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कुरान की मान्यताएं मानवता विरुद्ध

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|| कुरान की मान्यताएं मानवता विरुद्ध ||
परमात्मा की श्रेष्ठ कला है मानव और उत्कृष्ट प्राणी कहलाने वाले भी मानव किसलिए यह मानव को सर्व उत्कृष्टप्राणी बताया ? इसका एक मात्र उत्तर है मानव बुद्धि परख है मानव को परमात्मा ने अक्ल दिया है हर बात पर विचार करने और निर्णय लेनेका, जो और किसी भी जीव में यह खूबी नहीं है |
जब यह पता चला की हमारा नाम मानव इस लिए पड़ा की प्रत्येक मनुष्य को सब कार्य धर्मानुसार सत्य और असत्य को विचार पूर्वक करना चाहिए | विचार तो दिमाग से ही करना पड़ेगा जिसे हम बुद्धि कहते हैं | अर्थात बुद्धि ही निर्णायक है मानव का, यही कारण बना की हम मानव परमात्मा से भी बुद्धि की ही मांग करते हैं | की परमात्मा आप हमें बुद्धि दीजिये, मेधा. सुमेधा, और प्रज्ञा, ऋतंभरा बुद्धि की मांग ईश्वर से करते हैं | और इस काम को करने वाले का नाम ही मानव पड़ा |
जब यह बात स्पष्ट हो गया की अकल से काम लेने वाले का ही नाम मानव है, तो मानव का कोई भी काम बुद्धि के विरुद्ध नहीं होनी चाहिए | लेकिन कुरान इससे सहमत नहीं है या कोई भी मजहबी ग्रन्थ इस से सहमत नहीं है | मजहबी ग्रन्थ का कहना है जो इसमें लिखा गया बताया गया इसे ही मानना पड़ेगा – चाहे वह बुद्धि विरुद्ध ही क्यों न हो |
कुरान में अथवा इस्लाम में इसे ही ईमान कहा गया बिश्वास कहा गया, जो तर्क के कसौटी पर खरा नहीं उतरता उसे ही मानने का नाम ईमान है | इस्लाम व ईसाई मानता है एक कुंवारी से अल्लाह ने या गोड ने संतान जन्म दिया | इधर हिन्दू कहता है की कुंती नाम की महिला ने संतान कर्ण को जन्म दिया | अब किनकी बात सत्य को सत्य कहेंगे, अक्ल से मानने योग्य बात कौनसी है ?

कुरान कहता है की जो बच्चा जन्म लिया जिसका नाम ईसा था वह जन्म लेकर ही बोला उसकी माँ सती है अर्थात सदचरित्र वाली है | और यह बात उस बच्चे से बुलवाया अल्लाह ने | इस सृष्टि नियम विरुद्ध बात को सत्य मानने का नाम ईमान है –
और जो इसे असत्य माने वह बे ईमान है | क्या इसे मानवता कहेंगे जो मानवता विरुद्ध है उसी बात को सत्य मानलेने की बात कुरान में अल्लाह ने बताया इसे मानना ही पड़ेगा वरना इस्लाम में तुम्हारी गिनती नहीं हो सकती | मैंने मात्र एक ही प्रमाण दिया है कुरान भरा पड़ा है इसी प्रकार बुद्धि विरुद्ध बातों से, मात्र कुरान ही नहीं सब मजहबी ग्रंथों में देखा जा सकता है | क्या इसे हम मानवता कह सकते हैं, जो मानवता विरुद्ध बातें है उसे मानने वालों का नाम मानव हो सकता हैं ? इसे जानने के लिए महेन्द्रपाल आर्य – 11 /11 /19

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