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जो लोग शिखा जनेऊ की रक्षा नहीं की वही मुसलमान बने |

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|| जो लोग भय से चोटी कटवाए वही मुसलमान बने ||
सवाल यह पैदा होता है, की यह मानव कहलाने वाले धरती पर आ कर ही कोई ईसाई – कोई मुसलमान – कोई बुद्धिष्ट – कोई जैनी – कोई सिख -कोई बहाई भी बनते हैं, पर जब यह धरती पर आया वह क्या बनकर आया ?

क्या कोई यह बता सकता है की, अल्लाह ने किसी को मुसलमान बनाकर भेजा हो = या किसी को ईसाई या और कुछ बनाकर भेजा हो ?

यह जो भी कुछ बने है धरती पर आकर ही बने है ना अल्लाह ने किसी को मुसलमान बनाया और ना अल्लाह मुसलमान किसी को बना सकता है |

और ना गॉड या यहोवा में किसी को ईसाई बनाने की ताकत है, अगर होती तो दुनिया में भेजते समय ही बनाकर भेजते | धरती पर जो भी मानव है सब एक ही ऋषि संतान बनकर आये न हिन्दू बने न मुस्लमान बना न कोई ईसाई बने और न कोई बुद्धिष्ट | यह सब दूकानदार लोगों ने अपनी दुकान चलाने के लिए मानवों से मानवों को लड़ने के लिए अपनी दूकान चलाई |

आज मानव कहलाने वालों को इन दुकानदारों के चंगुल से निकलना होगा तभी मानव समाज का कल्याण हो सकता है | आज भयावह स्थिति मानव समाज में पैदा हुवा है इन दुकानदारों के द्वारा मानवों को मानवों से लड़ाया है, जब की यह लड़ाई पशुओं की आदत है मानवों की नहीं |

सम्पूर्ण विश्व में एक भय का वातावरण बना है इन्ही दुकानदारों के कारण, चाहे आज वह न्यूजीलैंड में हुवा हो अथवा विश्वके किसी भी कोने में हो रहा हो | यह सब मानवता विरोधी कार्य हो रहा है | इसके पीछे यही दुकानदार लोगों का ही किया कराया है |

धरती पर जो इस्लाम विशेष कर शांति, शान्ति का रट लगाया हैं सही पूछिये तो यही इस्लाम ने धरती पर खून खराबा किया है | जो यह शान्ति कह रहे पर यह इस्लाम धरती पर फैला ही है लड़ाई से, यह तो अपने जन्म काल से ही अपनों में ही लड़ते आये वह भी धर्म के नाम से, जब की धर्म का काम है मानवों से मानवों को जोड़ना, पर इस्लाम जन्म लेकर लोगों को क़त्ल करना चालू किया |

यहाँ तक की रसूले खुदा ने अपने चाचा अबुजहल को मौत के घाट उतारा इसी इसलाम के नाम से | अपना दांत भी तुड्वाए इसी इस्लाम के नाम से |

इन का इतिहास यही है, भारत में जब यह आये सूफीवाद के नाम से इन्हों ने हिन्दुओं को मुसलमान बनाया भारत हिन्दूओं का था ऋषियों का था, इसलिए भारत के रहने वालों को ऋषियों का संतान कहा जाता है | इनके गोत्र ऋषियों से चलती चली आ रही है |
यही ऋषि संतानों ने उन इस्लामी तलवारों के सामने जब अपनी शिखा, जनेऊ की रक्षा जिन लोगों ने नहीं की वही कायर बन कर इस्लाम स्वीकार किया, और जिनलोगों ने इसी शिखा और जनेऊ की रक्षा की आज वह अब भी ऋषि संतान हैं ऋषिओं की कुल की रक्षा कर रहे हैं |

रही पाकिस्तान वालों की गीदड़ भवकी,की हम अल्लाह वाले हैं अल्लाह की फौज हैं यह सब गीदड़ ही नहीं उनके बच्चे भी हैं |

जब अल्लाह अपने रसूल को नहीं बचा पाए तो इन्हें क्या बचायेंगे ? ऋषि संतानें उन्हें मजा चिखायेंगे | कारण पहले भी इन कायरों की कायरता से जो इसलाम स्वीकार किया है उन्हें याद दिलाएंगे, की हम ऋषियों की परंपरा की रक्षा करते आये हैं, आज भी करेंगे | और तुम जैसे झूठे धर्म के नाम से लड़ने वालों को सबक सिखाकर रहेंगे |

देखें इस्लाम कितना असहिष्णु है यह शिया और सुन्नी दोनों ही इस्लाम के दावेदार है एक दुसरे को सहन नहीं करते | कादियानी भी इस्लाम के दावेदार है उन्हें भी बर्दाश्त नहीं करते, यहाँ तक की यह एक दुसरे की मस्जिद में नमाज भी नहीं पढ़ सकते , एक दुसरे की कबरगाह में मुर्दों को भी नहीं दफना सकते, इससे अंदाजा लगायें की यह कितने गलत और मानवता विरोधी हैं ?

इस लेख को कृपया ध्यान से पूरा पढ़ें और शेयर और लाईक भी करे | धन्यवाद के साथ = महेंद्र पाल आर्य = 18 /3 /19 =

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