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दुनिया वालों यहाँ अल्लाह के ज्ञान को जरा गौर से देखें |

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दुनिया वालों यहाँ खुदाई ज्ञान को जरा गौर से देखें |
मानव कहलाने वाले वह होते हैं जिन्हें ज्ञानवाण कहा जाता है, और यही ज्ञान के कारण मानव कहलाने के अधिकारी बने हैं |

यहाँ जो मानव का बनाने वाला अथवा स्तिष्टि के रचने वाला जिन्हें कहा जाता है दुनिया में इस्लाम वाले जिन्हें अल्लाह के नाम से जानते हैं उन्हीं अल्लाह का यह दिया ज्ञान है जिसे ईशवानी के नाम से अथवा कलामुल्लाह के नाम से पुकारते हैं उसी कुरान में अल्लाह ने मुसलमानों को क्या उपदेश दिया है जरा गौर से इसे पढ़ें |

अल्लाह को यह आयात उतरनी क्यों पड़ी, ध्यान देने वाली बात यह भी है की अल्लाह अपनी कलाम जरूरत पड़ने पर उतारते हैं उससे पहले नहीं |

अर्थात अल्लाह को यह पहले से पता ही नहीं है की इसकी जरूरत हो सकती है अथवा नहीं ? इसे इस्लाम जगत के आलिम शाने नुजूल कह ते हैं, यही किस बिना पर यह आयात उतरी अथवा उतारी गई इसका नाम है सहने नुजूल |

तो यह आयात अल्लाह ने उस समय उतारी, जब एक सहाबी { हजरत म० के साथी } शराब पी कर नमाज़ पढ़ा रहे थे यानि इमामत कर रहे थे | शराब की नशे में वह कुरान को नमाज़ में बे तरतीब { नियम विरुद्ध } पढ़ रहे थे दुसरे सहाबी ने हजरत साहब से शिकायत की | हजरत साहब अल्लाह के तरफ मुखातिब हुए, तो अल्लाह ने यह आयात उतारी | आयात को उतारने का कारण यह है, अथवा सहने नुजूल यह है |

अब सवाल पैदा होता है, की शराब पिने से नशा होता है यह ज्ञान अल्लाह को पहले से नहीं थी ? वरना यह बात उपदेश के रूप में पहले ही कह देते | उनदिनों अरब के घर घर में अरबी लोग शराब बनाया करते थे, जब यह आयत उतरी लोग अपना अपना शराब गिराने लगे | यह आयात है 4 =का 43

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَقْرَبُوا الصَّلَاةَ وَأَنتُمْ سُكَارَىٰ حَتَّىٰ تَعْلَمُوا مَا تَقُولُونَ وَلَا جُنُبًا إِلَّا عَابِرِي سَبِيلٍ حَتَّىٰ تَغْتَسِلُوا ۚ وَإِن كُنتُم مَّرْضَىٰ أَوْ عَلَىٰ سَفَرٍ أَوْ جَاءَ أَحَدٌ مِّنكُم مِّنَ الْغَائِطِ أَوْ لَامَسْتُمُ النِّسَاءَ فَلَمْ تَجِدُوا مَاءً فَتَيَمَّمُوا صَعِيدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوا بِوُجُوهِكُمْ وَأَيْدِيكُمْ ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَفُوًّا غَفُورًا [٤:٤٣]
ऐ ईमानदारों तुम नशे की हालत में नमाज़ के क़रीब न जाओ ताकि तुम जो कुछ मुंह से कहो समझो भी तो और न जिनाबत की हालत में यहॉ तक कि ग़ुस्ल कर लो मगर राह गुज़र में हो (और गुस्ल मुमकिन नहीं है तो अलबत्ता ज़रूरत नहीं) बल्कि अगर तुम मरीज़ हो और पानी नुक़सान करे या सफ़र में हो तुममें से किसी का पैख़ाना निकल आए या औरतों से सोहबत की हो और तुमको पानी न मयस्सर हो (कि तहारत करो) तो पाक मिट्टी पर तैमूम कर लो और (उस का तरीक़ा ये है कि) अपने मुंह और हाथों पर मिट्टी भरा हाथ फेरो तो बेशक ख़ुदा माफ़ करने वाला है (और) बख्श ने वाला है |

यहाँ एक बात अल्लाह ने और भी कहदी अगर तुमने पत्नी से जिनाबत सहवास किया हो सफर में हो पानी नहीं है | अथवा बीमार हो पानी के लगने के कारण बीमार हो सकते हो | तो पाक मिटटी से तैयामुम करलो, अब पानी का काम मिटटी से क्यों कर होना सम्बव होगा यह तो कोई अल्लाहसे ही पूछे| महेन्द्रपाल आर्य =24 =9 =17 =

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