Your cart

Smart Watch Series 5
$364.99x

Running Sneakers, Collection
$145.00x

Wireless Bluetooth Headset
$258.00x
Total:$776.99
Checkout
तीन तलाक से बचना हो इस्लाम को अलविदा कहें |

Mahender Pal Arya
27 Apr 17
293
||तीन तलाक से बचना हो इस्लाम को अलविदा कहें ||
जिनत को तीन तलाक मिलने के बाद PM को लिखी पत्र,इसका विरोध करना है तो,इस इस्लामको त्यागकर करना चाहिए,इसे रोकने का एक ही तरीका है ।
आज TV समाचार से पता लगा मुम्बई के जीनत बेगम को शौहर ने तीन तलाक दिया | जिसकी जानकारी और गुहार प्रधानमंत्री जी को पत्र लिख कर जीनत बेगम ने ऐसे ना करने से शौहर पर कार्यवाही करने को लिखी हैं | और साथ में यह भी कहीं की सुप्रीमकोर्ट से भी यही अर्जी करुँगी |
अब सवाल पैदा होता है, सुप्रीमकोर्ट हो प्रधान मंत्री हो अथवा मुख्यमंत्री, क्या यह लोग सभी मिलकर इस्लाम से इन तीन तलाक रूपी तलवार जो मुस्लिम महिलाओं पर लटक रही है इसे हटा सकते हैं ?
कुछ दिन पहले सुप्रीमकोर्ट के ज़जों ने इस प्रथा को ख़त्म करने का फैसला सुनाया था जिसमें एक मुस्लिम ज़ज़ भी थे | जिसका विरोध मुस्लिम पर्सोनल ला बोर्ड के अधिकारीयों ने किया और कहा भी इस्लामी कानून के साथ छेड़ छाड़ हम लोग स्वीकार नही करेंगे | प्रधानमन्त्री और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने भी कहा द्रौपदी जैसे चीरहरण के समय विद्वान जन चुप रहे आज भी उसी प्रकार, मुस्लिम महिलाओं पर हो रहे तीन तलाक रूपी अत्याचार को भी लोग चुप किस लिए सुन रहे हैं ?
सवाल यह है की सुप्रीमकोर्ट हो या फिर प्रधान मन्त्री उन तलाक शुदा महिलाओं को उनके पति के पास रहने को कहें,तो वह इस्लाम को स्वीकार होगा, या उस पति को जिसने तलाक दिया ?
तलाक दिया मुस्लिम पति ने, तो इस्लाम में जायेज है तभी तो दिया उसने तलाक, अब उसमें पत्नी भी लाचार, कारण वह भी तो उसी इस्लाम के मानने वाली है | क्या शादी से पहले उसे पता नही था की इस्लाम में कब पति तीन तलाक दे, इसका कोई पता किसी को है क्या ?
सहीअर्थों में मुस्लिम महिलाओं को अगर यह तीन तलाक रूपी अपमान से बचना हो इनको, उनको पत्र लिखने के बजाय, कोर्ट में चक्कर लगाने से मुक्ति पाने के लिए इस्लाम को ही अलविदा कहना चाहिए |
जिस पति ने अपने पास रख कर आबरू को सलामत रखने के बजाय तीन तलाक देकर किसी और मर्द के बिस्तर साथी होने को मजबूर होना पड़ता है | इस्लाम के शरीयती कानून के मुताबिक तो इस अपमान में जीवन जीने से बेहतर है की इस्लाम को ही अलविदा कहदें |
किसी मर्द का शिकार होना नहीं पड़ेगा,इस अपमान से निजात पा जायेंगे, सुखमय जीवन व्यतीत कर सकेंगी |
दूसरी बात है की किसी औरत के कई लड़की जन्म देने से भी शौहर तीन तलाक दे रहे हैं या देते हैं | यह भी जिहालत है कारण लड़की जन्म देने पर औरतें दोषी नही है | वह पति के द्वारा ही पत्नी के उदर में जन्म लेने वाली आत्मा की स्थापना होती है | एकेली माँ सन्तान जन्म नहीं दे सकतीं, और ना पिता ही एकेले सन्तान को जन्म दे सकते |
इसे कुरान और बाईबिल के मानने वालों को पता ही नहीं, और ना तो डॉ0 जाकिर नाईक जैसे MBBS मुन्नाभाई को पता | माता और पिता दोनों के द्वारा ही सन्तानें जन्म लेती है | माँ के उदर में आत्मा के स्थापना होने से पहले पिता के उदर में जन्मलेने वाली आत्मा की स्थपना होती है | और पिता के माध्यम से माँ के उदर से बाहर आता है | अर्थात माता और पिता के रज तथा वीर्य के संमिश्रण से सन्तानें जन्म लेती है | किन्तु कुरान इस से सहमत नहीं देखें अल्लाह ने सूरा 21 ={अम्बिया } आयत =91 में क्या फर्माया है |
وَالَّتِي أَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِيهَا مِن رُّوحِنَا وَجَعَلْنَاهَا وَابْنَهَا آيَةً لِّلْعَالَمِينَ [٢١:٩١]
और (ऐ रसूल) उस बीबी को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया |
ध्यान देने योग्य बातें है अल्लाह ने कहा हमने उनके पेट में अपनी तरफ से रूह फूंक दी | यह है कुरान का मेडिकल साइंस, दुनिया वालों को भी इस पर विचार करना चाहिए की यह विज्ञानं सम्मत है अथवा विज्ञानं विरुद्ध ?
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता = दिल्ली =27 /4 /17 =