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जब पाकिस्तान में मन्दिर नहीं तो भारत में नमाज क्यों ?
Mahender Pal Arya
10 Jul 20
[post-views]
जब पाकिस्तान में मन्दिर नहीं तो भारत में नमाज क्यों ? |
चर्चा चलरही थी पाकिस्तान में मन्दिर बनने को लेकर,और इस बात को पूरी दुनिया में उछाली जा रही थी की पाकिस्तान जैसे उदार वादी मुस्लिम देश दुनिया में कहीं नहीं है |
और मुसलमानों को बदनाम करते हैं भारत के हिन्हू कहलाने वाले, की इस्लाम संकीर्ण वादियों का मजहब है या इस्लामिक विचार कट्टर वादिता का है |
इस पर मैं दुनिया वालों को कुछ बताना चाहता हूँ, इसे ध्यान पूर्वक पूरा लेख को पढने की कृपा करें | और किसी को लगे की यह बात गलत लिखी गई तो मुझे बताने की कृपा जरुर करें |
पाकिस्तानी साधारण मुसलमानों से लेकर इस्लाम जगत केआलिमों ने इस मन्दिर बनाने का विरोध किया है, जो दूरदर्शन में हमें दिखाए जा रहे हैं |
मन्दिर किसी भी सूरत में बनाया जाना सम्भव नहीं है इस्लामाबाद में | यह सबने मात्र कहा ही नहीं अपितु उन बनने वाली मन्दिरों के ईंटें भी उखाड फेका यह सब दृश्य टेलीविजन में मानव कहलाने वाले देख रहे हैं |
अब सवाल पैदा होता की यह मन्दिर बनाने का विरोध किसलिए कर रहे हैं ? जब उस देश में हिन्दू रह रहे हैं, तो क्या हिन्दू मन्दिर नहीं होना चाहिए पाकिस्तान में ?
ध्यान से पढ़ना जब उस देश का नाम ही पाकिस्तान है, अर्थात पवित्र स्थान,तो वहां ऐसे पवित्र देश में अपवित्र मन्दिर किसलिए बने ? यह अल्लाह का हुक्म है की मन्दिर नहीं बनना चाहिए | मात्र मन्दिर ही नहीं अपितु पाकिस्तान में हिन्दूओं को रहना ही नहीं चाहिए यह है इस्लाम और इस्लामी कानून |
इस्लाम वालों में प्रचलित एक किताब है जिसका नाम है कानुने शरीयत, लेखक हैं शमसुद्दीन अहमद | इस किताब में स्पष्ट लिखा है ईमान के दायरे में, अर्थात यही ईमानदारों के लिए अल्लाह का हुक्म है मुसलमानों के पैसों से मन्दिर नहीं बननी चाहिए | किताब की फोटो निचे दिया है |
मात्र इतना ही नहीं यह तो मुसलमानों के लिए मन्दिर वाली बात हुई, मस्जिद बनाने में भी किसी भी हिन्दू के पैसे मस्जिद में नहीं लगाया जा सकता, लिखा |
अर्थात किसी भी हिन्दुओं के पैसे को मस्जिद में न लगाया जाय, हिन्दुओं का पैसा उस मस्जिद में बनरहे पेशाब खाने और पैखाने में लगाया जाय |
यह तो रही किताब की बात एक पाकिस्तानी मौलाना के विडिओ लगा है youtube में, वह कहरहा है की हिन्दुओं से उतने देर की ही संपर्क रखो जितनी देर तक तुम पैखाने में बैठते हो |
इस्लाम कट्टर वादी है अथवा नहीं इन सभी बातों से पता लगता है और यह सिर्फ बोलते ही नहीं,इसे चरितार्थ भी करते हैं |
अब भारत में रहने वाला कोई मुसलमान यह कहे की भारत असहिष्णु हो गया यहाँ रहना मुनासिब नही हो रहा है आदि | वह लोग इस्लाम को जानते तक नहीं हैं इस्लाम, एक अमानवीय संकीर्ण विचार धारा का नाम है,और इस्लाम की मान्यता है की दुनिया में और कोई न रहे सिर्फ और सिर्फ अल्लाह का दीन हो जाये इस्लाम के मानने वाले हो जाएँ आदि | इसी विचार ने किसी दुसरे मत वालों को मक्का मदीना में जाने से कुरान में अल्लाह ने साफ मना किया है |
जो मुसलमान भारत में रह रहे हैं अगर उनके साथ भारत के लोग यही व्यवहार करते इस्लाम जैसे तो इन इसलामियों का इस देश में रहना सम्भव नहीं था |
यह हिन्दू तो अपनी उदारवादी के कारण ही मार खा रहा है आज भी, भारतीय हिन्दू अगर यह जान गये होते या सच्चाई को जानते या जानने का प्रयास करते तो आज भारत में सड़क बंद करके नमाज पढने की हिम्मत मुसलामनों की न होती |
आज भी समय है हिन्दू भली प्रकार से इस्लामिक मान्यता को जानने का प्रयास करें | और मुसलमानों को भी यह समझ लेना चाहिए की तुम्हारी मान्यता को देखो आज पाकिस्तान में मन्दिर बनाया जाना सम्भव नहीं है तो तुम मुसलमानों को अपनी बात याद रख कर ही भारत में रहना चाहिए |
भारतियों का शुकुर गुजार हो कर ही रहना चाहिए, भारतियों को धन्यवाद देकर भारतियों के सामने आँखें नीचा करके रहना चाहिए | न की उधम मचाकर ? अगर उधम मचाते हैं तो भारत के लोग तुम्हें पाकिस्तान को याद दिलाते हुए कहेंगे जब वहां हम मन्दिर नहीं बना सकते तो तुम्हें भी सड़क बंद करके नमाज पढने नहीं देंगे | महेन्द्रपाल आर्य = 10 /7 /20