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जोलोग कहते हैं अल्लाह सब कुछ जानता है वह झूठ है |

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जो लोग कहते हैं अल्लाह सब कुछ जानता है ||
अल्याह सब कुछ नहीं जनता, पर हजरत मूसा कलिमुल्लला सब कुछ जानता है बिलकुल गलत है की अल्लाह सब कुछ जनता है |
कारण अगर अल्लाह सब कुछ जानता तो मुहम्मद साहब को एक बार 50 बार की नमाज दे कर उसे मूसा के द्वारा सुधार नहीं जाता ? देखें कुरान की तफसीर |
चुनान्चे आप वापस गये दस माफ़ करा लाये, फिर भी यही बातें हुई, फिर गये फिर दस कम हुए, यहांतक की आखिर मर्तवा पाँच ही रह गये |
निचे हदीस में > सहीह बुखारी किताबुस्सलात, बाब कैफा फरजुस्स्लता फिल इसरा ; 349 और सहीह मुसलिम 163 में लिखा है |
नोट :- मानव कहलाने वालों कुरान की इन्ही आयातों, और भाष्यकारों के विचारों को जरा ठन्डे गिमाग से हम सोचे और विचार करें की यह बात सत्य कहाँ तक है, और सत्य होना संभव है क्या ?
कारण यह बातें सन्देह के घेरे में इसी लिए है की हजरत मुहम्मद साहब अल्लाह से मिलने गये या अल्लाह ने मिलने के लिए बुलवा भेजा मुहम्मद को अपने पास ले कर आवो |
फ़रिश्ते को बुर्राक देकर भेजा, अल्लाह ने, और उसी में बैठ कर हजरत मुहम्मद {स} अल्लाह के पास पहुंचे, वहां पर क्या क्या बातें हुईं वह यहाँ नहीं बताया,पर यह बताया जब वहां से वह दुनिया में लौट रहे थे, तो रास्ते में अल्लाह से बात करने वाले फ़रिश्ते जिनका नाम हजरत मूसा था | उनसे मुलाकात हुई और उनसे जो वार्ता हुई उसे यहाँ लिखा गया है, यह बातें सत्य से दूर हैं देखें |
{1} प्रश्न है मुहम्मद के काल में मूसा कहाँ से आये ? जब की मुसा का समय बहुत पहले गुज़र चूका था, उसके बाद पैगम्बर हजरत ईसा भी आये और अपना काल ख़त्म कर चले गये थे | अब मूसा का मुहम्मद से मिलना सत्य क्यों और कैसे हो सकता है ?
{2} मूसा पैगम्बर वही हैं जिन्हें कलिमुल्लाह कहा गया है {अर्थात अल्लाह से बात करने वाला } यहाँ सवाल फिर आ गया की बात करना अल्लाह से किसी पैगम्बर का यह किस प्रकार सत्य माना जाय क्या अल्लाह बात करता है तो इन्सान ही होगा अल्लाह ?
{3} मूसा को कैसे पता चला की मुहम्मद अल्लाह से मिलने को जा रहा है ? और वह मूसा प्रतीक्षा करने लगे रास्ते में की मुहम्मद के लौटते समय उनसे मिलेंगे ?
{4} मूसा से हजरत मुहम्मद की मुलाकात कहाँ हुई आसमान में या जमीन में इसका उल्लेख उपर लिख चूका सदरतूलमुन्ताहा {एक जगह} हजरत मूसा, और हजरत मुहम्मद की मुलाकात हुई,मूसा मरे हैं या जिन्दा हैं जो मुहम्मद से मिला ?
{5} मुसा ने मुहम्मदे रसूल से पूछा आप पर क्या फ़र्ज़ किया गया ? यानि आप के लिए क्या करना कर्तव्य बताया अल्लाहने.जवाब मिला हर दिन में पचास {50} बार की नमाज पढना | मुसा ने कहा आपसे पहले वालों को देख चूका हूँ, की वह इससे बहुत कम थे फिर भी वह घबरा गये थे |
सुनने में आता है की मूसा के काल में भी नमाज थीं दो बार की, इस लिए मुसा ने कहा पहले वालों को देख चूका हूँ जो इससे कम थी फिर भी वह परेशांन हो गये थे उनसे नहीं हो पाई |
मूसा ने कहा मुहम्मद से जाव दोबारा अल्लाह के पास तख्फिफ {कम} करा लाव | मुहम्मद अल्लाह के पास लौटे, तो यहाँ लिखा की दस घटा या कम कर दिया- अल्लाह ने |
जब लोटे तो मूसा ने कहा फिर जाव और कम करा लाव, फिर गये मुहम्मद अल्लाह के पास, तो यहाँ लिखा की दस और कम कर दिया अल्लाह ने |
मुसा ने फिर भेजा, तो इसी प्रकार कई बार के आने जाने में, अंतिम फैसला पांच बार का हुवा अर्थात आज इसलाम में जो पांच बार की नमाज़ है वह यही है |-
{6} अब कुरान अनुसार अल्लाह सब कुछ जाननेवाले हैं अर्थात अन्दर और बाहर की हर बात को अल्लाह जानता है | अर्थात खुली बातों को भी जानता है, और छुपी बातों को भी जानता है | कुरान के सूरा 87, आयात 7 में अल्लाह ने कहा, बेशक वह खुली बातों को जानता है, और छुपी बातों को भी जानता है |
अगर कुरान या अल्लाह की यह बातें सत्य है तो क्या अल्लाह को यह पता था की जिस मुहम्मद को पचास {50} बार की नमाज दी जा रही है उसे वह पूरा कर पायेगा या नही ?
फिर रास्ते में मूसा उसे मेरे पास कम करने के लिए भेजे गा यह सभी बातें अगर अल्लाह को पता होता तो एक बार में पांच वक्त की नमाज़ बता देता | पर अल्लाह को जानकारी ही नहीं की मेरी दी हुई आदेश जो पचास {50} बार बोला गया उसे पांच बार करना पड़ेगा ?
तो यहाँ फैसला करने वाला अल्लाह है अथवा हजरत मूसा ? अल्लाह को यह जानकारी ही नहीं थी की मुहम्मद से पचास बार कह कर भी उसे घटा कर पांच बार करना पड़ेगा ?
{7} अल्लाह अदृश्य की बातों को जानता है यह कैसा सत्य हो रहा है, और कहाँ सत्य हो रहा है, यहाँ अल्लाह पर सवाल खड़ा हो रहा है, अल्लाह नियम बनाते हैं, और उसी नियम को अल्लाह तोड़ते हैं फिर अल्लाह का सर्वज्ञ होना भी संभव नहीं हो पा रहा है |
सर्वान्तरयामी से भी अल्लाह वंचित हो रहे हैं, इससे अल्लाह और ईश्वर में भी भेद दिख रहा है,यह सभी बातों को जानना बहुत ही जरूरी है, दुनिके के लोग बिना जाने ही अल्लाह और ईश्वर एक बता रहे हैं, जब की यह कितना बड़ा अंतर है दुनिया के लोग इसे जानने समझ ने को तैयार नहीं है ? –
महेंद्र पाल आर्य = 29/8/20 = {कौन जानता है सत्य सामने आओ }

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