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गाय की पूजा अल्लाह को पसन्द नहीं

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| गाय की पूजा आल्लह को पसन्द नहीं |

कुरान में गाय काट कर मांस खाने की बात नहीं है,सूरा 2 बकर में,किस्सा है गाय काट कर उसका मांस को एक मरे आदमी के शारीर में लगाने से वह जिन्दा हो जायगा | दरअसल बात यह है कि यहाँ एक किस्सा है कुरान में, और कुरान है भी किस्सा वाली किताब | यहूदी और नसरा दो कौम के लोग आपस में लड़ते थे, एकबार अपनेआदमी को कत्ल कर दुसरे के घर मुर्दा को डाल दिया |

 

जिनके घर मुर्दा डाला वह कत्ल किया नही, अब यह मुर्दा कहाँ से आया और कौन इसे मारा ? यह सवाल ले कर वह लोग हजरत मूसा [ पैगम्बर ] के पास गये, कि हमने इसे मारा नही यह लाश {मुर्दा} हमारे घर कहाँ से आये ?

 

अब मूसा को भी पता नही, यह अल्लाह के तरफ मुखातिब हुए आखिर रसूल हैं अल्लाह के और यह ना बता सके कि इसके घर मुर्दा कहाँ से आये ? तो अल्लाह ने मूसा को बताया यह मामला क्या है ? उनदिनों लोग गाय को पूजते थे, जो अल्लाह को पसंद नही था | इस परम्परा को ख़त्म करने के लिए अल्लाह ने यह तरीका बताया | यही किस्सा है, आगे देखें, जब कुछ लोग मूसा से घटना कि जान कारी चाही | तो अल्लाह ने मूसा को यह बताया |

 

وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ يَا قَوْمِ إِنَّكُمْ ظَلَمْتُمْ أَنفُسَكُم بِاتِّخَاذِكُمُ الْعِجْلَ فَتُوبُوا إِلَىٰ بَارِئِكُمْ فَاقْتُلُوا أَنفُسَكُمْ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ عِندَ بَارِئِكُمْ فَتَابَ عَلَيْكُمْ ۚ إِنَّهُ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ [٢:٥٤]

और (वह वक्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौमके लोगों तुमने बछड़े को (ख़ुदा) बना के अपने ऊपर बड़ा सख्त जुल्म किया तो अब (इसके सिवा कोई चारा नहीं कि) तुम अपने ख़ालिक की बारगाह में तौबा करो और वह ये है कि अपने को क़त्ल कर डालो तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है, फिर जब तुमने ऐसा किया तो खुदा ने तुम्हारी तौबा क़ुबूल कर ली बेशक वह बड़ा मेहरबान माफ़ करने वाला है | सूरा =54 =आयत =2

 

وَإِذْ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوْمِهِ إِنَّ اللَّهَ يَأْمُرُكُمْ أَن تَذْبَحُوا بَقَرَةً ۖ قَالُوا أَتَتَّخِذُنَا هُزُوًا ۖ قَالَ أَعُوذُ بِاللَّهِ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْجَاهِلِينَ [٢:٦٧]

और (वह वक्त याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि खुदा तुम लोगों को ताकीदी हुक्म करता है कि तुम एक गाय ज़िबाह करो वह लोग कहने लगे क्या तुम हमसे दिल्लगी करते हो मूसा ने कहा मैं खुदा से पनाह माँगता हूँ कि मैं जाहिल बनूँ | सूरा 67 =आयत 2

 

नोट:- मैंने केवल संकेत मात्र किया है यह लोग बारी, बारी, से तीन बार गये मूसा के पास | कि कौनसा गाय के बछड़े को काटें वह किस रंग का है आदि उसका कुछ अता, पता बताएं ? वह गाय को एक बुजुर्ग ने जंगल में छोड़ दिया था |

उसका एक बेटा था जो छोटा था | बाप मरते समय बेटे से कहा तुम्हारा सहारा वह गाय जिसे मैंने जंगल में छोड़ा |

 

उसे जो ख़रीदे गा कीमत उसकी उसे जबह कर उसकी चमड़े में कस्तूरी भर कर तुम्हें दे | तो मूसा ने इसी बछड़े कि बात कही, कीमत क्या है वह भी बता दिया | अब इस गाय को काट कर उसके गोश्त का एक टुकड़ा लेकर उस मरे लाश के शारीर में छु दो | वह जिन्दा हो कर बतायगा उसे कत्ल किसने की ? यही किस्सा है सूरा बकर में सूरा न०{2} आयत= 65 +66 +67 +68+69 +70+आगे तक |

 

यही है अल्लाह कि कलाम जो किस किस प्रकार का किस्सा बयाँ किया है? गाय को जो लोग पूजते थे उन्हें रोकने के लिए कुरान का अल्लाह यह किस्सा सुनाया अपनी कलाम में | अब इस किस्से का सत्य और सत्य का पता लगाने को मना किया अल्लाह ने मुसलमानों को कहा इसे असत्य मत मानना मैं जो चाहता हूँ वही होता है |

 

दुर्भाग्य कि बात यह है कि मुसलमानआज तक हिम्मत जुटा कर अल्लाह से यह नही पुछा- ऐ अल्लाह आप जो चाहते हैं वही होता है, अगर यह सत्य है, तो आपने चाहा शैतान आदम को सिजदा करे, और आप ने उसे इब्लीस कहा सिजदा ना करने पर | तो आप कि कौनसी बात सही है आप ने आदम को भी कहा जन्नत के बीच लगे पेड़ में इस फल को मत खाना उसे भी आप नही रोक पाए ? तो आप का कौनसा कहना सही है ?

 

इस्लाम के मानने वाले बात बात पर कहते हैं इंशाअल्लाह, माशाअल्लाह, तो यह बात भी कहाँ तक सत्य है अल्लाह की ? आप की मर्जी आप जो चाहे सो करें | तो आज भारत, तो पाकिस्तानी सैनिकों ने नाक में दम कर रखा है क्या यह भी आप की मर्ज़ी है अथवा यही आपकी मर्ज़ी है ? आप ने तो हम मुसलमानों के लिए इतना कहा जो कुछ भी कुरान में है आप का हुक्म और उपदेश है हम मुसलमानों के हाथो आप काफिरों को सजा दिलाना चाहते हैं, तो फिर आज क्या हो रहा है भारतीय काफ़िर आज हम मुसलमानों को मार रहा है, या इस्लामियों को मार रहा है ?

 

अल्लाह आप सच्चे हैं आप का कलाम सच्चा है, तो आज हम पाकिस्तानी भारतीय काफिरों के हाथो किस लिए मारे जा रहे हैं ? उधर सद्दाम हुसैन जैसे मुसलमान को काफ़िर अमेरिका के हाथों शहीद होना पड़ा ? फिर व्ही अमेरिका ओसामा बिन लादेन से ले कर आज तक बगदादी तक खर ढा रहा है | अभी एक काफ़िर जिसका नाम नरेंद्र मोदी है और भारत का प्रधान मंत्री है वः भी अन्य देश वालों से कह रहे हैं इस्लामी आतंकवाद को सहन नही किया जायेगा उसे ख़त्म करने के लिए सब को एक जुट होना होगा यह सब चल रहा है खुदा, तो क्या आप की यही मर्जी है, यही ईच्छा है की इन काफिरों के हाथों हम मुसलमान मारे जाएँ ? फिर तो लोग आक के कलाम के फरमान पर ही सन्देह करने लगेंगे क्या सही है खुदावन्द हम मुसलमानों को अब कौन बचाएगा आप के सिवा ?

महेन्द्रपाल आर्य= वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली  =2 /6 /17 =

 

 

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