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दुनिया वालो खुदा में एक अच्छे मानव के गुण भी नहीं है |

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|| दुनिया वालों खुदा में अच्छा मानव के गुण भी नहीं ||

अल्लाह और ईश्वर इस लिए दोनों एक नहीं है, की अल्लाह में ईश्वर जैसा गुण ही नहीं है | ईश्वर का स्वाभाविक गुण है जीवों पर दया करना, किन्तु खुदा की मनमानी है जिसपर चाहए दया करे जिस पर चाहे कठोर और सख्ती वरते |  जो एक अच्छा मानव के अंदर भी इस प्रकार का अवगुण नहीं हो सकता, ईश्वर एक गुणों का ही नाम है | परमात्मा दयालु है, और कठोर भी है, दया तो परमात्मा का स्वभाविक गुण है, प्राणी मात्र पर दया है परमात्मा की | और वह कठोर भी है, कब ? जब वह न्याय करता है तो कठोर है, कारण, परमात्मा मानव मात्र को उसके किये कर्मों का फल देता है | जब किये कर्मों का दण्ड देता है तो वह कठोर है |

किन्तु अल्लाह जैसा मनमानी, परमात्मा का नही है, और ना हो सकता कारण यह न्याय नहीं है और कुरानी अल्लाह न्याय को भी नहीं जानता है |

कारण अल्लाह जिसे चाहता है,भटका देता है, और जिसे छटा है,सीधा रास्ता दिखता है यह अवगुण है, परमात्मा में यह अवगुण नहीं है |

दूसरी बात खुदा का यह कहना कहाँ तक सही है, देखें अगर खुदा चाहे तो सब को एक ही ग्रोह में कर सकता है | पर नहीं करता क्या मतलब, खुदा मानवों को मानव से लड़ना चाहता है | राममंदिर, और बाबरी मस्जिद के नाम हिन्दू मुस्लिम में लड़ना चाहता है | यह सब अवगुण है जो खुदा में है निचे देखें कुरान से जो मैंने प्रस्तुत किया है |

وَلَوْ شَاءَ اللَّهُ لَجَعَلَكُمْ أُمَّةً وَاحِدَةً وَلَٰكِن يُضِلُّ مَن يَشَاءُ وَيَهْدِي مَن يَشَاءُ ۚ وَلَتُسْأَلُنَّ عَمَّا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ [١٦:٩٣]

और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सबको एक ही (किस्म के) गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसकी चाहता है हिदायत करता है और जो कुछ तुम लोग दुनिया में किया करते थे उसकी बाज़ पुर्स (पुछ गछ) तुमसे ज़रुर की जाएगी |

 

दुनिया वालों यह है अल्लाह की कलाम, जो अल्लाह अपनी मनमानी करता तै जिसे चाहे सही रास्ता दिखाए, और जिसे चाहे गुमराही में धकेल दे वाह जी अल्लाह जी अजब है आप की करामात | जब की मनमानी करना अथवा चलना एक नेक इन्सान का भी काम नहीं है, वह काम अल्लाह करते हैं दुनिया के मानव कहलाने वालों कुरान की इस आयत को ध्यान से पढ़ें |  धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = राष्ट्रिय प्रवक्ता, राजार्य सभा = 6 /10 /18

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