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क्या यही ईश्वरीय ज्ञान है ?

Mahender Pal Arya
24 Jul 20
224
क्या यही ईश्वरीय ज्ञान है ?
धरती पर जितने भी मत पंथ हैं, सब की अपनी अपनी धर्म पुस्तकें भी हैं, किसी का कुरान है, किसीका बाईबिल है, किसीका पूराण है , किसी का त्रिपिटक है, किसी का जिन्दावेस्ता है, किसी का तौरैत है, किसी का जाबुर है, किसी का इन्जील है आदि |
यानि जितने भी मत पंथ है सब के पास कोई ना कोई पुस्तक बताया जाता है जिसे वह अमल करते हैं | और खूबी की बात यह भी है की इन सभी पुस्तकों को धर्म पुस्तक के नाम से पुकारा जाता है, और सबने यह भी बताया की यह सब ईशवाणी है अर्थात परमात्मा का दिया ज्ञान है |
इन सब का पड़ताल किया, सब को देखने के बाद पता चला इन सब का ईश्वरीय ज्ञान का होना क्यों और कैसे संभव नहीं हैं ?
ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या है, ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी क्या होना चाहिए मुख्य रूपसे सभी बातों की जानकारी होना या करना जरूरी है |
मूल रूप से ईश्वरीय ज्ञान मनुष्य मात्र के उपदेश के लिये होना चाहिए, जो किसी एक व्यक्ति को संवोधित नही करती हो |
किसी मुल्क वालों के लिये उपदेश ना हो, किसी वर्ग विशेष की चर्चा जिसमें ना हो, किसी की वंशावली ना हो, किसी व्यक्ति विशेष का नाम न हो, जिसमें किस्सा कहानी की गूंजायश ना हो | आदि सृष्टि से हो, मनुष्य मात्र के भाषा में हो, सृष्टि नियम के विरुद्ध ना हो, विज्ञान विरुद्ध भी ना हो यही सब ईश्वरीय ज्ञान की कसौटी है |
यही कसौटी अथवा प्रमाण किसी भी बताये गये धर्म पुस्तक में नही है सिवाए वेद को छोड़ कर |
उपर दर्शाए गये सभी प्रमाण सिर्फ और सिर्फ वेद में ही है, उपर लिखे गये किसी भी पुस्तक में यह प्रमाण मिलना संभव नही है |
इसका मूल कारण है यह सभी पुस्तकें किसी न किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ा है | जैसा तौरैत जुड़ा है एक पैगम्बर मूसा से | जबूर, जुड़ा है, हजरत,दाउद से, इन्जील जुड़ा है हजरत ईसा से, कुरान जुड़ा है हजरत मुहम्मद से |
और त्रिपिटक जुड़ा है बुद्ध से, बिज्जक जुड़ा है कबीर से, गुरुग्रंथ जुड़ा है , नानक देव जी से |
वेद जुड़ा है मनुष्य मात्र से, वेद में किसी व्यक्ति के लिये उपदेश नही है सम्पूर्ण मानव मात्र के लिये उपदेश है किसी व्यक्ति से संपर्क और संवंध नही है सिर्फ मानव मात्र के लिये उपदेश है जैसा वेद में क्या उपदेश है देखें |
श्रमेण तपसा सृष्टा ब्रह्मणा वित्तऋते श्रिता | सत्येनावृता श्रिया प्रावृता यशसा परीवृता |
अथर्व =का० 12,अनु,5,म,1 व 2 =
{सत्येनावृता }सब मनुष्य प्रत्यक्षादी प्रमाणों से सत्य की परीक्षा करके सत्य के आचरण से युक्त हों | {श्रीयाप्रविता } हे मनुष्यों | तुम शुभ गुणों से प्रकाशित होके चक्रवर्तीराज्य आदि ऐश्वरीय को सिद्ध करके अतिश्रेष्ट लक्ष्मी से युक्त होके शोभारूप श्री को सिद्ध करके उसको चारों ओर शोभित हों | { यशसा परी० } सब मनुष्यों को उत्तम गुणों का ग्रहण करके सत्य के आचरण और यश अर्थात उत्तम कीर्ति से युक्त होना चाहिए |
नोट :- दुनिया वालों जरा विचार करें वेद जो परमात्मा का दिया ज्ञान है, जो मनुष्य मात्र को सिर्फ और सिर्फ उपदेश दिया है अपने आप को श्रेष्ट बनाव श्रेष्टता को प्राप्त करो लक्ष्मी भी कमाने में श्रेष्टता को ध्यान में रखो अपने जीवन में किसी भी प्रकार का मानवता के खिलाफ कुछ भी कार्य ना होने पाए आदि |
यह है ईश्वरीय उपदेश जो मानव मात्र के लिये है, यह ज्ञान पहले है, कारण ज्ञान के बगैर मनुष्य का आचरण संभव नही है | ज्ञान पहले कैसे है जैसा सन्तान के जन्म लेने से पहले उसका खुराक माँ के स्तन में दूध आजाना यह है ज्ञान |
इसी कसौटी को मैं कुरान के साथ मिलाता हूँ > पिछले दिनों में डॉ० असलम कासमी ने मेरे लेख पर आपत्ति जताते हुए लिखा था महेन्द्रपाल जी आपने कुरान की शाने नुजूल पर ध्यान न देकर आपत्ति उठाई है कुरान पर |
में गैर मुस्लिमों से दोस्ती न रखने की जो बातें हैं अथवा गैर मुस्लिमों से लड़ने की जो बातें है | उसका शाने नुजूल यह है की जब मक्का के काफ़िर लोग मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे थे तो उसी समय अल्लाह ने यह आयात नाजिल फरमाई { उतारी}
जवाब में मैंने उन्हें लिखा अगर जरूरत पड़ने पर अल्लाह को आयात उतारनी पड़े मतलब अल्लाह को पहले से परिस्थिति के बारे में जानकारी नही है की यह हो सकता है ?
फिर वह अल्लाह सर्वज्ञ क्यों और कैसा हो सकता है आज उस आयात की जरूरत नही कारण आज के दिन अरब से मुसलमानों को कोई घर से नही निकाल रहा है |
तो आज इस आयात की आवश्यकता समाप्त है ? फिर अल्लाह ज्ञानी क्यों और कैसे हो पाएंगे ?
सम्पूर्ण कुरान में 6,6,66 = आयतें हैं यह सभी आयात जरूरत होने पर उतारी गयी मैंने डॉ० जाकिर नाईक को 2004 में जब उन्हों ने मुझे अपना कार्यक्रम का निमंत्रण दिया था 2004 के 1 जनवरी में |
उन्हें मैंने कई सवाल लिखा था ऋषिसिद्धान्त रक्षक पत्रिका के सम्पादकीय लेख मार्च के अंक में, फिर उसे मैं अपनी पुस्तक मस्जिद से यज्ञशाला की ओर में लिखा है |
उनदिनों मुस्लिम समाज को छोड़ डॉ० जाकिर नाईक को कोई नही जानता था आर्य समाजियों ने उसका नाम सुना भी नहो था जब मैंने उसे सवाल लिख कर भेजा था |
हजरत मुहम्मद साहब एक बार परिवार और अपने लश्करों के साथ कहीं से कहीं जा रहे थे काफिले में हुज़ूरे अकरम की कमसिन तीसरी नम्बर वाली पत्नी हजरत आयशा भी थीं |
आयशा को रफाय हाज़त के लिये जंगल जाना पड़ा सारे लोग आगे निकल गये, पीछे एक सहाबी नियुक्त थे, कोई सामान गिरजाने पर उसे उठा लाना | उहें सामान की जगह हजरत आयशा मिली, बेचारे ने अपनी सवारी में बिठाकर काफिले में पहुंचा तो लोग उनके और हजरत आयशा के चरित्र पर शक करने लगे,
यहाँ तक की हजरत मुहम्मद साहब भी आएश पर शक किया अब अल्लाह ने यह आयत उतारी कुरान के सूरा नूर =आयत 6 को जो इस आयत की शाने नुजूल है ध्यान से दुनिया वाले देखें पढ़ें और समझें ईश्वरीय ज्ञान क्या और कैसा है कुरान |
अल्लाह ने साफ कहा जो लोग अपने ज़ोरुओं पर शक करते हैं उन्हें 4 गवाही पेश करनी चाहिए | अगर कोई गवाही ना मिले तो वह व्यक्ति एकेला ही चार बार अल्लाह के नाम का कसम खा कर कहें तो अलबत्ता उसे सच मान लिया जायेगा |
अब देखें शाने नुजूल क्या है आयात उतरती है घटना घटने के बाद | इसी कुरान को लोग कला मुल्ला कहते हैं जहाँ नबी की पत्नी बदचलन है या नही इसके लिये रास्ता अल्लाह को ही बताना पड़ रहा है |
इस से मानव मात्र से क्या सम्वन्ध और किसका भला हो रहा है ? और मानव मात्र को क्या ज्ञान मिल रहा है पढ़े लिखे लोग जरा विचार करें क्या है ईश्वरीय ज्ञान ?
महेंद्रपाल आर्य =30/11/16 =को लिखा था आज24/7 20 को याद दिलाया यह सभी लेख डॉ0 जाकिर नाईक को लिखा था आज तक ज़वाब नहीं मिला |