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कुरान में कही गई बातें असत्य है |

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कुरान में कही गई बात असत्य है ||

कुरान का कहना है अल्लाह ने जन्म से मनुष्यों को मुसलमान बनाता है  |

क्या यह बातें सच होना संभव है ? पहली बात तो यह है की कुरान की बातें अगर सच होती तो हर कोई बच्चा जन्म लेते ही अल्लाह पुकारता, मुहम्मद चिल्लाता, कुरान कहता इस्लाम बोलता इस लिए कुरान का कहना सच नहीं है की आज तक धरती पर जो बच्चा जन्म लिया सभी की  रोने, हंसने, चिल्लाने, पुकारने की आवाज़ एक ही है |

जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा, न अल्लाह, न गॉड, न यहोवा, न वाहे गुरु, और न राम राम पुकारता है, न कृष्ण बोलता है | अपितु जन्म लेने वाले सभी बच्चे की आवाज़ एक ही निकलती है, जिसे स्वर कहा जाता है | अर्थात स्वर ही निकलती है अगर स्वर न निकाले तो प्रसव कराने वाली दाई या नर्स बच्चे के पीठ में मारती है स्वर सुनने के लिए अगर वह स्वर न निकाले तो माना जाता है कहीं मरा तो जन्म नही लिया ?

परमात्मा =किसी को मुसलमान -या ईसाई -बनाकर नहीं भेजा यह सब दुनिया में आकर ही बनते है, या बनाये जाते हैं | किन्तु जब वह धरती पर आया वह क्या बनकर आया था ? यह शब्द ही गलत है की अल्लाह मुसलमान बनाकर भेजता है | परमात्मा के पास न कोई हिन्दू है -और न कोई मुस्लमान |

परमात्मा पर दोष लगेगा अगर ऐसा होतो, यहाँ भली प्रकार समझ लेना चाहिए, कि हर कोई जन्म लेने वाला एक ही विचारधारा ले कर ही आया है

जो वेद पर आधारित है -वैदिक मान्यता पर आधारित है जो की ईश्वर परदत्त है-अदि सृष्टि से है मानव मात्र के लिए है |

जहाँ किसी प्रकार का न कोई भेद भाव है -और किसी प्रकारका पक्षपात, जो पक्षपात से कोसो दूर है -परमात्मा ने न किसी को हिन्दू बनाया -और न ही किसी को मुस्लमान बनाया | और न ही परमात्मा ने मनुष्य बनाया | भली प्रकार याद रखना,-की -अगर परमात्मा मनुष्य -या मानव बनाते -तो यह उपदेश परमात्मा का नही होता -मनुर्भव = मानव बनो = यब – बात समझमे आगई -की दुनिया में आकर ही हमे मानव बनना होता है |

कोई भी मानव बनकर नही आया, अब जरुर सवाल आयेगा की मानव कौन है ? अब समाधान होगा की जो ईश्वर आज्ञा का पालन करे | वेद अनुकूल बातों को सत्य माने,सत्य को सत्य और असत्य को असत्य जाने -माने -और कहेंभी | मानव का परिभाषा ऋषि दयानन्द ने स्वमंत्व्य व मंतव्य प्रकाश में लिखते है -मनुष्य उसी को कहना, जो मनन शील होकर स्वत्मवत अन्यों के सुख दुःख और लाभ हानी को समझें -अन्याय कारी बलवान से भी न डरें -और धर्मात्मा निर्वल से डरता रहे |

इतना ही नही -किन्तु अपने सर्व सामर्थ से धर्मात्माओं,की चाहे वह महा अनाथ -निर्वल और गुणरहित क्यों न हो, उनकी रक्षा, उन्नति, प्रियाचरण” और अधर्मी चाहे चक्रवर्ती, सनाथ, महा बलवान और गुणवान भी हो तथापि उसका नाश, अवनति और अप्रियाचरण, सदा किया करें |

अर्थात जहाँ तक हो सके वहां तक अन्याय कारियों के बल की हानी और न्याय कारियों के बल की उन्नति सर्वथा किया करें | इस काम में चाहे उसको कितना ही दारुण दुःख प्राप्त हो, चाहे प्राण भी भले ही जावें, परन्तु इस मनुष्यपन रूप धर्म से पृथक कभी न होवे |

अब यहाँ ऋषि दयानन्द जी ने धरती पर यह जितने भी मत, पन्थ, मजहब, आदि आदि, हैं सब को किनारे कर सत्य बता दिया की पहले मनुष्य किसे कहते हैं उसे जानो | कारण धरती पर यही वह लोग हैं, जो अपने को मनुष्य कहलाने को तैयार नही |

और न हक़ हि -किसीने हिन्दू कहा -किसीने मुसलमान -कहा =किसीने जैनी कहा -किसीने बौद्ध कहा -किसीने ईसाई कहलवाया अपने को | जो की यह मनुष्य कहलाकर राजी नही, इस से -एक बात का पता और भी लगा, की धरती पर आकर ही कोई -मुसलमान बना -ईसाई -जैनी -और बौद्ध बना, किन्तु जब वह धरती पर आया तो वह क्या बनकर आया था ? इसका जवाब किसके पास है ?

अगर कुरान में अल्लाह का कहना सच होता तो मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वाले बच्चे के एक कान में आजान, दुसरे कान में तक्वीर किस लिए सुनाये जाते ? महज़ उसे यह सुचना दि जा रही है की तुम मुसलामनों के घर आये |  फिर उसकी सुन्नत भी किस लिया कराया जाता अगर वह मुसलमान ही जन्म लिया तो यह सारा काम तो जन्म से ही होता ? यह सब दुनिया में ही करते कराते हैं | हम मानव कहला कर भी सच और झूठ को नहीं पहचान रहे हैं, यही मानवता की हत्या है |

महेन्द्रपाल आर्य 21 /10 /20 =

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