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जो लोग कहते हैं जिहाद का अर्थ लड़ाई नहीं ?

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जो लोग कहते हैं जिहाद का अर्थ लड़ाई नहीं ?
उन बेचारों को मेरे इस लेख को ध्यान से पढ़ना चाहिए मैंने प्रमाण के साथ उन्ही की पुस्तक कुरान भाष्य इबने कसीर से लिया है ||
 
यह प्रमाण इबने कसीर पेज 552- सूरा अल इमरान आयात 121,122,123, है | इस आयात को अल्लाह ने किस लिए उतारी उसे दर्शाया |
जंगे वादा की चर्चा =या अहद {वचन} के वाकिया {घटना} की चर्चा |
 
विभन्न भाष्यकारो ने इसे जंगे खुन्दक {नाराज़गी की लड़ाई} लेकिन यह ठीक यही है के यह वाकिया जंगेउहद का है | जो हिजरी 3,11,शवाल का महिना था {जो रमजान के बाद वाली महिना है | शनिवार का दिन था,जंगे बदर में मुशरिकों की काफी हार हुई थी उनके सरदार को मौत के घाट उतार दिए गये थे |
अब इसका बदला लेने के लिए, मुशरिकों ने बड़ी भारी तैयारी की थी,वह तिजारती माल जो बदर वाली लडाई के मौके पर दुसरे रास्ते से बच कर आ गया था वह सब इस लडाई के लिए रोक रखा था |
 
और चारो तरफ से लोगों को जमा करके तीन हज़ार का लश्कर का एक बड़ा फौज तैयार करके साजो सामान के साथ मदीना पर चढ़ाई की |
 
इधर रसूल अल्लाह ने जुमे की नमाज के बाद मलिक बिन उमर के जनाजे कि नमाज़ पढाई,जो कबीला बनी निजार {जो काबिले का नाम था} फिर लोगों से परामर्श किया और कहा इनको दफना कर हटने की क्या व्यवस्था तुम्हारे पास है ?
 
तो अब्दुल्ला बिनअबी ने कहा के हमें मदीना से बाहर ना निकलना चाहिए, अगर वह आये और ठहरे तो जेलखाने में खड़े रहें, और अगर मदीना में घुसे तो एक तरफ से हमारी बहादुरी की तलवारें होंगी |
 
और दूसरी तरफ से तीरंदाजों बेपनाह तीरें होंगे | फिर उपर से औरतों और बच्चों से वारी होगी | और अगर यूँही लौट गये तो बर्बादी और घाटे के साथ लौटेंगे |
लेकिन इस के बरखिलाफ {इसके विरोध में } में बहुत सी सहाबियों की विचार थे की जंगे बदर में शरीक ना हो सके थे यह जोर लगा रहे थे के मदीना के बाहर जाकर मैदान में खूब दिल खोल कर इनका मुकाबला करेंगे |
 
नोट :- इस आयात में जंग की बात की गई है और जंग के लिए जिनसे वादा कराया गया उनकी चार्चा की गई है यहाँ |
 
आज इस्लाम के मानने वाले ताल ठोकते हैं इस्लाम शांति का धर्म है इस्लाम शांति फैलाया है जगत में आदि आदि | सभी सेकुलर वादियों का भी यही कहना है की इसलाम शांति फैलाया है दुनिया में |
 
जो मान्यता है इस्लाम के मानने वालों की यह कुरान के साथ मेल खा रहा है क्या ? कुरान में तो अबतक जो लिखा गया सभी जगह, इसलाम फ़ैलाने के लिए प्राणों की बाजी लगाकर इसलाममय बनाना है दुनिया को, यही मान्यता सम्पूर्ण कुरान में देखने को मिला है |
 
और यही अल्लाह का हुक्म है जो अबतक सामने आया है | ना तो मानवता की कोई बात और न मानव मात्र के लिए कोई उपदेश मिला ?
सिर्फ और सिर्फ इसलाम और मुस्लमान, ईमानदार,और बेईमान वाले | कुरान, औरअहले किताब, मुश्रेकिन,और इसलाम, सारा उपदेश यही तो मिला है कुरान में | जो लोग इसे इनकार करते हैं की कुरान में मारो काटो की बातें नहीं है इस लेख को वह जरुर पढ़े | महेन्द्रपाल आर्य = 21 / 8 /20 =

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