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गैर मुस्लिमों को मारने का हुक्म कुरान में अल्लाह का है |

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कुरान में अनेक जगहों पर अल्लाह ने इस प्रकार कहा प्रमाण देखें |
अल्लाह मुसलमानों को कहा काफिरों से लाडो तुम 20मुसलमान200 काफिरों पर भारी पडोगे अगर तुम 200मुसलमान हजारों पर भारी रहोगे इसीपर चलरहे आतंकवादी।
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِينَ عَلَى الْقِتَالِ ۚ إِن يَكُن مِّنكُمْ عِشْرُونَ صَابِرُونَ يَغْلِبُوا مِائَتَيْنِ ۚ وَإِن يَكُن مِّنكُم مِّائَةٌ يَغْلِبُوا أَلْفًا مِّنَ الَّذِينَ كَفَرُوا بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُونَ [٨:٦٥]
ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं |
यह है कुरान का सूरा अनफ़ाल =आयत 65

कुरान है मुसलमानों का धर्म ग्रन्थ, जिसे इस्लाम वाले कलामुल्लाह { ईशवाणी } कहते हैं, उसी ईश वाणी को इस्लाम वाले पत्थर की लकीर मानते है जिस पर अमल करना इस्लाम के मानने वालों के लिए फ़र्ज़ है | इसपर अमल करने वाले ही मुस्लमान कहलाते हैं या कहला सकते हैं जिसमें संदेह के लिए कोई अवकाश नहीं | जिसे ना मानना ही गैर इस्लामी है और ऐसे गैर इस्लामियों को क़त्ल करने का उपदेश अल्लाह ने मुसलमानों को दिया है |

क्या इसे कोई मुस्लमान इनकार कर सकता है ? फिर यह कहना की आतंकवाद की शिक्षा इस्लाम में नहीं है कहना क्या कुरान का इनकार करना नहीं है ? कुरान पर अमल करने वाले ही मुस्लमान कहलाते हैं अल्लाह का हुक्म मुसलमानों के लिए है, और यह एक दो जगह नहीं अपितु कुरान के अनेक स्थानों पर है |

कुछ इस्लाम जगत के आलिम कहलाने वाले तर्क देते हैं, की यह आयतें अल्लाह ने उनदिनों में उस समय उतारी जिस समय अरब के गैर मुस्लिम लोग मुसलमानों पर अत्याचार कर रहे थे |

मेरा तर्क है की आज तो कोई मुसलमानों पर अत्याचार नहीं कर रहा है. बल्कि उल्टा मुसलमानों द्वारा सम्पूर्ण विश्व में गैर मुस्लिमों को मारा जा रहा है | तो अब आयात की उपयोगिता क्या है इसे तो कुरान से हटा देना चाहिए | जैसा तीन तलाक वाला मामला को मुस्लिम ला बोर्ड ने निकाह नामा में तलाक ना देने को माना करने को कहा है |

तो क्या इस प्रकार के आयतों को कुरान से सुप्रीमकोर्ट में जाने पर ही इस पर अमल किया जायगा ?
यहाँ एक तर्क मैं और भी देना चाहूँगा,की इसलाम वालों की मान्यता है अल्लाह सब कुछ जानता है | अगर यह बात ठीक है सत्य है तो क्या अल्लाह को यह जानकारी पहले से नहीं थी की आगे के दयानन्द युग में इस आयात की ज़रूरत नहीं रहेगी ?
यद्यपि अल्लाह सब कुछ जानता नहीं है, और जो चाहे सो करता है यह भी सत्य नहीं है | वरना पाकिस्तान पर भारत द्वारा सैनिक स्ट्राइक क्यों और कैसा होता क्या यह भी अल्लाह की मर्ज़ी है ? देखें कुरान- सूरा निसा =147 { इस प्रकार 17 जगहों में यही बात है }
مَّا يَفْعَلُ اللَّهُ بِعَذَابِكُمْ إِن شَكَرْتُمْ وَآمَنتُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ شَاكِرًا عَلِيمًا [٤:١٤٧]
अगर तुमने ख़ुदा का शुक्र किया और उसपर ईमान लाए तो ख़ुदा तुम पर अज़ाब करके क्या करेगा बल्कि ख़ुदा तो (ख़ुद शुक्र करने वालों का) क़दरदॉ और वाक़िफ़कार है |

इसप्रकार जब हम कुरान को देखने लगते हैं तो कुरान की यह आयतें जो तर्क के कसौटी पर खरा नहीं उतरता, तो क्या अल्लाह का दिया ज्ञान पूर्ण नहीं है ?
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =6 /6 /17

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