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कौन है मंज़ूर अहमद, और कौन थे इरफ़ान खान ? जिन्हें मैंने मनोज आर्य बनाया है ?

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कौन है मंज़ूर अहमद, और कौन थे इरफ़ान खान ?
जिन्हें मैंने मनोज आर्य बनाया है ?
बात है 1998 की उनदिनों मैं आर्य समाज यमुना विहार में था, मेरे एक मिलने वाले दरोगा वेद पाल जी बावली वाले दिल्ली पुलिस में थे उनके साथ मेरे पास आये |
मेरा परिचय पा कर मेरे से काफी चर्चा कुरान और इस्लाम पर होती थी, उनदिनों इरफ़ान खान भी पढाई करते थे दिल्ली में, मंज़ूर अहमद वकालत की पढाई कर रहे थे | बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के धनि हैं मुझे ज्यादा मेहनत करने ही नहीं देते थे बड़े आसानी से बात को समझ जाते थे |
मैंने पूछा आप इस्लाम के मानने वाले हैं आप तर्क कर रहे हैं, आप के इस्लाम में तर्क मना है, आप को बता दिया गया की {जालिकल किताबु ला रई ब फीहे} इस किताब में कोई शक व शुबा नहीं |
उन्होंने मुझे कहा की मैं वकालत की पढाई कर रहा हूँ, जब मैं किसी चीज की तहकिकात किये बिना मान लेना अक्लमंदी है क्या ? मैंने कहा मेरे भाई कुरान में अल्लाह ने कह दिया, इसमें किसी भी प्रकार कोई भी संदेह नहीं है | उन्होंने कहा की इसे पढ़े बिना मैं कैसे मानलूं की इसमें संदेह है अथवा नहीं ?
उनसे यह बातें सुनकर मैं मनही मन बड़ा खुश हुवा की इस्लाम में भी सवाल उठाने वाले अक्लमंद लोग हैं | उनसे मेरी विचार विमर्श यहीं से चालू हुवा और वह मेरे अभिन्न मित्र बन गये, और प्रायः समय वेलकाम से यमुनाविहार आते थे |
हमारी चर्चा अकलियत के बिना पर होती रही, जो बातें मानने लायक नहीं है उसे कैसे आँखें बंद कर ही माना जाय ? जैसा अल्लाह जो चाहे सो करे, इन्हों ने पूछा की क्या पण्डित जी अल्लाह का काम कुछ निर्धारित नहीं है ? जो चाहे सो करे यह तो बहुत ही अमर्यादित बातें है |
जब एक साधारण इंसान भी अपना मनमानी नहीं कर सकता, सब के कार्य का नियम बना हुवा है सीमा भी है उसके बाद भी सीमा का उलंघन कर कोई काम अल्लाह का क्यों और कैसा हो सकता है ? मैने कहा मेरे भाई तभी तो वह अल्लाह है जो मनमे आ जाय सो कर डाले, यही मान्यता कुरान की है तभी उसने पहले ही लोगों से कह दिया की इसमें संदेह न करो आँखें बंद कर लो इसके सामने अपने को समर्पित करो आदि |
मैने कहा मेरे भाई मंज़ूर अहमद जी यह कितनी गलत बात है कुरान की जो मैं भी इसे तस्लीम नहीं कर पाया और इस्लाम को ही अलविदा कहने को मजबूर हुवा | मैने कहा जहाँ तक कुछ भी करने की बात है करने की भी एक दायरा और सीमा है उससे बाहर हम नहीं जा सकते |
ठीक इसी प्रकार परमात्मा के कार्य की भी सीमा है उससे बाहर परमात्मा कभी नहीं जायेंगे | कारण सिमा से बाहर न जाने वाले का ही नाम परमात्मा है | यही कारण है की परमात्मा के कार्य में किसी की भी सहायता नहीं चाहिये | कारण जो उन्हें सहायता करेगा उसके समतुल्य बन जायेंगे | यही कारण है की उसे सर्वशक्तिमान बताया गया, अल्लाह जैसा जिसे चाहे दे जिसे चाहे न दे यह होना सम्भव ही नहीं है |
यही मंज़ूर अहमद साहब मेरे पास भाई इरफ़ान खान को लेकर आये थे, जो आज हमसब को अलविदा कह दिया या दुनिया को अलविदा कह दिया | ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, उनके परिवार वालों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति दें |
ईश्वर व्यवस्था के अनुसार वह जिस भी योनी में गये बहुत ही उच्चय योनी को जरुर प्राप्त किया होगा | कारण उनके विचार बहुत ही नेक थे और भाई मंज़ूर अहमद के साथ जब मेरे पास आया करते थे तो उनकी चर्चा कुर्वानी और पशु हत्या पर ही होती थी | वह कहते थे यह अमानवीय तरीका है की किसी जिव को मारकर हम खाजाएं ?
पशु में और हम मानवों में फर्क तो यही है की हम अपने कर्मानुसार मानव योनी को प्राप्त किया, और जिव जंतु अपने अनुसार | तो जो हमसे निम्न योनी में है उससे हम अपने को उच्च कोटि के मानकर भी जब उसे ही हम काट कर खाएं तो हमारी वह महानता कहाँ चली गई ?
भाई इमरान खान के विचार मेरे से मिलने के पहले से ही शुद्ध विचार वाले थे, जब ऋषि दयानन्द कृत सत्यार्थ प्रकाश के साथ उन्हें जोड़ दिया तो वह विशुद्ध वैदिक विचार के हो गये, आप लोगों ने भी देखा होगा | भाई रजत शर्मा जी के साथ जब आपकी अदालत में उन्हों ने इस मांसाहार का विरोध किया पूरी दुनिया ने भी देखा और सुना है |
उनके विचार पहले से ही अच्छे थे जब मेरे से अपने दोस्त मंज़ूर अहमद जी के साथ मिले तो मैंने अपना कर्तव्य निभाते हुए ऋषि दयानन्द जी के विचारों से इन दोनों को जोड़ दिया, इस लिए मैं दावा के साथ कह सकता हूँ भाई इमरान खान जिस किसी योनी में भी अपने कर्मानुसार गये हैं, किसी अच्छे योनी को ही जरुर प्राप्त किया होगा | परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें | भाई मंज़ूर अहमद आप लोगों के पास है दिल्ली के कई कोर्ट में उनका चेम्बर है एक अच्छे वकील हैं | मैंने भी अपने सभी वकील मित्रों से उनका परिचय कराया है आप लोग भी उन्हें प्रोत्साहित करें और वैदिक विचारोंवाले जितने भी भाई और बहनें हैं उनसे संपर्क जरूर करें आर्य समाज कोई मसला नहीं है वैदिक विचारों से मतलब है ऋषि विचारों से मतलब है |
आर्य समाज यमुना विहार में रहते मौजपुर, ब्रहमपूरी, करावल नगर, आदि इलाके में कई हिन्दू घराने के लोग मुसलमान बन गये हैं | मुझे पता लगते ही उन लोगों से संपर्क कर उन्हें आर्य समाज में बैठकर विचार विमर्श सवाल ज़वाब करते थे | आर्य समाज के अधिकारी इस से सहमत नहीं थे, और यह समझते थे की यह आर्यसमाज को इस्लामिक सेंटर न बनालें |
यह है आर्य समाजी इस यामुना विहार वालों ने मेरे साथ भी बहुत ज्यादती की है, मरने से पहले सब लिखकर जाऊंगा इन लोगों से तो परमात्मा बचाएं |
भाई मंज़ूर अहमद का मो० 9968174972 आप लोग इनसे जरुर संपर्क करें, और पहलवान धरमवीर जी से भी संपर्क करें = नो० 9911380369, कोई भी सवाल इस्लाम और ईसाईंयत की हो इन से संपर्क करें | धन्यवाद के साथ =महेन्द्रपाल आर्य =1 /5 /20 =

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