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कुरान में कत्ल का आदेश ||

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|| कुरान में क़त्ल का आदेश ||

जो लोग कहते हैं कुरान में गैर मुस्लिम को मारने का आदेश नहीं है, उन्हें यह लेख जरुर पढना चाहिए | प्रमाण और हवाला के साथ लिखा गया, कुरान और इबने कसीर तफसीर से लिया गया ध्यान से इसे पढ़ें ||

يَسْأَلُونَكَ عَنِ الشَّهْرِ الْحَرَامِ قِتَالٍ فِيهِ ۖ قُلْ قِتَالٌ فِيهِ كَبِيرٌ ۖ وَصَدٌّ عَن سَبِيلِ اللَّهِ وَكُفْرٌ بِهِ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَإِخْرَاجُ أَهْلِهِ مِنْهُ أَكْبَرُ عِندَ اللَّهِ ۚ وَالْفِتْنَةُ أَكْبَرُ مِنَ الْقَتْلِ ۗ وَلَا يَزَالُونَ يُقَاتِلُونَكُمْ حَتَّىٰ يَرُدُّوكُمْ عَن دِينِكُمْ إِنِ اسْتَطَاعُوا ۚ وَمَن يَرْتَدِدْ مِنكُمْ عَن دِينِهِ فَيَمُتْ وَهُوَ كَافِرٌ فَأُولَٰئِكَ حَبِطَتْ أَعْمَالُهُمْ فِي الدُّنْيَا وَالْآخِرَةِ ۖ وَأُولَٰئِكَ أَصْحَابُ النَّارِ ۖ هُمْ فِيهَا خَالِدُونَ [٢:٢١٧]

(ऐ रसूल) तुमसे लोग हुरमत वाले महीनों की निस्बत पूछते हैं कि (आया) जिहाद उनमें जायज़ है तो तुम उन्हें जवाब दो कि इन महीनों में जेहाद बड़ा गुनाह है और ये भी याद रहे कि ख़ुदा की राह से रोकना और ख़ुदा से इन्कार और मस्जिदुल हराम (काबा) से रोकना और जो उस के अहल है उनका मस्जिद से निकाल बाहर करना (ये सब) ख़ुदा के नज़दीक इस से भी बढ़कर गुनाह है और फ़ितना परदाज़ी कुश्ती ख़़ून से भी बढ़ कर है और ये कुफ्फ़ार हमेशा तुम से लड़ते ही चले जाएँगें यहाँ तक कि अगर उन का बस चले तो तुम को तुम्हारे दीन से फिरा दे और तुम में जो शख्स अपने दीन से फिरा और कुफ़्र की हालत में मर गया तो ऐसों ही का किया कराया सब कुछ दुनिया और आखेरत (दोनों) में अकारत है और यही लोग जहन्नुमी हैं (और) वह उसी में हमेशा रहेंगें | सूरा बकर 2 /217

 

समीक्षा :- {आयात उतरने का सन्दर्भ} इस आयात पर फ़रमाता है, की हुक्में जिहाद तुम लोगों को भारी पड़ेगा और इसमें तुम्हें मुशक्कत { परेशानी} और तकलीफें नज़र आएँगी क्यों के मुमकिन {संभव} है कत्ल भी किये जाव, जख्मी भी हो जाव | फिर सफर की तकलीफ और दुश्मनों का सामना भी | लेकिन समझो तो मुमकिन {संभव} है कि तुम इसे बुरा जानों और तुम्हारे लिए यही आच्छा है | क्यों की इसी से तुम्हारी गलबा {हमला } और दुश्मनों की बर्बादी उनके माल,उनके बाल बच्चे तुम्हारे क़दमों {चरणों} में गिर पड़ेगे | और यह भी हो सकता है, जिसे तुम सही मानो, वही तुम्हारे लिए बुरा हो |

 

रसूल अल्लाह {स} ने एक जमयात {दल} को भेजा और उनका आमिर {लीडर} हजरत अबू उबैदा जराह रजीअल्लाहु {एक औरत का नाम }  को बनाया, जब वह जाने लगे, तो हुजुर {स} के जुदाई से रो दिये, आप ने उन्हें तो रोक लिया, और दूसरा सरदार हजरत अब्दुल्ला बिन ह्ज़श {एकव्यक्तिनाम } को बना दिया उन्हें लश्कर मुकर्र {निर्धारित} किया और एक ख़त लिख कर दिया | और कहा जबतक वतन नखला {एक जगह का नाम }  न पहुँचो इस ख़त को न पढ़ना, वहां पहुच कर जब इस खतके मजमून को पढ़लो, तो अपने साथियों में से किसी को अपने साथ चलने पर मजबूर न करना |

 

नोट :- जो लोग यह कहते हैं की कुरान में मारो काटो लूटो की बातें नहीं हैं उन्हें चाहिए इस प्रकरण को जरुर पढ़ें और कुरान की इन आयातों पर विचार करें खुद समझें और दूसरों को भी बताएं की यही है वह कुरान जिसे जानकार पढ़ कर इस्लामी आतंकवादी बन रहे हैं | और लोगों को मारने मिटने और मिटानेको आमादा है | इन्ही आयातों से वह प्रेरित हो रहे हैं और अल्लाह और अल्लाह के रसूल का आदेश मान कर जो इन्ही कुरान में बताया गया उसे अपनाकर ही अल्लाह का यही रास्ता है जो जीने पर राज्य और मरने पर जन्नत की सारी सुख सुविधा जिसे इन्ही कुरान में वर्णन किया गया है |

महेन्द्रपाल आर्य =5 /11 /18 =

 

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