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जब अल्लाह गुनाह माफ़ करने वाले हैं, फिर मुफ्तियों का फतवा का क्या काम है ?

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|| जब अल्लाह गुनाह माह करने वाले हैं,

फिर यह मुफ़्ती का फतवा किस के लिए  ||

मेरे मित्र ने मुझे भेजा एक TV प्रोग्राम, ताल ठोक के, जिसका हेडिंग है, इसमें चर्चा करते लोगों में सुना, कई राजनितिक पार्टी के भी थे | इसमें मुद्दा था बिहार से एक खुर्शीदएहमद  है नितीश जी के पार्टी से MLA, उन्हों ने जयश्रीराम कहा, और यह भी बोला की मैं राम और रहीम को एक मानता हूँ |

विचारणीय बात है की राम और रहीम एक नहीं है, कारण राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है | अर्थात पुरुषों में मर्यादित पुरुष, पुरुषों में उत्तम पुरुष, राम अपने गुणों के आधार पर जो जो उत्तम कार्य उन्हों ने किया है, उसकेआधार पर उनको यह उपाधि मिली |     राम ने धरती पर माता पिता के घर जन्म लिया, जिन्हों ने राजा जनक की पुत्री सीता से शादी की, सन्तान को भी जन्म दिया लव, और कुश राम के सन्तान थे | राम कोई ईश्वर नहीं थे राम को ईश्वर कहना या मानना मानवता की परे है, कराण मानव वह है जो ईश्वर को जाने, ईश्वर की उपासना करें | राम की उपासना नहीं हो सकती, राम के आदर्शों को अपनाया जा सकता है किन्तु राम की उपासना करना संभव नहीं |

राम ने भी परमात्मा की उपासना की अगर राम परमात्मा होते फिर वह उपासना किसकी करते थे ? फिर राम के साथ पूरा परिवार है माता, पिता, भाई, पत्नी, सन्तान, सास ससुर आदि जैसे हमारे और आप के हैं ठीक इसी प्रकार राम के भी रहे, इतना सारा प्रमाण मिलने के बाद भी राम और रहीम दोनों को एक कहना मानना यह सभी मुर्खता पूर्ण बातें हैं |

अब रहीम कौन हैं अजन्मा जिसको जन्म लेना नहीं पड़ता, जिसको इस्लाम ने रहम करने वाला माना और कहा है | इस्लाम के नज़र में रहीम के साथ, राम को जोड़ना कुफ्र है, यह इस्लाम के खिलाफ है, जिस कारण इस्लाम के जानकारों ने यही फैसला दिया है, की खुर्शीद  अहमद इस्लाम से ख़ारिज हो गये मुर्दित हो गये इस्लाम से उनका कोई नाता नहीं रहगया, पत्नी की भी तलाक हो गयी आदि |

दुनिया के लोगों को चाहिए की इस्लाम की इन्हीं संकीर्णता, अपनों को छोड़ किसी और को सहन नही करते इससे इस्लाम की कट्टरता, मानवों में भाईचारा पर कुठाराघात कर भी इस्लाम भाई चारा की बातें करता है | इस्लाम अपने को छोड़ किसी भी मान्यता को दुनिया में रहने देना नहीं चाहती, हमिअस्त हमिअस्त {हम ही हैं हम ही हैं} इसे इस्लाम कहते हैं |  यही कारण बना इस्लाम के मुफ्तियों ने फतवा जारी करदिया की राम से दुश्मनी है राम के नाम को किसी भी तरह इस्लाम शान नहीं कर सकता |  इस्लाम में रहकर कोई राम का नाम लें यह संभव नहीं इस्लाम में उसके लिए कोई मान्यता नहीं है इस्लाम में उसके लिए कोई जगह नहीं है आदि |

अब एक सवाल इसपर यह भी खड़ा होता है, की जब अल्लाह रहीम है रहम वाला है वह दया करने वाला है | उससे कोई अपनी गलती की माफ़ी चाहता है तो अल्लाह उसे माफ़ करदेता है | जब अल्लाह माफ़ करने वाले हैं और गलती करने वाले खुर्शीदअहमद अगर अल्लाह के पास अपनी गलती को रखे, और अपनी गलती को स्वीकार करे पश्चाताप करे और अल्लाह उन खुर्शीद की इस गलती को माफ़ करदे, तो उस वक्त इन इस्लाम के ठेकेदारों का फतवा किस जगह लागु हो सकेगा ? अथवा कहाँ लागु होगा इन इस्लाम के ठेकेदारों का कहना कहाँ सही होगा ? अल्लाह माफ़ करने वाले हैं अथवा नहीं वह कुरान से देता हूँ प्रमाण देखें अल्लाह ने क्या फ़रमाया है |

يَغْفِرْ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرْكُمْ إِلَىٰ أَجَلٍ مُّسَمًّى ۚ إِنَّ أَجَلَ اللَّهِ إِذَا جَاءَ لَا يُؤَخَّرُ ۖ لَوْ كُنتُمْ تَعْلَمُونَ [٧١:٤]

ख़ुदा तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और तुम्हें (मौत के) मुक़र्रर वक्त तक बाक़ी रखेगा, बेशक जब ख़ुदा का मुक़र्रर किया हुआ वक्त आ जाता है तो पीछे हटाया नहीं जा सकता अगर तुम समझते होते |

सूरा नुह 71 का =4

قُلْ يَا عِبَادِيَ الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَىٰ أَنفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا مِن رَّحْمَةِ اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا ۚ إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ [٣٩:٥٣]

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे (ईमानदार) बन्दों जिन्होने (गुनाह करके) अपनी जानों पर ज्यादतियाँ की हैं तुम लोग ख़ुदा की रहमत से नाउम्मीद न होना बेशक ख़ुदा (तुम्हारे) कुल गुनाहों को बख्श देगा वह बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है | सूरा ज़ुमर 39 का =53 =

 

यहाँ मैंने कुरान से दो प्रमाण दिया हूँ यह बातें पूरी कुरान में अनेक बार अल्लाह ने कही है, तो यहाँ अल्लाह का कहना ठीक अथवा उन मुफ्तियों का कहना ठीक है ?

 

यह इस्लाम के जानकारों और फतवा ठोकने वालों मुफ्तियों से जानकारी के लिए प्रतीक्षा में बैठे हैं पंडित महेंद्र पाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता = ३ / ८ / १७

 

 

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