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गयासुद्दीन गाजी को जवाब

Mahender Pal Arya
28 Jul 18
273
|| गयासुद्दीन गाजी को जवाब ||
Gyasudeen Gazi Khan नहीं कोई माबूद सिवाय अल्लाह के और मेरे आका हजूर मुहम्मद मुस्तफा सल्लिलाहो अल्लेहे वसल्लम उसके रसूल है
पंडित जी आज इस्लाम ही एकमात्र ऐसा मजहब है जो इंसान को सही रास्ता दिखा सकता है और दुनिया में अमन कायम कर सकता है
इस्लाम कभी नहीं कहता की बेगुनाह को मारो आप जो झूठा प्रचार करते हो ये गलत है
काफिर तो अमानत है और सबाब का रास्ता है उसे कैसे नुक्सान पहुँचाया जा सकता है ?
काफिर को ईमान में लाने से जन्नत
काफिर के हाथों शहीद होने से जन्नत
और अगर अल्लाह की राह पर जंग में काफिर को कुछ हो जाए तो जन्नत
और ये गुरु वुरु हमारे इस्लाम में इनको इज्जत देना हराम है क्योंकि सबी इबादत सिजदे और इज्जत सिर्फ अल्लाह और उसके रसूल सल्लिलाहो अल्लेहे वसल्लम के लिए है
वैसे आपकी पोस्ट पे स्क्रिईं शॉट पोस्ट नहीं हो रहा वरना दुनिया को सबूत के साथ बताता की एक ईसाई पादरी तुझे एन डी टीवी पर डीबेट को ललकार रहा है और तू मुह छुपा रहा है
जब भटके हुए ईसाई के सामने पेंट गीली है तो अल्लाह के बन्दो के सामने क्या हाल होगा
है हिम्मत साजिद रशीदी जरजिस अंसारी अब्दुल्ला तारीक अंसार रजा जी से भिड़ने की ?
गयासुद्दीन गाजी को उत्तर
बन्धुओं आप लोगों ने कई बार देखा होगा, इस गाजी, या पाजी को मेरे सामने से भागते हुए | अनेक बार यह निरूत्तर हो कर भागा, पर यह बेशर्म है इसने लिखा है इस्लाम ही एक मात्र मज़हब है जो इन्सान को सही रास्ता दिखा सकता है |
هُدًى لِّلْمُتَّقِينَ [٢:٢]
अल्लाह ने खुद फ़रमाया हिदायत {उपदेश } मुत्तकी के लिए {परहेज गारों } के लिए उपदेश है |
पर उपदेश गलत रास्ते पर चलने वालों के लिए होना चाहिए अथवा जो पहले से सही रास्ते पर चल रहे हों उसके लिए उपदेश होना चाहिए ? अल्लाह का उपदेश गलत लोगों के लिए नहीं है यही बात आपलोग देख सकते हैं अबदुल्ला तारिक के साथ डिबेट में मैंने उठाया था कोई जवाब ही नहीं दे पाया, दुनिया के लोगों ने देखा है और आज भी देख रहे हैं | दुनिया में चैन कायम कर सकता है इस्लाम ? आयें हम इस्लाम जिसे अल्लाह की कलाम मानता है जिसपर इस्लाम टिकी है उसी कुरान से हम देखते हैं कैसा चैन और अमन की बातें है अथवा दुनिया में मार काट मचाने का उपदेश दिया है अल्लाह ने ?
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِينَ عَلَى الْقِتَالِ ۚ إِن يَكُن مِّنكُمْ عِشْرُونَ صَابِرُونَ يَغْلِبُوا مِائَتَيْنِ ۚ وَإِن يَكُن مِّنكُم مِّائَةٌ يَغْلِبُوا أَلْفًا مِّنَ الَّذِينَ كَفَرُوا بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُونَ [٨:٦٥]
ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं | सूरा अनफल =65
काया यही है वह चैन और अमन का रास्ता जिसे अल्लाह ने मुसलमानों को कहा 20 मुसलमान 200 काफिरों पर भारी पड़ोगे | इसे अमन का रास्ता कहा जायेगा ? दुनिया के लोग जरा इस अक्ल के दुश्मन को बताएं की अगर अल्लाह का काम मानव को मानव से लड़ाने का है, तो दानव का काम क्या होना चाहिए ?
فَإِذَا انسَلَخَ الْأَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِينَ حَيْثُ وَجَدتُّمُوهُمْ وَخُذُوهُمْ وَاحْصُرُوهُمْ وَاقْعُدُوا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍ ۚ فَإِن تَابُوا وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَآتَوُا الزَّكَاةَ فَخَلُّوا سَبِيلَهُمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ [٩:٥]
फिर जब हुरमत के चार महीने गुज़र जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ पाओ (बे ताम्मुल) कत्ल करो और उनको गिरफ्तार कर लो और उनको कैद करो और हर घात की जगह में उनकी ताक में बैठो फिर अगर वह लोग (अब भी शिर्क से) बाज़ आऎं और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दे तो उनकी राह छोड़ दो (उनसे ताअरूज़ न करो) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है |
यहाँ साफ साफ अल्लाह ने क़त्ल करने का उपदेश दिया है, किसको ? शिर्क करने वालों को जो मुशरिक है {मूर्ति पूजक } हैं उन्हें क़त्ल करो, और उनको गिरफ्तार, करो कैद करो और रास्ते में जगह जगह बैठे रहो उनको मारने के लिए | यह काम कबतक करो, जबतक वह नमाज पढ़ेने लगे, जकात देने लगे उसवक्त तक उनके साथ यह बर्ताव करो | अर्थात जबतक वह इस्लाम कुबूल न करें उसके उपर यह अत्याचार करते रहो | अब विचार करें क्या यही इस्लामी अमन चैन है, की दूसरों की चैन छीनलें ?
इस्लाम का प्रचार आसानी से हुवा अथवा यही मारपीट कर इस्लाम फैलाया गया, इन्ही आयातों से क्या प्रमाण मिलरहा है ? इसप्रकार के अनेकों आयात कुरान में मौजूद है |
रही बात डिबेट की अब्दुल्ला तारिक और तारिक मुर्तजा मेरे साथ डिबेट में हारे या नहीं यह तो दुनिया के लोगों ने youtube में देखा है और अभीभी देख रहे हैं | फिर इतना ही शौक है तो मेरी तो खुलीदरबार है सामने क्यों नहीं आरहे गयासुद्दीन तू ही आ जा सामने जिसको मन करे साथ लेकर आ कौन कितना जानता है किसके पास क्या खजाना है वह दुनिया वालों को भी पता लगे किनके पास क्या इल्म है ? लोग भी देखें समझें |
महेन्द्रपाल आर्य =28 जुलाई 2018 सुबह 8, 49 मिनट