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गाजियाबाद में उन्हें बुलाया था , जो अपनों को छोड़ गये

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गाजियाबाद में उन्हें बुलाया, था जो हमें छोड़ गये
सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को विदित है कि मैंने पिछले दिनआप लोगों को सुचना दी थी कि गाजियाबाद के शम्भू दयाल वैदिक सन्यास आश्रम में २२से २५ तक मेरा कार्य क्रम हैं | जिसमें हमारे हिन्दू घराने के कुछ लोग अपने घर छोड़ इस्लाम स्वीकार किया है अथवा कराया गया है |
 
इसकी सुचना हमें मिलते ही हमने कार्यक्रम में गाजियाबाद उन्हें बुलाया था, जिसमें दिल्ली के भजनपूरा से एक परिवार के कई सदस्य हैं | एक परिवार जिला मुज़फ्फर नगर खतौली से हैं | और एक परिवार इसी गाजियाबाद से हैं | उनलोगों से मेरी बात हुई, कि भाई आप लोग अपने सत्य सनातन वैदिक धर्म को छोड़ इस्लाम कुबूल किया है |
 
जिसे सच्चा अच्छा जान और समझ कर ही किया होगा? मैं भी चाहता हूँ कि जिन लोगों के माध्यम से आप लोगों ने इस्लाम स्वीकार किया है | उन्हें लेकर मुझे भी इस्लाम स्वीकार करवा दें | अगर वह लोग मुझे इस्लाम स्वीकार करवा सकते हैं तो मैं भी अपने सम्पर्क के अनेक लोगों के साथ इस्लाम स्वीकार करने का वादा करता हूँ |
यह बातें उनलोगों से मेरी मोबाईल से हुई, आज 25 तारीख है यहाँ का कार्यक्रम आज 12 बजे तक ही है पर जिन लोगों से बातें हुई उन में से ना किसी का फोन आया और ना अब तक किसीका आगमन हुवा |
 
मैं नही समझ पाया कि लोग सत्य से कितना डरते हैं, अगर कोई यह जान रहा हैं कि हम सत्य के सामने टिक नही पाएंगे, तो उन असत्य को ढोना कौन सी अक्लमंदी कि बात हैं ? अगर उन्होंने लोगों को किसी को इस्लाम स्वीकार करवा दिया तो औरों को करवाने में क्या दोष ?
 
किन्तु उनलोगों को यह पता है कि हमने जिन लोगों को इस्लाम स्वीकार करवाया वे लोग सत्य सनातन वैदिक धर्म को नहीं जानते | उन भोले लोगों को समझाना सहज है जो अपने धर्म के बारे में नही जानते, उन्हें औरों के बारे में क्या पता ? उन्हें अल्लाह एक है कह दिया | मूर्ति पूजा नही है बता दिया आदि आदि |
 
पर उन्हें तो पता तब लगता जब वह सामनेआते ? तब उन्हे अल्लाह एक है अथवा अल्लाह के नाम के साथे किसी और का नाम जुड़ा है | अल्लाह से मुहम्मद को अलग करना संभव ही नही -कुरान कहता है {वा आतिउल्लाहू वा अतिउर्रसुल } इतायत करो मेरी और मेरी रसूल की } जहाँ अल्लाह कि इबादत है वहां भी रसूल साथ है, आजान से लेकर नमाज कि नियत और पूरी नमाज में हर जगह मुहम्मद के नाम लिया जाता है तो अल्लाह एक कहाँ है?
 
जब कि सत्य सनातन वैदिक धर्म में एक परमात्मा को छोड़ औरों कि इबादत नही और ना तो परमात्मा के नाम के साथ किसी का नाम जुड़ा है | कुछ भी हो सामने आने पर ही उत्तर पाना, या पाया जाना संभव है | जिस किसी को वैदिक एकेश्वरवाद को पाना है, अथवा लेना चाहते हैं उनको सामने आना चाहिए, वह शौक से आयें हमारे पास, सत्य कहाँ है कैसा है इसे जानने के लिए वह लोग सादर आमंत्रित हैं | धन्यवाद के साथ महेन्द्रपालआर्य वैदिक प्रवक्ता =25/9/16=

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