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गाँधी का पथ ही गलत था जिसे हिन्दुओं ने समझा नहीं |

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मोहनदास गाँधी का पाठ ही गलत ||
मैं बहुत दिनों से यह जानकारी दुनिया वालों को दे रहा हूँ, की ईश्वर अल्लाह एक नहीं है, क्यों और कैसे इसी को समझना मानव कहलाने वालों का परम कर्तव्य है |
गाँधी जी ने इसे बिना जाने ही हिन्दुओं को तोता जैसे रटाया है, हिन्दू तो पहले से ही सहिष्णु और जीवों पर दया करने वाले ही है हिन्दुओं ने इस भेद को जानने का प्रयास भी नहीं किया और गाँधी ने इसका पूरा फायदा मुसलमानों को दिया है | कारण गाँधी भी धर्म और ईश्वर तथा अल्लाह में भेद क्या है इसे जानते ही नहीं थे |
इसी गलत मान्यता जो सरासर गलत है, इसे जानने का प्रयास न गाँधी ने किया और न हिन्दुओं को करने दिया गया |
इसके अनेक प्रमाण अब तक मै दे चुका हूँ चाहे वह कुरान से हो अथवा वेद से, हमें जो पाठ गाँधी जी ने पढाई है, ईश्वर अल्लाह तेरोनाम सबको सम्मति दे भगवान यह शब्द ही गलत है, किस प्रकार गलत है | कल भी आप लोगों ने मेरे लेख को पढ़ा होगा,की गाँधी को अहिंसावादी कहना गलत है |
अब अल्लाह की बात कुरान से देखते हैं, अल्लाह ने हज़रत मूसा के जूता को देखा और उसे उतार कर अपने पास आने को कहा | यह कितनी फूहड़ पन की बात है की अल्लाह किसी को जूता उतारने का उपदेश दे ? यह उपदेश अल्लाह का तो है, किन्तु परमात्मा का यह उपदेश होना संभव ही नही है |
इसका मूल कारण है अल्लाह का उपदेश किसी व्यक्ति विशेष के लिए, किसी मुल्क वालों के लिए, किसी वर्ग विशेष के लिए है जो कुरान से ही मैंने यह सभी प्रमाणित किया है | किन्तु परमात्मा का उपदेश किसी व्यक्ति के लिए नही, किसी मुल्कवालों के लिए नही, और ना तो किसी वर्ग विशेष के लिए है, परमात्मा का उपदेश मानव मात्र के लिए, सम्पूर्ण विश्व के लिए, सार्व कालिक, सार्व भौमिक, सार्वदेशिक है |
ईश्वर और परमात्मा में भेद तो इसी उपदेश में ही आ गया | यह उपदेश वेद में परमात्मा का कहीं भी होना संभव नही, कारण जूता खोल कर आओ कहने वाले को अवश्य शरीरधारी होना पड़ेगा, वरना जूता खोलने कि बात निराकार से कहना संभव नही, और ना तो यह काम परमात्मा का हो सकता हैं |
यहाँ भी ईश्वर और अल्लाह में अन्तर है, इस को बिना जाने, बिना समझे कहना, कि ईश्वर अल्लाह सब एक है, यह बिलकुल अज्ञानता की बात है, और यह कहना और प्रमाणित करना वैदिक मान्यता के बिना संभव नही है | कारण ईश्वर और अल्लाह के भेद को जानने के लिए वैदिक सिद्धान्त का जानना जरूरी है, अगर वैदिक मान्यता का जानकार नही है तो वह इस भेद को जान ही नही सकता | जैसा गाँधी जी की मान्यता वाले भी इस भेद को नही जान सकते | इस्लाम में ईश्वर शब्द ही कुफ़्र है, जिस कारण इस्लाम के मानने वालों ने आज तक नही कहा इस बात को और ना उनकी मान्यता है |
किन्तु हिन्दू कहलाने वाले इस भेद को जानना नही चाहा, और ना तो इसका प्रयोजन समझा | और गाँधी जी ने जानकारी के बिना ही हिन्दुओं को गलत पाठ पढ़ा दिया पर इस पाठ को आज तक मुसलमानों ने नहीं किया और न ईश्वर अल्लाह तेरो नाम कहा |
इधर वैदिक मान्यता अनुसार ईश्वर, बिना शरीर वाला निराकार है | अछुक्रम, अकायम बताया गया वेद में, न तस्य प्रतिमा अस्ति | कहा गया की परमात्मा कि कोई प्रतिमा नही है, कोई काया नही है, जिसका शरीर नही है, जो स्वयंसिद्ध है |
अब अल्लाह जो मूसा को जूता खोलने को कहा, वह अल्लाह तो जरुर शरीर धारी ही है वरना किसी को कोई जूता खोलने को कैसे कह सकता है ? कारण जूता खोलने का आदेश तो कोई तभी दे सकता है, जब किसी को वह देखे की जूता पहना है ? इसके लिए आँख रहना, शरीर धारी का होना जरूरी है वरना यह हुक्म कोई कैसा दे सकता है भला ?
यहाँ अल्लाह ने ईसा के लिए क्या कहा देखें उसे आसमान में उठा लिया जाता है वह भी मकान का छत फाड़ कर यह बातें परमात्मा का होना संभव है ?
आज एक प्रमाण मैं और दे रहा हूँ कुरान से इसको ध्यान से दुनिया के लोग पढ़ें और विचार करें की यह काम जो अल्लाह का है कुरानानुसार,यह काम परमात्मा का होना संभव ही नही |
اِذْ قَالَ اللّٰهُ يٰعِيْسٰٓى اِنِّىْ مُتَوَفِّيْكَ وَرَافِعُكَ اِلَيَّ وَمُطَهِّرُكَ مِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَجَاعِلُ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْكَ فَوْقَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ ۚثُمَّ اِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاَحْكُمُ بَيْنَكُمْ فِيْمَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ 5
अर्थ :-जिस वक्त अल्लाह ने फ़रमाया,ऐ ईसा बेशक मैं तुम्हें वफात देने वाला हूँ, और तुम्हें अपनी तरफ उठाने वाला हूँ और तुम्हें काफिरों से पाक करने वाला हूँ और जो लोग तेरे ताबेदार होंगे उन्हें उनलोगों पर कयामत के दिन तक ग़ालिब रखने वाला हूँ जो तेरे मुनकिर हैं फिर तुम सब को मेरी तरफ लौट कर आना होगा, फिर मैं फैसला करूंगा जिस में तुम झगड़ते थे |
नोट:- कुरानानुसार हज़रत ईसा के साथ धोबी बिरादरी के ही कुछ लोग थे उनके शिष्य बने बाकि लोग उनके विरोधी थे | ईसा को मारने के लिए तलाश रहे थे, ईसा का एक शिष्य 30 देरहम के लालच में हज़रत ईसा को पकड़वाने गये ईसा किसी कमरे में बन्द थे, इसको अल्लाह ने अपने पास उठा लिया | उन काफिरों के हाथ से बचा ने के लिए, जो 30 देरहम ले कर पकड़ने को गये उसकी शक्ल ईसा जैसी हो गयी. जिसे सूली पर चढ़ाया गया | ईसा को अल्लाह ने अपने पास उठा लिया | किसी के शक्ल को किसी से बदलना यह अल्लाह की गड़बड़ झाला नही तो और क्या हो सकता है ? किसी की सजा किसी को देना यह अन्याय नही तो क्या है ? अल्लाह ने ईसा को अपने पास उठा लिया जिसे सूली पर चढ़ाई नही गयी |
وَّقَوْلِهِمْ اِنَّا قَتَلْنَا الْمَسِيْحَ عِيْسَى ابْنَ مَرْيَمَ رَسُوْلَ اللّٰهِ ۚ وَمَا قَتَلُوْهُ وَمَا صَلَبُوْهُ وَلٰكِنْ شُبِّهَ لَهُمْ ۭ وَاِنَّ الَّذِيْنَ اخْتَلَفُوْا فِيْهِ لَفِيْ شَكٍّ مِّنْهُ ۭ مَا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍ اِلَّا اتِّبَاعَ الظَّنِّ ۚ وَمَا قَتَلُوْهُ يَقِيْنًۢا
अर्थ :- विरोधी कहते थे हमने अल्लाह के रसूल ईसा बिन मरियम को कत्ल कर दिया, हांलाकि ना तो उन्होंने उसे कतल किया, और ना सूली पर चढ़ाया बल्कि उनके लिए ईसा का शुबा बना दिया गया था यकीन जानों के हज़रत ईसा के बारे में इख्तेलाफ़ करने वाले उनके बारे में शक में हैं उन्हें इसका कोई यकीन नही बजुज तखमिनी बातों पर अमल करने के इतना यकीन है के उन्हों ने कतल नही किया |
जैसा की उपर बताया गया की कुरानानुसार अल्लाह का कहना है की हज़रत ईसा मसीह को जिन्दा उठा लिया अल्लाह ने आसमान पर, और क़यामत आने से पहले हज़रत ईसामसीह इसी दुनिया में फिरसे आयेंगे | उसी काल में दज्जाल भी निकलेगा जिसके दो सिंग होंगे, कपाल में काफ़िर भी लिखा होगा | दुनिया वालों यह सब गड़बड़ झाला वाला काम परमात्मा का नही है, यह सब मन घडंत बातों के लिए वेद में कोई गुन्जायेश ही नही है |
यह किस्सा कुरान का तो है ही जिसका मै प्रमाण दिया हूँ, यही वह कुरान है जिसे लोग कला मुल्लाह कहते हैं | अब इस प्रकार कि बिना सर पैर कि बातें जब वेद में है ही नही, तो इसके बाद भी कोई कहें ईश्वर और अल्लाह यह सभी नाम परमात्मा का ही है, उनके लिए धरती पर कोई पागल खाना है अथवा नही मुझे पता नही है | दुनिया के लोगों जरा पता कर हमें भी बताएं जब तक मैं इंतज़ार में हूँ |
ईश्वर और अल्लाह गाँधी जी का पाठ सत्य है अथवा असत्य है इसका एक ही छोटा प्रमाण दिया हूँ पूरी जिंदगी प्रमाण दिया जाना सम्भव है आज ही ईश्वर अल्लाह तेरो नाम कहने वालों को चाहिए इस लेख को जरुर पढ़े और ईश्वर अल्लाह के भेद को जानने का प्रयास करें और गाँधी के पढाये इस गलत पाठ का त्याग करना विशेष कर ईश्वर कहलाने वालों के लिए जरूरी है | कब तक इस गलत पाठ को पढ़ते रहेंगे ?
महेन्द्रपाल आर्य = 3/10/2020 =

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