْ ذِكْرًا [٢٠:١١٣]

हमने उसको उसी तरह अरबी ज़बान का कुरान नाज़िल फ़रमाया और उसमें अज़ाब के तरह-तरह के वायदे बयान किए ताकि ये लोग परहेज़गार बनें या उनके मिजाज़ में इबरत पैदा कर दे |         सूरा 20 ताहा = आयत 113

إِنَّا أَنزَلْنَاهُ قُرْآنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ [١٢:٢]

हमने इस किताब (क़ुरान) को अरबी में नाज़िल किया है ताकि तुम समझो | सूरा 12 यूसुफ़ -2

 

इस प्रकार कुरान में अल्लाह ने साफ साफ कहा यह कुरान मैं अरबी भाषा में इस लिए उतरा की तुम्हारी मात्री भाषा अरबी है इसे तुम सही सही समझ सको अरब वालों को समझा सको |

अब इसी कुरान को मानव मात्र के लिए दिया ज्ञान कैसा मन जाय ?  प्रमाण कुरान से दिया है |

महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =15 /6 /17 =

 

 

 

 

 

 

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