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जो लोग कहते हैं जिहाद लड़ाई नहीं |

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जो लोग कहते हैं जिहाद लड़ाई नहीं हैं ||

दुनिया वालों को चाहिए जिस किताब को लोग धर्मग्रन्थ कहते हैं, इस किताब में किस प्रकार मुसलमानों को काफिरों से लड़ने का उपदेश दिया है जरा इसे पढ़कर तो देखें |

अल्लाह ने स्पष्ट कहा की काफिरों से लड़ाई करों तलवारों से- और मुनाफिकों से लड़ो जुबानी और सख्ती से लड़ो उनका ठिकाना तो जहन्नुम है |

कुछ मुसलामानों का कहना है की गीता में भी लड़ने का उपदेश है | उनलोगों से मेरी चुनौती हैं की गीता में किस जगह बोला गया मुसलमानों को मारो ईसाइयों को मारो ? जहां तक गीता में लड़ने की बात है, तो गीता में श्रीकृष्ण जी ने अन्यायी को मारने का उपदेश दिया है और खुद उसे अंजाम दिया | चाहे वह अपना मामा ही क्यों न हो गीता को जाने बिना गीता को कुरान के साथ मिलाना या तुलना करना मुर्खता से खाली नहीं |

कुरान में क्या उपदेश है दुनिया के लोग इसे पढ़कर तो देखें यह नमूना मैं दे रहा हूँ, इसी प्रकार की आयतें कुरान में भरे है | जरूरत पड़ने पर और भी प्रमाण दूंगा |

يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ جَاهِدِ الْكُفَّارَ وَالْمُنَافِقِينَ وَاغْلُظْ عَلَيْهِمْ ۚ وَمَأْوَاهُمْ جَهَنَّمُ ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ [٩:٧٣]

ऐ रसूल कुफ्फ़ार के साथ (तलवार से) और मुनाफिकों के साथ (ज़बान से) जिहाद करो और उन पर सख्ती करो और उनका ठिकाना तो जहन्नुम ही है और वह (क्या) बुरी जगह है =सूरा तौबा 9/73

﴿٧٣﴾

يَحْلِفُونَ بِاللَّهِ مَا قَالُوا وَلَقَدْ قَالُوا كَلِمَةَ الْكُفْرِ وَكَفَرُوا بَعْدَ إِسْلَامِهِمْ وَهَمُّوا بِمَا لَمْ يَنَالُوا ۚ وَمَا نَقَمُوا إِلَّا أَنْ أَغْنَاهُمُ اللَّهُ وَرَسُولُهُ مِن فَضْلِهِ ۚ فَإِن يَتُوبُوا يَكُ خَيْرًا لَّهُمْ ۖ وَإِن يَتَوَلَّوْا يُعَذِّبْهُمُ اللَّهُ عَذَابًا أَلِيمًا فِي الدُّنْيَا وَالْآخِرَةِ ۚ وَمَا لَهُمْ فِي الْأَرْضِ مِن وَلِيٍّ وَلَا نَصِيرٍ [٩:٧٤]

ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि (कोई बुरी बात) नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने (मुसलमानों से) सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार =

सूरा तौबा 9 /74= यह है कुरानी आयत = महेन्द्रपाल आर्य = 1 जनवरी – 20का20

 

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