Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

कुरान व बाइबिल की सृष्टि नियम वेद विरुद्ध |

Share post:

|| कुरान व बाइबिल की सृष्टि,वेद विरुद्ध ||
वेदानुसार सृष्टि नियम पर दृष्टि डालें तो पता लगेगा, बाइबिल और कुरान को पता ही नहीं है की सृष्टि किस प्रकार से बनती है | मैं यहाँ पर कुछ प्रमाण प्रस्तुत कर रहा हूँ वैदिक मान्यता को प्रथम दर्शाते हैं, उसके बाद कुरान और बाइबिल से भी प्रमाण देंगे |
ऋषि दयानन्द से किसी ने सवाल किया :-
सृष्टि की आदि में एक वा अनेक मनुष्य उत्पन्न किये थे परमात्मा ने ?
उत्तर:- में ऋषि ने बताया, अनेक | कारण जिन जीवों के कर्म ऐश्वरी सृष्टि में उत्पन्न होने थे,उनका जन्म सृष्टि की आदि में इश्वर देता है | क्योंकि –
‘मनुष्या ऋषयश्च ये’ || (यजु: अ० 31)
‘ततो मनुष्या अजायन्त’ ||
इस प्रमाण से यही निश्चय है कि आदि में अनेक अर्थात सैकड़ों सहस्त्रों मनुष्य उत्पन्न हुए| और सृष्टि में देखने से भी निश्चित होता है कि मनुष्य अनेक माँ- बाप के संतान है|
प्रश्न:- आदि सृष्टि में मनुष्य आदि की बाल्य, युवा वा वृद्धावस्था में सृष्टि हुई थी, अथवा तीनो में
उत्तर:- युवावस्था में | क्योंकि जो बालक उत्पन्न करता, तो उनके पालन के लिए दुसरे मनुष्य आवश्यक पड़ती | जो वृद्धावस्था में बनाता, तो मैथुनी-सृष्टि न होती | इसलिए युवावस्था में सृष्टि की है |
प्रश्न:- कभी सृष्टि का प्रारंभ है, वा नही ?
उत्तर- नही | जैसे दिन के पूर्व रात और रात के पूर्व दिन तथा दिन के पीछे रात और रात के पीछे दिन बराबर चलता आता है, इसी प्रकार सृष्टि के पूर्व प्रलय और प्रलय के पूर्व सृष्टि तथा सृष्टि के पीछे प्रलय और प्रलय के आगे सृष्टि अनादिकाल से चक्र चला आता है | इसकी आदि व अंत नही है | किन्तु जैसे दिन व रात का आरम्भ और अंत देखने में आता है, उसी प्रकार सृष्टि और प्रलय का आदि- अंत होता रहता है क्योंकि जैसे परमात्मा, जीव, जगत का कारण तीन स्वरुप से अनादि है, वैसे जगत की उत्पत्ति, स्थिति, और प्रलय प्रवाह से अनादि है | जैसे नदी का प्रवाह वैसा ही दीखता है, कभी सूख जाता, कभी नही दीखता, फिर बरसात में दीखता और उष्णकाल में नही दीखता, ऐसे व्यवहारों को प्रवाह रूप जानना चाहिए | जैसे परमेश्वर के गुण, कर्म, स्वाभाव अनादि है, वैसे ही उसके जगत की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय करना भी अनादि है | जैसे कभी ईश्वर के गुण, कर्म, स्वाभाव का आरम्भ और अंत नही होता, इसी प्रकार उसके कर्तव्य- कर्मों का भी आरम्भ और अन्त नही है |
फिर प्रश्न किया :- ईश्वर ने किन्ही को जीव किसी को मनुष्य, जन्म दिया, किन्ही को सिंहादी क्रूर जन्म, किन्ही को हिरण, गाय आदि पशु, किन्ही को वृक्षादी, कृमि कीट पतंगादी जन्म दिये हैं इससे परमात्मा का पक्षपात नहीं |
उत्तर:- पक्षपात नहीं आता, क्यों की उन जीवों के पूर्व सृष्टि में किये हुए कर्मानुसार व्यवस्था करने से जो कर्म के बिना जन्म देता तो पक्षपात आता |
प्रश्न:- मनुष्यों की आदि सृष्टि किस स्थल में हुई ?
उत्तर:-त्रिविष्टप“ अर्थात जिसको तिब्बत कहते हैं |
मैंने यहाँ ऋषि दयानन्द जी के तीन विचार आप लोगों के सामने प्रस्तुत किया है |
1 =सृष्टि एक मनुष्य की हुई वा अनेक, मनुष्य उत्पन्न हुए ?
2 =एक बार यही सृष्टि है, या इससे पहले भी सृष्टि थी ?
3 =किस स्थल में मनुष्य मनुष्यों की सृष्टि हुई ?
मैंने सवाल और जवाब दोनों ही सत्यार्थ प्रकाश के आठवाँ समुल्लास से उठाया जिसमें ऋषि ने बड़े आसानी से समाधान दिया है |
अब बाइबिल से देखें :-
उत्पत्ति विषय :-आयत 1 =आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की |
2 :-पृथ्वी सुनसान पड़ी थी और गहरे जल के उपर अँधियारा था |
3 :- तथा परमेश्वर का आत्मा मंडरारहा था, परमेश्वर ने कहा उजियाला हो जा उजियाला हो गया |
4 :- परमेश्वर ने देखा तो कहा अच्चा है, परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अंधियारे को रात कहा |
5 :- फिर भोर हुई साँझ हुवा, इस प्रकार एक दिन हो गया |
नोट :-मैंने सिर्फ एक दिन का तमाशा बताया बाइबिल से, इसपर मानव कहलाने वाले जो बुद्धि मान कहलाते हैं दुनिया में जरा चिंतन करें, यहाँ बाइबिल में लिखा परमात्मा का आंत्मा मदर रहा था आगर परमात्मा का ही आंत्मा मंडराने लगे तो दुनिया क्या बनाई होगी ईश्वर जानें कितनी मनघडंत बातें विज्ञान विरुद्ध लिखी गई है विचार करें वेद का कहना सही है अथवा बाइबिल का कहना ?
अब कुरान से भी देखें
يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّا خَلَقْنَاكُم مِّن ذَكَرٍ وَأُنثَىٰ وَجَعَلْنَاكُمْ شُعُوبًا وَقَبَائِلَ لِتَعَارَفُوا ۚ إِنَّ أَكْرَمَكُمْ عِندَ اللَّهِ أَتْقَاكُمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ [٤٩:١٣]
लोगों हमने तो तुम सबको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और हम ही ने तुम्हारे कबीले और बिरादरियाँ बनायीं ताकि एक दूसरे की शिनाख्त करे इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा के नज़दीक तुम सबमें बड़ा इज्ज़तदार वही है जो बड़ा परहेज़गार हो बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफ़कार ख़बरदार है | सूरा 49=13

नोट :- अल्लाह ने एक मर्द, और एक औरत से पैदा किया, और पूरा कबीला बनाया | यहाँ परस्पर विरोधी बातें भी है | जैसा एक स्त्री एक पुरुष से बनाया कहा, कहीं गारे से बनाया, कहीं खनखनाती मिटटी से बनाया, और किसी औरत में फुंक मार कर उस के बच्चे बनाये कहा |
هُوَ الَّذِي خَلَقَ لَكُم مَّا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا ثُمَّ اسْتَوَىٰ إِلَى السَّمَاءِ فَسَوَّاهُنَّ سَبْعَ سَمَاوَاتٍ ۚ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ [٢:٢٩]
वही तो वह (खुदा) है जिसने तुम्हारे (नफ़े) के ज़मीन की कुल चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान (के बनाने) की तरफ़ मुतावज्जेह हुआ तो सात आसमान हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह (खुदा) हर चीज़ से (खूब) वाक़िफ है | सूरा 2 =29
कितने दिन में बनाये ? वह भी देख लें |
إِنَّ رَبَّكُمُ اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۖ يُدَبِّرُ الْأَمْرَ ۖ مَا مِن شَفِيعٍ إِلَّا مِن بَعْدِ إِذْنِهِ ۚ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۚ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ [١٠:٣]
इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुमरा परवरदिगार वही ख़ुदा है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया फिर उसने अर्श को बुलन्द किया वही हर काम का इन्तज़ाम करता है (उसके सामने) कोई (किसी का) सिफारिशी नहीं (हो सकता) मगर उसकी इजाज़त के बाद वही ख़ुदा तो तुम्हारा परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो तो क्या तुम अब भी ग़ौर नही करते | सूरा 10 =3

दुनिया बनाने में अल्लाह को 6 दिन लगे |

मैंने उपर सृष्टि बनने का नियम जो वेद का प्रमाण दिया, उसके साथ यह बाइबिल, और कुरान का मेल है या नहीं यह देखें | इस पर मोटी पुस्तक लिखी जा सकती है मैं संकेत मात्र किया हूँ | महेन्द्रपाल आर्य = 10/9/17=

Top