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कुरान में भी पुनर्जन्म

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कुरान में भी पुनर जन्म है ?
कौन कहता है इस्लाम में पुनरजन्म नहीं ?
अभी मेरे एक मित्र श्री वालिया जी ने मुझसे पूछा की पण्डित जी सही मे दुबारा जन्म होगा ?
पहले हमें यह समझना होगा की जन्म क्या है. और मृत्यु क्या है ?
समाधान है. की शारीर में आत्मा होने का नाम जीवित. और न होने का नाम है मृत्यु |
और यह धरती जन्म,मरण का ही खेल है. यहाँ जो आया है वह जायेगा. और जो गया है वह आएगा |

इसी आने और जाने का ही नाम दुनिया है. कारण पक्ष दो ही शाश्वत है आदि से हैऔर अंततक रहेगा |

जैसा प्रकाश और अंधकार.भला.और बुरा. पाप और पुण्य. स्वस्थ. अस्वस्थ. रोग. और सुस्थ | तो ठीक इसी प्रकार जीव.जन्म और मृत्यु में ही रमे हैं, जो जन्म लिया. वह मरेगा. यानि अमर कोई नहीं |

सृष्टि की रचना.तीन अनादी तत्व को लेकर है.जिसे हम परमात्मा.जीवात्मा.और प्रकृति कहते हैं | यह तीनो अनादी है. परमात्मा.अनादी.जीवात्मा.अनादी.और प्रकृति भी अनादी | यह तीनों अनादी तत्व है. न परमात्मा को किसीने बनाया. और न ही परमात्मा ने जीवात्मा को बनाया.और न ही प्रकृति को |

यह पहले था अब भी है और आगे भी रहेगा. और तीन के बिना किसी भी वस्तु का बनना संभव नहीं. हर जगह तीन ही पाएंगे.अल्लाह. नमाज. और नमाजी. पूजा करने वाला. पूजा की सामग्री. और जिसकी पूजा की जाएगी | दुकानदार. खरीदार. और बेचने का सामान |
दुनिया का खेल तीनो को लेकर है. इसमें परमात्मा,ज्ञान में परिपूर्ण है. प्रकृति ज्ञान शून्य है और जीवात्मा में कुछ ज्ञान है और कुछ अज्ञानता | परमात्मा,अमर है. अजन्मा है.जो मरता नहीं और न ही जन्म लेता है | जीवात्मा को जन्म लेना इस लिए पड़ता है की अपने कर्मों के फल को उसे भुगतना है |

प्रकृति अपने आपमें जड़ है न उसका कोई कर्म और न उसका कोई भोग. कारण जब कर्म ही नहीं तो भोगे गा क्या ?
तो जीवात्मा कर्म करता है और भोगता है. फल दाता परमात्मा है | फल देना परमात्मा का काम है न किसीको ज्यादा देता न किसी को कम. जो जितना किया है. उसे ठीक उतना ही देना उसकी न्याय व्यवस्था है |
किसी को ज्यादा देना किसी को माफ़ करदेना. यह परमात्मा की न्याय व्यवस्था नहीं होगी जो इस्लाम.और ईसाईयत. वालों की मान्यता है | यह परमात्मा पर दोष लगता है.की जिसको चाहे दे जिसे चाहे न दे यह तो कुरान और बाईबिल की मान्यता है |

वेद में बताया परमात्मा का यह कार्य नहीं, कारण फिर वह न्यायकारी नहीं कहला सकते | परमात्मा वही है जिसपर कोई दोष न लगे.किसी प्रकार का आरोप परमात्मा पर लगने से परमात्मा का होना संभव नहीं.यही कारण है किसी को देना किसी को न देना यह दोष है |

अब जीवात्म को परमात्मा ने कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में प्रतंत्र छोड़ा.नियंत्रण परमात्मा का ही है | अर्थात यह जीवात्मा कर्म अपने अनुसार तो करेगा.किन्तु फल अपने आप नहीं ले सकता, फल दाता परमात्मा ही हैं | कारण अपने आप फल लेने वाला होता तो न अपनी गलती को मानता और न सजा पाना चाहता | तो परमात्मा की न्याय व्यवस्था की. फल दाता मै ही हूँ तुम जैसे कर्म करोगे मै तुम्हे ठीक वैसा ही फल दूंगा .न किसी को कम और न किसी को ज्यादा | जितना करोगे उतना ही पावगे न तो मै तुम्हे माफ़ करूंगा.और न किसी प्रकार की कोई ढील दूंगा |

तुम मानव हो कर्म करने का अधिकार मैने तुम्हे दी है किसी औरों को नहीं.तुम्हारे कर्मों का फल तुमपर ही निर्भर है | तुम्हारे कर्म तुम्हे देवता बनादे या फिर राकक्षस. यह.तुम्हे ही अपने आप में कर्मों से ही अपनी तैयारी करनी होगी |
तुम्हे हमने दो प्रकार का ज्ञान दिया है.साधारण.और नैमित्तिक | सुख दुःख लाभ हानी यह सभी तुम.मानवों के लिए ही है तुम सुख चाहते हो तुम्हारा कर्म ही तुम्हे सुख दिला सकता है, और जो काम मानवता विरोधी है उस काम को करोगे तो दुःख झेलना पड़ेगा |

अब प्रश्न है की वह दुःख झेलना कहाँ पड़ेगा .और सुख को प्राप्त कहाँ कर पाएंगे ? अब यहाँ मानव समाज में मत भेद दिखने लगते हैं | कुछ लोगों की मान्यता है की मरने के बाद स्वर्ग और नर्क में जा कर भोगेंगे,यह मान्यता हिन्दू, मुस्लिम. और ईसाईयों के हैं |

मरने के बाद स्वर्ग में वह सुख भोगने वाले जायेंगे. और दुःख नर्क में जाकर भुगता जायेगा | अब यहाँ स्वर्ग और नरक सामने आ खड़ा होगया.तो क्या स्वर्ग.और नर्क दुनियासे बाहर जा कर है ?

तो लोगों की मान्यता है की वह तो मरने के बाद ही होगा | फिर यहाँ सवाल खड़ा है की मरने के बाद भोगे या मरने से पहले.किन्तु भोगने के लिया उसका शारीर होना चाहिए या नहीं ? अगर शारीर नहीं तो कोई कैसे भोगे गा? यहाँ इस्लाम की मान्यता क्या है देखें इस्लाम वाले मानते हैं की अल्लाह उसी आत्मा को उसी की शारीर में ही डालेंगे | अब समझना है की ओसामा की लाशको अल्लाह समुन्दरमें किनगोताखोर को भिजवा कर निकलवाएंगे ?

फिर वह लाश किसी गोताखोर को मिलना कैसे हो पायेगा ? क्या उसे अमरीका वालों ने समुन्दर में फेंका.तो उसे पानी के जंतुओं ने स्व शरीर उसे रखा है या खा कर हज़क कर गया ?
इस्लाम वाले कहते हैं की अल्लाह फिरसे उसे उसी शारीर में ही उठाएंगे.यह अकलमन्द लोग ही विचार करें की यह कैसा संभव हो सकेगा भला ?
कुछ भी हो यह तो इस्लाम मानता है की भोगने के लिए शारीर का होना ज़रूरी है,बिना शारीर का कौन भोगे गा और कैसा भोगे गा |

अब जब यह बात पक्की हो गयी की भोगने को शारीर चाहिए यह सत्य है इस को अ स्वीकार नहीं किया, तो जो मानव अपने माता के पेट से अँधा. लगडा. लूला.अपाहिज पैदा हुवा उसने जब पहले कर्म किया ही नहीं तो उसको सजा किसलिए दिया गया ?

यह भी बात तैय है की सजा कर्म कि ही मिलती है. जब उसने अभी कर्म किया ही नहीं तो उसको यह सजा मिलना.या देना सजा देना वाला. दोषी नहीं होगा ? वैदिक मान्यता है की अवश्य ही भोगना है किये कर्मों का फल शुभ हो या आ शुभ |

यानि जीव.शुभ अ शुभ कर्मो के फल भोगने को शारीर में ही भुगतता है. या भोग सकता है | और यह दुनिया या पृथ्वी को छोड़ कोई जगह नहीं की यह जीवात्मा अपनी कर्म फल को भोग सके | भले ही इस्लाम वाले इस बात को न माने.इसबात को कुरान से ही हम देखते है की अल्लाह का फरमान क्या है | مَآ اَصَابَكَ مِنْ حَسَنَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ۡ وَمَآ اَصَابَكَ مِنْ سَيِّئَةٍ فَمِنْ نَّفْسِكَ ۭوَاَرْسَلْنٰكَ لِلنَّاسِ رَسُوْلًا ۭ وَكَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًا 79؀
جو بھی کوئی بھلائی پہنچتی ہے تجھے (اے انسان !) تو وہ اللہ ہی کی طرف سے (اور اسی کے فضل سے) ہوتی ہے اور جو بھی کوئی بدحالی پیش آتی ہے تجھے تو وہ تیری اپنی ہی وجہ سے ہوتی ہے اور ہم نے (بہر حال اے پیغمبر صلی اللہ علیہ وسلم !) آپ کو بھیجا ہے سب لوگوں کے لیے رسول بناکر، اور کافی ہے اللہ گواہی دینے کو، ف۳
यह कर्म को बताया गया की जो कोई भला है वह महज़ अल्लाह की तरफ से है और जो बुराई है वह तेरे.काम का ही सबब है | كَيْفَ تَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَكُنْتُمْ اَمْوَاتًا فَاَحْيَاكُمْ ۚ ثُمَّ يُمِيْتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيْكُمْ ثُمَّ اِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ 28؀تم کیسے کفر کرتے ہو اللہ کے ساتھ (اے منکرو!) حالانکہ تم بےجان تھے تو اس نے تمہیں زندگی (کی یہ عظیم الشان نعمت) بخشی پھر وہی تمہیں موت دیتا ہے (اور دے گا) اور وہی تمہیں زندگی بخشتا ہے (اور بخشے گا) ف٤ پھر اسی کی طرف تم لو ٹائے جاتے ہو (اور لوٹائے جاؤ گے)
قُلْ هَلْ اُنَبِّئُكُمْ بِشَرٍّ مِّنْ ذٰلِكَ مَثُوْبَةً عِنْدَ اللّٰهِ ۭ مَنْ لَّعَنَهُ اللّٰهُ وَغَضِبَ عَلَيْهِ وَجَعَلَ مِنْهُمُ الْقِرَدَةَ وَالْخَـنَازِيْرَ وَعَبَدَ الطَّاغُوْتَ ۭ اُولٰۗىِٕكَ شَرٌّ مَّكَانًا وَّاَضَلُّ عَنْ سَوَاۗءِ السَّبِيْلِ 60؀ان سے) کہو کہ کیا میں تمہیں ان لوگوں کی خبر نہ دوں جن کا انجام اللہ کے یہاں اس سے کہیں زیادہ برا ہے؟ وہ جن پر اللہ کی لعنت (اور پھٹکار) ہوئی، اور ان پر غضب ٹوٹا اس کا، اور ان میں سے کچھ کو اس نے بندر بنا دیا اور کچھ کو خنزیر، اور جنہوں نے پوجا کی شیطان کی، یہ ہیں وہ لوگ جن کا ٹھکانا بھی سب سے برا ہے، اور جو راہ راست سے بھی سب سے زیادہ بھٹکے ہوئے ہیں، ف٤
अब देखें मैंने 2 जगह का हवाला दिया सूरा बकर आयत 28 में कहा गया तुम बे जान थे मैंने जिन्दा किया.फिर मौत देता है और वही तुम्हे जिन्दा करता है.फिर उसीके तरफ लौटना है |
दूसरा प्रमाण है सूरा मायदा आयात 60 का ==कहो के क्या मै तुम्हें उनलोगों की खबर न दूँ जिनका अंजाम अल्लाह के यहाँ उससे कहीं ज्यादा बुरा है, वह जिन पर अल्लाह की लायनत और फटकार हुई और उन पर गजब टुटा और उसमे से कुछ को बन्दर बनादिया और कुछ को सुवर जिन्हों ने पूजा की शैतान की | यह वह लोग है जिनका ठेकाना सबसे बुरा है और जो राहे रास्त. से ज्यादा भटके हुए हैं |

अल्लाह ने उन्हें बन्दर और सुवर बनाने वाला है किसको जो शैतान की पूजा की,अब सवाल यह है की अल्लाह बन्दर और सुवर बना कर उन्हें कहाँ रखेंगे ?ज़न्नत में तो ज़रूर नहीं तो बन्दर और सुवर का काम भी नहीं वहां तो ज़रूरी है की दुनिया में ही आना पड़ेगा | यह सजा अल्लाह उनको देंगे बन्दर और सुवर बनाकर की जो शैतान का अनूगामी होगा शैतान का कहना मानेगा पर तो यह सजा मरने के बाद ही उसे जिन्दा करके देंगे तो मार कर जिन्दा कर उसे सजा दिया तो पुनर जन्म ही तो हुवा |

इसके अतिरिक्त कुरान में और भी कई जगह यह प्रमाण है कल अब्दुल्ला चतुर्वेदी को ज़वाब दिया है, यह लेख 31 दिसम्बर 2013 को लिखा था, आज पुन: याद दिलाया =महेन्द्रपाल आर्य – 20 जुलाई 20

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