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क्या जाहिलों की गाली मुझे सत्य बोलने से रोक सकता है ?

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जाहिलों की गाली मुझे सत्य बोलने से रोक सकता है ?
भले ही गंवारों से मैं गाली सुन रहा हूँ, जिनको सत्य से दुश्मनी है वह सत्य को क्यों सुनें ? सत्य का कहना, सत्य का सुनना, सत्य का देखना, आसान काम नहीं है |
अनेक बड़े बड़े महा पुरुषों से सत्य अपना मुह मोड़ लिया, जैसा गौतम बुद्ध ने देखा कुछ लोग गाय, बकरे, घोड़े, और मानव के मांस को अग्नि में डाल रहे थे, बुद्ध ने पूछा क्या हो रहा है ? जवाब मिला यज्ञ कर रहे हैं | वेद के आदेश है यज्ञ सबसे श्रेष्ठ कर्म है, यज्ञ इस भुवन का नाभि है | यह बातें सुनकर गौतमबुद्ध ने काहा यह आदेश अगर वेद का है तो मैं इस वेड को नहीं मानता,और यह परमात्मा का दिया ज्ञान है वेद उस परमात्मा को भी नहीं मानता | किस प्रकार लोगों के कहने पर सत्य से दूर हुए गौतम बुद्ध किसी के कहने पर उसे तहकीकात {जाँच} किये बिना अन्य जानकरों से जानकारी लिए बिना ही सत्य से अपने को अलग किया |
होना तो यह था किसी ने कुछ कहा उसे सत्य मानने के बजे जानकारों से उसकी जाँच करना था, किन्तु उसे ही सत्य मानकर सत्य से अपने आप ही दूर होगये | जब की यह वाक्य वेद में कहीं नहीं है की मांस को यज्ञ की आहुती बनाव | जहाँ यज्ञ में पौष्टिक और सुगन्धित द्रव्य डालने की बात हों फिर मांस डाल कर दुर्गन्ध फ़ैलाने की बात यों और कैसे हो सकता है ? यह बात गौतमबुद्ध अपनी दिमाग से नहीं सोच सके, और सत्य को ही छोड़ दिया |
इस प्रकार सत्य से विमुख होने वाले अनेक नाम है हमारे ईतिहास में, सत्य से भीष्मपितामह भी अलग हो गये | यह कह कर की मैंने कौरवों का अन्य खाया उस अन्य ने सत्य बोलने से मुझे रोक दिया | अर्जुन के वाण लगने से कौरवों के खाये अन्य का बना हुवा रक्त निकल गया तो धर्म उपदेश देने लगा | किन्तु ऋषि दयानन्द जी को एक नरेश के खाए अन्य नेधर्म उपदेश से नहीं रोक पाए | पता लगा सत्य बोलना सत्य का प्रतिपादन करना हर एक की बस की बात नहीं है | सत्य बोलने के लिए हिम्मत चाहिए सत्य बोलने के लिए सत्यता की जानकारी चाहिए सत्य बोलने के लिए ज्ञान चाहिए, अज्ञानी सत्य को नहीं जान सकते और सत्य से अज्ञानी हमेशा दूर भागते हैं |
सत्य से अलग होने तथा रहने के लिए लोगों ने रास्ता निकला है, आँख में हाथ रखो, मुह में हाथ रखो, कान में भी हाथ रखो | कारण गलत कार्य करते देखने, सुनने पर तो बोलना पड़ेगा | अच्छा यही है की देखना सुनना और बोलना भी बंद करदो | इसी से धरती पर असत्य और अधर्म को बढ़ावा मिला लोग सत्य से अलग होते गये सत्य जो मानव जीवनका लक्ष्य था मानव जीवनको सफल बनाने के लिए एक मात्र सत्य ही है जो मानव को मानव बनने का अधिकारी बनता है अगर मानव जीवन में सत्य नहीं है तो वह मानव कहलाने का अधिकारी भी नहीं है |
अब सत्य से ही मानव कहलाने वालों ने अपने को अलग कर लिया, जीवन के नजदीक सत्य को आने ही नहीं दिया |
अरबी जुबान में कहावत है>
वजिद्दो कुल्लिम राइन मा काना यजहिलु हु |
वल जाहिलुना ले अहलिल इल्मे आजाऊ | |
अर्थात :- जिद {हुज्जत } करते हैं वही लोग जो नावाकिफ {अनजान } होते हैं | इसी लिए आलिम {जानकार } का दुश्मन {शत्रु } मुर्ख ही होता है |
यही चरितार्थ करने में लगे हैं लोग youtube में मेरे जो वीडियो लगी है उसे सुन, सुन कर यह जाहिल और गँवार लोग मुझे गली दे रहे हैं | क्या बोला गया उसे विचारने की ताकत नहीं सोचने समझने की ताकत नहीं और गौतम बुद्ध जैसे ही सत्य से विमुख हो कर गाली गलोज करने लगे | 21 =10 17

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