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   तबलीग जमात का मकसद क्या है ?

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तबलीग जमात का मकसद क्या है ?

मैंनेअपने विडिओ में बोला भी है तबलीग जमात के लिए |

यह संस्था दारुल उलूम देवबंद के विचार धारा से जुडी हुई संस्था है इनकी पढाई दारुल उलूम के अंतर्गत ही है जिसे दरसे निजामी कहते हैं | यहाँ की शिक्षा सम्पूर्ण कुरान और हदीसों की रौशनी में होती है जो शिक्षा एक मुसलमान को पूर्ण रुपेंण इस्लाम क्या है मुसलमान किसे कहते हैं एक शिक्षार्थी के दिल और दिमाग में भर दिया जाता है |

 

इसी शिक्षा का सरली करण करते हुए 1925 या 26 में गुड़गाँव जिला मेवात प्रखण्ड के इलियास जिनका नाम था इसी दारुल उलूम -शिक्षा में पारंगत हो कर जिन्होंने इस्लाम जगत में एक अच्छे इस्लाम के जानकार बने – जो अब मौलाना इलियास के नाम से प्राख्यात हुए इस्लाम को सम्णूर्प जगत में फ़ैलाने के लिए इन्हों ने इस तबलीग जमात को जन्म दिया था |

 

इसमें हर मुसलमानों को यह बताया जाता है की तुम खुद मुसलमान न बनो अपितु सभी मुसलमानों को पक्का मुसलमान बनाव | इस्लाम के मुताबिक हर मुसलमान को कलमा पढने से लेकर इस्लाम की बुनियादी बातों को सिखाव जिसमें नमाज रोजा जकात हज क्या है कुरान हदीसें क्या है इन सभी बुनियादी बातों से लेकर इस्लाम का मतलब क्या हैं यही सिखाया जाता है |

 

इसमें सबसे बड़ी बात यह है इस तबलीग जमात में, की हर मुसलमान को अपने खर्चेसे घर से बहार निकल कर जिनके पास जितना समय हो वह अपना समय का दान दे | एक दिन से ले कर जिनके पास जितना समय हो वह अपना समय निकालें | अपने घर से दूर होकर या दूर रहकर इस्लाम क्या है उसे सीखें |

 

यह काम इस समय सम्पूर्ण विश्व में फ़ैल गया है, इसी तबलीगी मरकज से ही, सबको भेजा जाता है | जत्था बनाकर इनके एक जानकार को नियुक्त किया जाता है जिसे आमिर कहते हैं | यह अपने साथियों को लेकर किसी भी गावं या शहर पहुंचते है | मस्जिद में अपना पड़ाव डालते हैं अपने साथ खाने पीने का सामान और बनाने का भी सभी सामान लेकर पहुंचते हैं |

अपने लोग मिलकर बनात्ते हैं खाते हैं, अगर कोई शौक से खिलाना चाहा मुसलमान, तो उनका खाना भी स्वीकार करते हैं | नमाज के समय नमाज पढ़ते हैं.और असर के नमाज के बात सभी निकल पड़ते हैं उसी गावं में या शहर में | दुसरे मुसलमानों से मिलते हैं हम लोग जमात लेकर आपके मस्जिद में आये हैं आप नमाज नही पढ़ते या पढ़ते हैं, तो शाम मगरिब की नमाज में शामिल होने की दावत देते हैं |

 

और नमाज के बाद सभी को थोड़ी देर बैठने के लिए कहते हैं, अब जो आमीर लिडर हैं उस जमात के, वह फजायेले नमाज {नमाज की उपकारिता} जिसे मौलाना जकारिया साहब ने लिखी है विशेष कर उसे सुनाते हैं, उस किताब का नाम निसाब की किताब है |

 

विशेष कर जो नये लोग उसमें आये उन्हें नमाज में जो जो पढ़ी जाती है उसे शुद्ध कर पढना सिखाया जाता है | अर्थात कुल मिलकर सम्पूर्ण कट्टर मुसलमान बनाने के लिए यह चलता फिरता मदरसा ही है |

 

दारुल उलूम भी इसके साथ है. और जमीयते उलमाए हिन्द नाम की संस्था भी इन्ही के साथ हैं | यही कारण बना की इस संस्था के प्रमुख सभी अधिकारी इसी तबलीगी जमात के साथ हैं |

 

और कई संस्था इस्लाम में ही हैं जो इनके विरोधी भी हैं अनेक संस्था हैं जो इसे नहीं मानते हैं वह लोग अपने हिसाब से प्रचार करते हैं | जब की यह बताया जाता है की कयामत तक इन्हीं इस्लाम में 72 फिरके या जमात होंगे | सब इस्लाम के दावेदार हैं और जन्नत के भी दावेदार हैं, किन्तु जन्नत में सिर्फ एक ही जायेंगे पर वह फिरका कौनसा होगा एक अल्लाह को छोड़ किसी और संगठन वालों को पता भी नहीं है |

 

दम भरने वाले यह सभी है कहते हैं की हम ही जन्नत के असली हकदार हैं, एक दुसरे के विरोधी होने पर भी जन्नत जाने को आतुर सभी है | कारण उसका वर्णन कुरान में लगभग 70 -से भी ज्यादा बार बताया गया है और उस जन्नत का लोभ और लालच दिया गया है | और यह सब मरने के बाद ही मिलेंगे जीते जी नहीं | नगत सौदा किसी के पास नहीं है | सब उधारी में मिलने की बातें हैं कुरान में |

 

उसी जन्नती आश्वासन में तबलीग जमात -जमाते इसलामी, देवबन्दी, बरेलवी, वहाबी, कादियानी तक उसे पाने के फ़िराक में हैं | एक दुसरे से मतभेद रखने के बाद भी उन जन्नती सामानों के लोभ और लालच में आज भारत वर्ष को यही तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने सम्पूर्ण भारत वर्ष को मुसीबत में डाल दिया |

काफ़िर उनके इस हरकत से मरेंगे, तो जन्नत, वह खुद मरेंगे तो जन्नत, आज इस तबलीग जमात वालों ने जो खुछ भी किया है यह सिर्फ और सिर्फ अल्लाह का कुरान ही दोषी है | यह सारा मौत मरो या मारो सिर्फ जन्नत जाने के लिए ही है |

यही तो मौलाना साद ने कहा की मस्जिद में न आने को जो रोक रहे हैं वह काफ़िर लोग है अज्ञानी लोग हैं आदि | मस्जिद में मरोगे इससे और अच्छी बात अल्लाह के नजदीक कुछ भी नहीं – इस लिए इन लोगों के बहकावे में मस्जिद आना बंद न करो |

 

परेशानी की बात यह है की जहाँ इस्लाम का जन्म हुवा उसी मक्का और मदिने की मस्जिद में ताला डल गया | क्या उन लोगों से ज्यादा इस्लाम का जानकार भारतीय मुसलमान हैं या मौलासा साद हैं ? या जमाते इस्लामी के अधिकारी हैं इसपर प्रकाश डालना एक एक भारत वासियों का परम कर्तव्य है मेरे इस लेख को ध्यान से पढने की कृपा करें = महेन्द्रपाल आर्य -2 /4 /20

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