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जिस देश को सोने की चिड़िया कहा लोगों ने ||

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||जिस देश को सोने की चिड़िया कहा लोगों ने||
आखिर इस देश को सोने की चिड़िया किस लिए कहा गया, अन्य किसी और देश को नहीं मात्र और मात्र इसी आर्यवर्त देश को ही दुनिया वालों ने सोने की चिड़िया ही नहीं अपितु पारस मणि भी कहा है | इसका कारण है की सृष्टि की रचना इसी देश से हुई है यह जो सृष्टि चल रही है, और इससे पहले भी जो सृष्टि चलती रही है हर सृष्टि में यही नियम रहती है |
 
 
कोई यह मत समझना की यही सृष्टि प्रथम है इससे पहले भी थी अब भी है और आगे भी रहेगी | सृष्टि का यह काल चक्र निरंतर चलती है और चलती ही रहे गी, सृष्टि के बाद प्रलय, और प्रलय के बाद सृष्टि | इसे काल चक्र कहते हैं, जैसा जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म |
यही वैदिक परम्परा है, वैदिक मान्यता है, कुछ लोग समझते है यह दुनिया ख़तम होने के बाद अल्लाह या गोड इस जीव को स्वर्ग और नरक जो जहाँ जाने लायेक होगा उसे वहीँ भेज देंगे | उसके बाद क्या होगा यह बाइबिल में नहीं और ना कुरान में है | उसके बाद बताया की सब अपने अपने स्थानों पर कोई रंगरलियाँ मनाएंगे, और कोई सजा काटेंगे | उसके बाद अल्लाह या गॉड का क्या काम है उसे स्पष्ट नहीं किया |
 
 
किन्तु वेद में स्पष्ट है की दुनिया बनी रहे गी सारा क्रम सचलता रहेगा वरना परमात्मा को खाली बैठना पड़ेगा कुछ काम परमात्मा के जिम्मे नहीं रहेगी | इस लिए ध्यान रहे परमात्मा के जिम्मे में इतना काम है, जी वह सृष्टि, स्थिति, और प्रलय, इसके साथ मानव मात्र को उसके किये कर्मों का फल देना | इतना ही काम परमात्मा के जिम्मे है | यह क्रम निरंतर चलती चली आ रही है और चलती ही रहे गी, परमात्मा का काम बन्द नहीं होता ना हुवा है और ना होगा |
 
 
सोने की चिड़िया यह देश इसलिए है की सारे ऋषि और मुनियों का आगमन इसी देश में हुवा, जितने भी महापुरुष हुए सब इसी देश में ही आये | कारण सृष्टि कर्ता परमात्मा का दिया ज्ञान का विस्तार ऋषियों के द्वारा मानव समाज तक पहुँचाने की जिम्मेदारों का नाम ही ऋषि हैं | ऋषि नाम उनका होता है जो मन्त्रों के शक्षात कार होते हैं |
ऋषियों ने बिना भेद भाव मानव मात्र के उत्थान के लिए मानव जीवन को सफल से सफलतम बनाने के लिए ही सभी उपदेश जनमानस तक पहुंचाया यह ज्ञान परमात्मा का दिया हुवा है, जो बिना भेद भाव के सिर्फ और सिर्फ मानव कल्याण के लिए उपदेश है | ना कोई हिन्दू ना कोई मुस्लिम, ना कोई ईसाई, ना कोई बुद्धिष्ट, ना कोई जैनी, और ना कोई सिख है परमात्मा के दृष्टि में |
 
 
यही कारण बना = यह वेद कल्याणी वाणी मानव मात्र के कल्याण के लिए है | यह किसी का नाम नहीं है कोई वर्ग विशेष का नाम नहीं और ना किसी देश वालों का नाम है, सिर्फ और सिर्फ मानव के कल्याण के लिए है | यह उपदेश एक वेद को छोड़ कर दुनिया की किसी भी मत मजहब की किताबों में नहीं है |
 
 
अब यहाँ जिस मानव को परमात्मा ने मानव बनने का उपदेश दिया, उसे नजरंदाज कर यही मानव कोई हिन्दू बना, कोई मुसलमान, कोई ईसाई बना, कोई जैनी, और कोई अपने को बुद्धिष्ट भी कहलाया | इसी से सर्वनाश मानव का हुवा मानो अपने पैर पर कुल्हाड़ी यही मानव कहलाकर ही मार लिया हो अपने पैरों पर | इस से मानव जाति को भी बाँट दिया, किसी ने हाथी को ही अपना प्रतीक माना | किसीने साईकिल को प्रतीक किसी ने कुछ लिया तो किसी ने कुछ दिखा कर मानव को मानव से लड़ाया है, एक दुसरे के खून के प्यासे तक बना दिए गये | जहाँ मानव समाज का उत्थान करने का आदेश मिला था वह अपने उत्थान में ही लगें है, मानव कल्याण को किनारे कर कोई हाथ दिखा कर रुकने का संकेत देने लगे |
 
 
वहीँ रुको हम सम्भाल रहे हैं यह कहकर मानव समाज की उन्नति करने के बजाएं मात्र धन बटोरने का जिम्मा लिया, धन यहाँ तक बटोरा की कोर्ट ने भी जमानत में छोड़ा है | इसी धन बटोरने के चक्कर में लोग पशुओं के चारा के नाम भी डीकार गये, यहाँ तक के कोर्ट ने जमानत देने से भी इनकार कर दिया |
 
 
जिस देश को सोने की चिड़िया बनाया लोगोंने आज उसी देश को रसातल में ले जारहे हैं इस देश में नेता कहलाने वाले | उन्हें देश की चिंता नहीं मात्र अपने पदों की चिंता है धन कमाने की चिंता है देश वासियों को लुटने में ही अपना शान समझ रहे हैं | 70 साल तक जिन्हों ने राज किया वह तो आप लोगों को हाथ दिखाकर कह रहे हैं आप लोग रुको हमें ही लुटने दो | हम प्रथम से लुटते आये हमारी वृत्ति है लुटने की आप लोग क्यों रोक रहे हैं हमें |
 
 
अरे देश वासियों इसी देश को लुटने के लिए हमें क्या क्या करना पड़ा शायद आप सबको नहीं मालूम | इसी देश पर हावी होने के लिए हम ने अपने पैत्रिक मान्यता, और परम्परा को भी छोड़ा राज सत्ता हेमें अपने दादा के नाम से नहीं किन्तु बाप के नाना के नाम से ही मिला है | हम अगर अपने दादा के नाम से आते तो शायद इतना राजनितिक लाभ हमें नहीं मिलती | हमें बाप के नाना जो खुद कहा है, लिखने पढने में मैं अंग्रेज हूँ, रहन सहन में मैं मुसलमान हूँ, और हिन्दू घर में आना मेरा दुर्भाग्य है |
 
 
यही दो कारण बना की मैंने अपने दादा का गोत्र ही नहीं बतया कौल ब्राह्मण गोत्र तो बाप के नाना का था इसी लिए तो उसे ही बताया है | पर हमें क्या पता था की आप भारत वासियों को इतनी जानकारी है की गोत्र बाप दादा से ही मिलती है ? हमें जो लोग ढो रहे हैं उन्होंने भी कभी नहीं बाताया हमें, वरना हम यह झूठी बकवास ना करते |
 
 
आज इसी सोने की चिड़िया रूपी देश में कैसे झूठे लोगों का जमावड़ा हो रहा है देखें | कोई मुस्लिम वोट बैंक बनाना चाहता है जब की संविधान में जाती के नाम वोट मांगना निषेध है | कौन मान रहा है इसे, कहीं दलित चिल्ला कर मानव समाज को बांटा ज रहा है | कहीं यादव बताकर मानवों में भेद पैदा करने में आगे हैं | जो देश सोने की अंडा देने वाली है उससे अंडा लेने के बजाय उसी चिड़िया को मारने और ख़तम करने में यह लोग लगे हैं भारत के राजनितिक दल |
 
भारत वासियों को सोचना और विचार भी करना पड़ेगा की देश हित कौन पार्टी चाहती है जो रोजाना अंडा लेना चाहती है ? रोजाना अंडा लेने के लिए इस देश की सोने रूपी चिड़िया को जिन्दा रखना पड़ेगा | इस लिये भारत वासियों को एक जुटता दिखानी होगी और राष्ट्र नायक नरेन्द्र भाई मोदी जो को बनाना पड़ेगा तभी हम इस देश को बचा सकते हैं |
धन्यवाद के साथ महेंद्र पाल आर्य =16 / 1 /20

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